राहुल शर्मा, भोपाल। अब तक आपने देखा कि किस तरह सांठगांठ कर बिल्डर (Builder) और सरकारी एजेंसियों (Govt Agencies) तक ने कलियासोत (Kaliyasote) का कत्ल करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। वैसे तो नदी पर हो रहे अतिक्रमण का हमारे जीवन पर सीधा असर पड़ रहा है। कलियासोत के कत्ल के इस भाग में हम आपको बताएंगे कि किस तरह खत्म होती नदी से हमारी बर्बादी भी जुड़ी है। पहले ये देखिए कि इसके गुनहगार कौन हैं। नदी को प्रदूषण से बचाने की जिम्मेदारी प्रदूषण नियंत्रण कंट्रोल बोर्ड यानी PCB की है।PCB के अधिकारी ये तो मानते हैं कि द सूत्र बहुत अच्छा मुद्दा उठा रहा है, पर असल में ये खुद भी इसे लेकर गंभीर नहीं। PCB कार्रवाई के लिए नगर निगम को अनुशंसा (Recommendation) करती है। पर असल में नदी में मलमूत्र (Excreta) छोड़ने के लिए निगम भी जिम्मेदार है। सर्वधर्म पुल के पास निगम ने एक सार्वजनिक शौचालय बना रखा है, जिससे मलमूत्र निकलकर नदी में मिल रहा है।
रहवासी क्षेत्रों से भी मिल रहा अनट्रीटेड पानी
कलियासोत पर जो अतिक्रमण हुए, उनमें से ज्यादातर अनट्रीटेड (Untreated) यानी सीवेज का पानी छोड़ रहे हैं। ना तो कोई रोक-टोक, ना ही किसी का खौफ। 36 किमी की इस नदी में दामखेड़ा, सर्वधर्म समेत कई जगह सीवेज छोड़ा जा रहा है। नदी में इकट्ठा हो रहा यही मलमूत्र जमीन के अंदर जाकर ग्राउंड वॉटर (Ground Water) को प्रभावित कर रहा है और उसी पानी को हम पी रहे हैं।
नदी के पानी में इस कदर मिल रहा मलमूत्र
नदी के पानी के प्रदूषण (Pollution) की जांच करने के लिए सबसे पहले द सूत्र ने कलियासोत के पानी का सेंपल लिया। इसे नाम दिया गया आरएस.1 सेंपल। यह इसलिए जरूरी था, क्योंकि हमें सबसे पहले यह जानना था कि नदी के बहते पानी में ही मलमूत्र में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की मात्रा क्या है। जो रिपोर्ट आई, वो बेहद चौंकाने वाली थी।
मल में पाया जाने वाले बैक्टीरिया फीकल कोलीफार्म की मात्रा 1260 और मूत्र में पाए जाने वाले बैक्टीरिया टोटल कोलीफार्म की मात्रा 1380 आई, जो काफी ज्यादा है। जबकि बहते पानी में इन बैक्टीरिया की मात्रा कम हो जाती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि साल के 8 महीने जो सीवेज नदी में जमा होता है, वह हमारे ग्राउंड वॉटर को कितना प्रभावित करता होगा।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
PCB के रीजनल ऑफिसर दिनेश शर्मा कहते हैं कि हम कार्रवाई के लिए नगर निगम को अनुशंसा करते हैं। कोलार पुल के पास बने शौचालय का पॉइंट लिया है और नगर निगम को इसकी जानकारी दी गई है। जो सीवेज नदी में छोड़ रहे हैं, उसके बारे में हमने नगर निगम को जानकारी दी है। इसके लिए पूरी तरह से नगर निगम ही जिम्मेदार है।
दो किमी रेडियस में रह रहे लोग पी रहे गंदा पानी
द सूत्र की पड़ताल में यहां तक सामने आया कि कलियासोत नदी से डेढ़ से दो किमी तक की रेडियस (Radius) में जो सोसाइटी हैं, वहां के रहवासी मलमूत्र युक्त यानी बैक्टीरिया युक्त पानी पी रहे हैं। सागर प्रीमियम टॉवरए विरासा हाइट्स, भूमिका, सिग्नेचर समेत कई कालोनियों ही नहीं, बल्कि कई सोसाइटियों के लोग खराब पानी पी रहे हैं। यह जांचने के लिए द सूत्र ने कलियासोत से करीब डेढ़ किमी दूर सागर लाइफ स्टाइल टॉवर से भी पानी का एक सेंपल लिया। कोडिंग दी आरएस.4। रिजल्ट आया मलमूत्र में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की संख्या 1800 है।
सेंपल लिए, टेस्टिंग कराई
मामले की सच्चाई जानने के लिए हमने कलियासोत नदी समेत नदी के मुहाने पर बसी कालोनियों के सैंपल लिए। इन सैंपल की जांच लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (Public Health Engineering- PHE) की स्टेट लैब (Lab) में कराई गई। सोसाइटी के नाम के खुलासो से कहीं जांच रिपोर्ट प्रभावित न हो जाए, इसलिए द सूत्र ने इन सेंपल को कोडिंग दी और उसका वीडियो रिकॉर्ड किया। जांच में जो सच्चाई पता लगी वो बेहद चौंकाने वाली थी।
ये बानगी देखिए
- उत्तर अमरनाथ कालोनी के पास के क्षेत्र ये द सूत्र ने पानी का सैंपल लिया। कोडिंग दी आरएस.2। मल में पाए जाने वाला बैक्टीरिया की मात्रा 440 और मूत्र में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की मात्रा 660 पाई गई, जबकि यह जीरो होना चाहिए थी।
हेल्थ पर गंभीर असर हो सकता है
गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. संजय कुमार ने बताया कि कोलीफार्म ऑर्गेनिज्म जो व्यक्ति की आंतों में पाए जाते हैं, मल के साथ जाकर ये बैक्टीरिया पानी में मिल जाते हैं। दूषित पानी से होने वाली ज्यादातर बीमारियां कोलीफार्म बैक्टीरिया से ही होती है जैसे टाइफाइड, बहुत सारे वायरल, हेपिटाइटिस ए, जॉन्डिस। यदि व्यक्ति लगातार इस तरह का पानी पी रहा है तो उसे बुखार, पीलिया, पेट दर्द, उल्टी की शिकायत हो सकती है। यदि आपके यहां इस तरह का पानी है तो आपको ख्याल रखना ही होगा कि पानी को स्वच्छ करें, फिल्टर या उबालकर पिएं।
PCB करा सकता है FIR
PCB के पूर्व मेंबर हरभजन शिवहरे के मुताबिक, MP प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बिल्डर को नोटिस दे सकता है। यदि बिल्डर नहीं मानते तो नगर निगम को नोटिस दे सकता है। यदि नगर निगम और बिल्डर कोई एक्शन नहीं लेते तो बोर्ड दोनों के खिलाफ FIR कर सकता है।