भोपाल के हबीबगंज स्टेशन का नाम बदला: अब रानी कमलापति स्टेशन, रेलवे में HBJ की जगह अब RKMP

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भोपाल के हबीबगंज स्टेशन का नाम बदला: अब रानी कमलापति स्टेशन, रेलवे में HBJ की जगह अब RKMP

भोपाल. यहां का देश का पहला वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन (World Class Railway Station) बनकर तैयार है। इस स्टेशन को अब रानी कमलापति (Rani Kamalapati) स्टेशन के नाम से जाना जाएगा। राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने मुहर लगा दी है। यह स्टेशन अब तक हबीबगंज (Habibganj- HBJ) के नाम से जाना जाता था। अब आपको रेलवे रिजर्वेशन करवाना हो तो आपको RKMP सिलेक्ट करना होगा। रानी कमलापति रानी कमलापति भोपाल की अंतिम गोंड (आदिवासी- Adivasi) शासिका थीं। इस नए स्टेशन पर पैसेंजर्स को शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मॉल, स्मार्ट पार्किंग समेत कई फैसिलिटीज मिलेंगी। जानिए इसके सामान्य स्टेशन से वर्ल्ड क्लास बनने तक का सफर...

1979 में बना हबीबगंज स्टेशन

मध्य प्रदेश के 1000 साल के इतिहास पर लिखी गई किताब 'चौथा पड़ाव' में रेलवे स्टेशन की कहानी भी है। बुक के लेखक और सीनियर जर्नलिस्ट विजयदत्त श्रीधर ने एक अखबार को बताया कि हबीबगंज एक गांव का नाम था। हबीबगंज नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि यहां की हरियाली और झीलें इसकी सुंदरता को बढ़ा देती थीं। अरबी में हबीब यानी प्यारा और सुंदर। भोपाल के नवाब की बेगम ने यहां की हरियाली और झीलों के बीच बसे इस गांव का नाम हबीबगंज रखा था। जब रेलवे लाइन बिछाई गई, तब इटारसी-भोपाल के बीच बुदनी, बरखेड़ा, औबेदुल्लागंज और मंडीदीप स्टेशन बनाए गए थे। एग्रीमेंट यह था कि यह लाइन ब्रॉडगेज होगी।

1947 में आजादी के बाद रेलवे का 55 हजार किमी का नेटवर्क था। 1952 में मौजूदा रेल नेटवर्क को एडमिनिस्ट्रेटिव कामों के लिए 6 जोन में बांटा गया। इसके बाद कई स्टेशन बनाए गए। इनमें हबीबगंज भी शामिल था। 1979 में हबीबगंज स्टेशन बनाया गया।

1884 में बेगम शाहजहां जमीन दी 

‘चौथा पड़ाव’ के मुताबिक, भोपाल नवाब परिवार की मिल्कियत वाली जमीनों में 122.36 किमी लंबी रेलवे लाइन भी थी। होशंगाबाद (नर्मदा नदी के पुल) से भोपाल तक 70.80 किमी रेल लाइन के लिए बेगम शाहजहां ने 1 नवंबर 1884 को जमीन दी थी। इसके लिए उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के साथ समझौता किया था। इसके बाद भोपाल स्टेट रेलवे बनाया गया था। इसके लिए बेगम शाहजहां ने 50 लाख रुपए दान दिए थे।

बेगम ने भोपाल से उज्जैन के बीच 51 किमी रेललाइन के लिए भी 1 जनवरी 1891 को जमीन दी थी। उन्होंने जमीन के साथ रेलवे लाइन के लिए 20.80 लाख रुपए भी दिए थे। इतनी ही राशि सिंधिया राजघराने ने दी थी, क्योंकि उज्जैन के हिस्से में भी उनकी भी मिल्कियत थी।

ISO-9001 सर्टिफाइड देश का पहला स्टेशन

हबीबगंज (रानी कमलापति) देश में पहला ISO-9001 सर्टिफाइड रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन भारत की पहली सर्टिफाइड ट्रेन शान-ए-भोपाल एक्सप्रेस का हेडक्वार्टर भी है। यहां कई बड़ी ट्रेनों का स्टॉपेज है।

वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाने पर सौ करोड़ खर्च

14 जुलाई 2016 को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत रेलवे ने हबीबगंज (रानी कमलापति) के मॉडर्नाइजेशन के लिए पहला कॉन्ट्रैक्ट किया। 5 साल तक चले प्रोजेक्ट के बाद जुलाई 2021 में हबीबगंज स्टेशन बनकर तैयार हो गया। यहां वर्ल्ड क्लास सुविधाएं हैं। इन पर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। यात्रियों को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो, इसे ध्यान में रखते हुए तमाम तरह की सुविधाएं देने की कोशिश की गई है। आने वाले समय में स्टेशन को ब्रिज के जरिए तैयार हो रहे मेट्रो स्टेशन से भी जोड़ा जाएगा। हबीबगंज (रानी कमलापति) स्‍टेशन को एयरपोर्ट की तर्ज पर डेवलप करने के लिए रेलवे ने बंसल ग्रुप के साथ करार किया है।

कई बार बढ़ी डेडलाइन

हबीबगंज स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनाने का काम मार्च 2017 से शुरू हुआ था। इसे दिसंबर 2018 तक पूरे करने के दावे किए थे। दूसरी डेडलाइन जुलाई 2019 थी, तब भी काम पूरा नहीं हो सका था। फिर 31 दिसंबर 2019 तक काम पूरा करने का दावा किया गया, लेकिन काम तब भी पूरा नहीं हुआ। इसके बाद मार्च 2020 डेडलाइन दी गई, लेकिन फिर भी काम पूरा नहीं हुआ। फिर कोरोना संक्रमण काल आ गया, जिसके कारण भी काम में देरी हुई।

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