मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर से बीजेपी विधायक जालम सिंह पटेल की बहू नीतू सिंह ने शादी के बाद पहली बार अपना दर्द बयां किया है। एक साइट को दिए इंटरव्यू में नीतू ने जो आपबीती बताई उसे जानकर किसी की भी रूह कांप जाएगी। शादी के बाद नीतू की जिंदगी कैसे नर्क से भी बदतर हो गई ये सब उसने बयां किया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नीतू सिंह (Monu patel wife neetu singh) की शादी 2016 में भाजपा विधायक जालम सिंह पटेल के बेटे मणिनागेंद्र सिंह पटेल उर्फ मोनू पटेल (Monu Patel) के साथ हुई थी। नीतू ने बताया हमारी अरेंज मैरिज हुई थी। सगाई के कुछ वक्त बाद ही मुझे मेरे होने वाले पति मोनू में काफी सारे बदलाव देखने को मिले। कहीं भी आने जाने में रोक-टोक करने लगे, फोन डिटेल्स लेने लगे, शादी के चार महीने पहले मोनू पटेल की गर्लफ्रेंड ने मुझे मैसेज किया और बहुत बदतमीजी से मुझसे बात की। कुछ पुरानी चैट मेरे साथ शेयर की।
मोनू की गर्लफ्रेंड ने मुझे बताया कि शादी के पहले से लेकर शादी के बाद तक मेरे पति और उस महिला का अफेयर चल रहा है। ऐसी कई बातें उसने मुझे बताई जो मेरे और मेरे पति से जुड़ी थीं। जब मैंने ये सारी बातें अपने पति मोनू को बताई तो उसने मेरे साथ 5 घंटे तक लगातार मारपीट की। मेरे शरीर में हर जगह जख्म हो गए। मेरी सास ने ये सारी चीजें देखी लेकिन बात दबाने के लिए कहा।
मुझे शादी के बाद ये पता चला कि मेरे पति पर 45 आपराधिक मुकदमे हैं, जिनमें हत्या और हत्या के प्रयास जैसे आरोप शामिल हैं।शादी से पहले मैं एक बार उनसे भोपाल में मिली थी। तब भी उन्होंने जबरदस्ती करने की कोशिश की। शादी के पहले से मेरे फोन कॉल पर नजर रख रहे थे। मुझे हर बंधन में रखा जा रहा था।
मेरे पति बाहर से दूसरी लड़कियों के साथ फिजिकल होकर आते और फिर घर में मेरे साथ रिश्ते बनाते। इससे मुझे इंफेक्शन हो गया। हमारे बीच संबंध सिर्फ शारीरिक थे। वो भी जबरदस्ती के। मैं मानसिक अवसाद में आ गई। मैं इतनी कमजोर हो गई थी कि मुझे सही से दिख भी नहीं रहा था। जबलपुर के अस्पताल में मुझे भर्ती किया गया। ये सब शादी के चार महीनों के भीतर हुआ। मुझ पर बच्चा पैदा करने का दबाव बनाया जा रहा था
भोपाल में मेरे ससुर का सरकारी विधायक निवास इनकी अय्याशी का अड्डा है। मोनू जब भी भोपाल जाते वहां ड्रग्स और शराब की पार्टियां होतीं। मेरे लिए सबसे दर्दनाक ये था कि परिवार की कोई महिला कभी मेरी मदद के लिए आगे नहीं आई। मुझे अपने घर वालों से भी ज्यादा बात नहीं करने दिया जाता था।
जब मुझे लगा कि अब मैं यहां जिंदा नहीं रह पाऊंगी या मेरे पति ही मुझे मार देंगे तो मैंने बहुत हिम्मत करके अपने भाई को ससुराल बुलाया। सिर्फ अपनी डिग्री और दस्तावेज लिए और उस घर से हमेशा के लिए निकल गईं। मैं डेढ़ साल अपने मायके में रही। फिर हिम्मत करके नौकरी करने दिल्ली आ गई। मेरा तलाक का मुकदमा चल रहा है, लेकिन कोई पहल नहीं की गई।