रुचि वर्मा, भोपाल. पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे पर मप्र सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए कर्मचारी संगठन द्वारा 13 मार्च को किए जाने वाले प्रदर्शन की अनुमति को पुलिस ने निरस्त कर दिया है। अनुमति निरस्त करने के पीछे पुलिस ने कर्मचारियों की अनुमति से ज्यादा संख्या को कारण बताया। उधर, संगठन के एक बड़े नेता ने कहा कि अगर सरकार यह समझती है कि उसकी अनुमति के बिना ये लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती तो यह गलतफहमी है। उसकी परमिशन के बिना भी ये लड़ाई लड़ी जाएगी।
ये प्रदर्शन मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा और राष्ट्रीय पेंशन योजना बहाली संगठन (मप्र) के नेतृत्व में कलियासोत ग्राउंड, नेहरू नगर, भोपाल में होने वाला था। प्रदर्शन को राष्ट्रीय पेंशन योजना बहाली संगठन मप्र के साथ-साथ पटवारी संघ, पंचायत सचिव संघ, प्रांतीय शिक्षक संघ, अध्यापक कांग्रेस, शासकीय अध्यापक संघ समेत अन्य संगठनों का समर्थन हासिल है।
सरकार के दमन का जवाब आंदोलन से: द सूत्र ने प्रदर्शन की अनुमति निरस्त करने के बारे में सचिव संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश शर्मा से बात की। दिनेश का कहना है कि पुलिस ने सिर्फ एक अनुमान लगा लिया कि प्रदर्शन में अनुमति प्राप्त 5000 व्यक्तियों की जगह 50 हजार से 1 लाख की संख्या में कर्मचारी जुटने वाले थे। इस वजह से भीड़ जुटने और जाम लगने का अंदेशा जताया जाने लगा। यह सिर्फ उनका अनुमान था और अनुमान लगाने से क्या होता हैं। सरकार ने अनुमति निरस्त करके दमन किया है। दमन का जवाब आंदोलन से दिया जाएगा।
आगे की रणनीति: दिनेश के मुताबिक, 12 मार्च को हुई पहली ऑनलाइन मीटिंग में तय कि 13 मार्च (रविवार) को 3 बजे भोपाल में प्रदर्शन में शामिल सभी संगठनों के अध्यक्षों की आमने-सामने मीटिंग होगी। मीटिंग के एजेंडे में भोपाल में अगले बड़े प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार की जायेगी एवं तारीख तय की जाएगी। उस प्रदर्शन के लिए अगर सरकार अनुमति नहीं देगी, तब भी प्रदर्शन होगा। सरकार अगर यह समझती है कि उसकी अनुमति के बिना यह लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती तो यह उसकी गलतफहमी है। सरकार अगर गेम खेल रही हैं तो अब हम भी गेम खेलेंगे। कर्मचारी संगठन तय 13 मार्च को जिला और ब्लॉक स्तर पर आंदोलन भी करने वाले हैं।
आंदोलन को लेकर पहले से तैयारियां: आंदोलन को लेकर संगठन पिछले एक महीने से तैयारियां कर रहे थे और पुलिस परमिशन भी पहले ली जा चुकी थी। छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन स्कीम बहाली का ऐलान होने के बाद मध्य प्रदेश के कर्मचारी संगठनों की मांग और ज्यादा मजबूत हो गई है। इधर पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी राजस्थान की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी स्कीम लागू करने की मांग की है। इससे शिवराज सरकार पर स्कीम बहाली का चौतरफा दबाव बढ़ गया हैं।
पुलिस का तर्क: पुलिस ने मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह को पत्र लिखा, जिसमें प्रर्दशन की अनुमति को निरस्त करने की सूचना है। पुलिस ने कहा कि अनुमति लेते वक्त सिर्फ 5 हजार कर्मचारियों के इक्कट्ठा होने की जानकारी दी गई थी, लेकिन 25 हजार कर्मचारियों के जुटने की संभावना है। इतने ज्यादा लोगों के एक जगह पर इकट्ठा होने से सड़कों पर जाम लगने की आशंका है। इसी वजह से प्रदर्शन की अनुमति निरस्त की जा रही है। अगर अनुमति के निरस्त होने के बावजूद किसी तरह का प्रदर्शन किया जाता है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बीजेपी की दुविधा: यदि शिवराज सरकार पुरानी पेंशन स्कीम बहाली की मांग मान लेती है तो उसे अपनी ही पार्टी की सरकार के अप्रैल 2005 के फैसले को बदलना होगा। यदि मांग को नहीं माना जाता है तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकारी कर्मचारी हितैषी होने की छवि पर चोट होगी।
MP में पेंशन कर्मचारियों का गणित: 1 जनवरी 2005 से नई पेंशन योजना लागू हुई थी। कर्मचारी संघ के मुताबिक, मध्य प्रदेश में 3.35 लाख सरकारी कर्मचारी और अधिकारी 1 जनवरी 2005 के बाद नौकरी में आए हैं। इसमें सबसे ज्यादा टीचर की संख्या 2.87 लाख हैं। इसके अलावा 48 हजार बाकी कर्मचारी हैं। ये नई पेंशन स्कीम के दायरे में आते हैं। इसलिए सरकार हर महीने इनके मूल वेतन की 14 फीसदी अंशदान राशि जमा करती है। ये सालाना करीब 344 करोड़ रुपए हैं। अगर शिवराज सरकार पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करती है। ऐसी स्थिति में सरकार को इन 344 करोड़ रुपए की सालाना बचत होगी। सरकार पर 14 साल बाद यानी 2035-36 से वित्तीय बोझ आना शुरू होगा।
पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) के अहम बिंदु
- इस स्कीम में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।
नई पेंशन स्कीम की खास बातें
- नई पेंशन स्कीम (NPS) में कर्मचारी की बेसिक सैलरी+ डीए का 10 फीसद हिस्सा कटता है।