ग्वालियर: सरकारी जमीन पर टाउनशिप बनाई, T&CP ने पूर्व में जारी परमिशन रद्द की

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ग्वालियर: सरकारी जमीन पर टाउनशिप बनाई, T&CP ने पूर्व में जारी परमिशन रद्द की

ग्वालियर. प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भले ही भू-माफियाओं पर लगाम कसने के दावे करते हों, लेकिन अधिकारी उनके दावों पर पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। ग्वालियर न्यू सिटी सेंटर में टाउनशिप यशोदा रेसीडेंसी बनी है। इस टाउनशिप को पूर्व में दी गई तीनों भवन निर्माण की परमिशन टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (T&CP) विभाग ने निरस्त कर दी। विभाग ने परमिशन निरस्त करते हुए माना कि यशोदा गृह निर्माण समिति के संचालकों ने टाउनशिप विकास की परमिशन लेते समय विभाग को गुमराह किया और सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने की बात भी विभाग से छिपाई। अब विभाग ने परमिशन निरस्त करते हुए इसकी जानकारी नगर निगम को पत्र के जरिए दी है।





नगर निगम ने फर्जी नाम से कराया केस: यशोदा गृह निर्माण समिति के मामले में तकरीबन 1 साल पहले तत्कालीन कलेक्टर के हस्तक्षेप करने के बाद नगर निगम ने संबंधितों पर केस दर्ज कराने का ड्रामा किया। निगम ने आशीष पांडे नाम के जिस व्यक्ति को यशोदा गृह निर्माण समिति का अध्यक्ष बताते हुए यूनिवर्सिटी थाने में धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराई, वह आशीष पांडे यशोदा गृह निर्माण समिति में ना तो कभी भी अध्यक्ष रहा, ना ही सदस्य रहा। विभाग द्वारा मनगढ़ंत नाम से एफआईआर दर्ज कराने से साफ है कि विभाग की मंशा घोटाले के आरोपियों को बचाने की थी।





फर्जी नाम से जारी किए गए नोटिस: T&CP में परमिशन निरस्त की कार्रवाई के बाद नगर निगम ने शिकायतकर्ता और यशोदा गृह निर्माण समिति के संचालकों को 14 जनवरी की सुनवाई में मौजूद रहने के लिए चिट्ठी जारी की। इस पत्र में भी किसी आशीष पांडे को यशोदा गृह निर्माण समिति का अध्यक्ष बताते हुए लिखा गया- ‘किसी भी पक्ष के उपस्थित ना रहने की दशा में एकतरफा कार्यवाही की जाएगी।’ अब जब आशीष पांडे नाम का व्यक्ति संस्था में किसी प्रकार की कोई हैसियत ही नहीं रखता और ना ही इस व्यक्ति का कोई फोटो या नंबर किसी के पास है, तो यह व्यक्ति नगर निगम द्वारा बुलाई गई सुनवाई में कैसे उपस्थित होता? समिति की तरफ से सुनवाई में उपस्थित लोगों का नगर निगम द्वारा जारी किए गए पत्र में कोई उल्लेख नहीं था, इस लिहाज से माना जाए कि सुनवाई में केवल शिकायतकर्ता उपस्थित रहा। इसके बाद भी नगर निगम विभाग ने एकतरफा फैसला ना करते हुए केवल वक्त बर्बाद किया और सुनवाई का कोई नतीजा नहीं निकला।





परमिशन में लिखा खेल मैदान और बना दिए 100 फ्लैट: यशोदा गृह निर्माण समिति के कर्ताधर्ताओं में नगर निगम के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल बताए जाते हैं। बताया जा रहा है कि समिति को दी गई परमिशन में जिस जगह को खेल मैदान के लिए चिह्नित किया गया था, उस जमीन पर समिति ने 100 फ्लैट का टॉवर बनाकर भारी मुनाफा कमाया। सरकारी सर्वे नंबर 63 पर भी कब्जा कर अतिक्रमण किया गया।





कमिश्नर की चुप्पी: यशोदा गृह निर्माण समिति मामले में 14 जनवरी शाम 5:00 बजे हुई। सुनवाई के बाद नगर निगम अपर कमिश्नर आरके श्रीवास्तव से जानकारी लेनी चाही तो साहब 'सॉरी' कहकर चुप्पी साध गए।





सहकारिता विभाग का समिति के खिलाफ आदेश: सहकारिता विभाग ने भी अपने आदेश (दिनांक 7/01/2022) में माना कि मामले की जांच कराए जाने पर स्पष्ट होता है कि यशोदा गृह निर्माण समिति ने सभी विभागों के नियम और शर्तों का उल्लंघन किया गया। जांच किए जाने पर यशोदा गृह निर्माण समिति के सदस्य संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए, क्योंकि पूरा काम आपराधिक मामले की श्रेणी में आता है। इसके चलते विभाग द्वारा अधिकारी नियुक्तकर धारा 72D और धारा 76 के तहत आदेश जारी किए गए।





ये बोले शिकायतकर्ता: इस मामले में शिकायतकर्ता ब्रजेश चंद्र मिश्रा का कहना है कि जो अनियमितताएं बताई गई हैं, उसको अधिकारी देखने आएंगे, जबकि इसकी कई बार जांच हो चुकी है। सहकारिता विभाग यशोदा गृह निर्माण समिति पर आपराधिक केस दर्ज कर दिया। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने अपने यहां क्लोज कर आगे भेज दिया। T&CP ने सारी परमिशन अपने यहां निरस्त कर दी। नगर निगम ने फरवरी 2020 में पेश जांच रिपोर्ट में अनियमितताओं के बारे में कहा था। पूरा मामला स्पष्ट है।





(ग्वालियर से संवाददाता अंशुल मित्तल की रिपोर्ट।)



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