Bhopal. भोपाल के पंचशील नगर के बूथ नंबर 1260 में पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने बुजुर्ग महिला को गले लगाकर आशीर्वाद मांगा। बच्चों को लाड़ किया तो कार्यकर्ताओं को विजय संकल्प (Vijay Sankalp) दिलाया। बूथ पर विजय संकल्प अभियान के बहाने बीजेपी (BJP) ने कार्यकर्ताओं (Workers) को साधने का नया तरीका अपनाया है। इस अभियान की शुरुवात सीएम शिवराज ने ही की। दरअसल बीजेपी को चिंता बागियों की है। निकाय चुनाव में बागी कहीं उसकी जीत में रोड़ा न बन जाएं, बीजेपी को यही आशंका सता रही है। वॉर्ड से लेकर मेयर पद (Mayor post) तक के लिए दावेदारों की फौज खड़ी है। दावेदार टिकट न मिलने पर निर्दलीय लड़ने का दम भी भर रहे हैं। टिकिट एक को ही मिलनी है लिहाजा बाकी को पार्टी से जोड़े रखने के लिए पार्टी ने ये जुगत लगाई है। सीएम के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (State President VD Sharma) भी डिपो चौराहे के पास बूथ 69 पर पहुंचे। उन्होंने भी हाथ जोड़कर कार्यकर्ताओं को विजय संकल्प दिलाया। कौन होगा जिताउ चेहरा, इसी कशमकश में पार्टी अब तक अपने उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई है। सीएम कहते हैं कि उनका उम्मीदवार कमल का फूल है, चेहरा कोई भी हो कहीं कोई तकलीफ नहीं।
पवैया से मिले सिंधिया
दूसरी तस्वीर हम आपको ग्वालियर में बदलते सियासी रंग की दिखाते हैं। सियासत एक-दूसरे के धुर विरोधियों को भी एक घाट पर ले आती है। यही नजारा ग्वालियर में दिखा। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Minister Jyotiraditya Scindia) ने भी बूथ पर जाकर हर घर का दरवाजा खटखटाया। वहीं सिंधिया राजघराने के सामंतवाद के खिलाफ सियासत शुरू करने वाले बजरंग दल (Bajrang Dal) के राष्ट्रीय संयोजक, भाजपा से सांसद और मप्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके जयभान सिंह पवैया (Jaibhan Singh Pawaiya) की सियासी विडंबना देखिए कि वे आज उन्ही महाराज के साथ नगर निगम टिकिटों के बंटवारे की गुफ्तगू करते नज़र आये। बैठक के बाहर आये विजुअल इसी नए राजनीतिक सूर्योदय की कहानी कहता दिखता है। संभाग के लिए बनाई गई भाजपा की कोर कमेटी की बैठक होटल तानसेन में हुई । बैठक में सिंधिया और पवैया अगल-बगल में बैठे। इस बैठक में सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, ऊर्जा मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर, प्रभारी जीतू जिराती भी मौजूद थे। बाहर आकर पवैया ने कहा कि चुनाव को लेकर रणनीति बनाई जा रही थी।
विरोधियों की जुगलबंदी
पवैया और सिंधिया एक दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं। उन्होंने अपनी राजनीति की यूएसपी सिंधिया परिवार और उसके कथित सामंतवाद की खिलाफत को बनाया। भाजपा ने उन्हें तत्कालीन केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के खिलाफ ग्वालियर लोकसभा सीट से मैदान में उतारा। इस सीट सिंधिया के लिए अपराजेय थी। पवैया ने अपने रोंगटे खड़े करने वाले आक्रामक भाषणों से महल की सियासत को हिलाकर रख दिया। हालांकि पवैया उन्हें हरा नही पाए लेकिन लाखो मतों से घटकर जीत का अंतर महज साढ़े छब्बीस हजार रह गया। इससे सिंधिया इतने दुखी हुए कि फिर जीते जी कभी ग्वालियर से चुनाव नही लड़े। ज्योतिरादित्य के भी खिलाफ पवैया सिंधिया परिवार को निशाने पर लेने का कभी कोई मौका नही छोड़ते थे। भाजपा गुना सीट पर भी पवैया को मैदान में उतार चुकी है। लेकिन अब सियासी रंग कुछ और हो गया है। सिंधिया भाजपा की भगवा टोपी पहनकर पवैया के साथ राजनीतिक गुफ्तगू कर रहे हैं।