भोपाल. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 नवंबर को बड़ा ऐलान किया। उन्हें कहा कि सरकार प्रदेश के दो शहरों राजधानी भोपाल और देश के सबसे साफ इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम शुरू किया जाएगा।
नई समस्याओं को देखते हुए फैसला- शिवराज
शिवराज ने कहा कि प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बेहतर है, पुलिस अच्छा काम कर रही है। पुलिस और प्रशासन ने मिलकर कई उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन शहरी जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। भौगोलिक दृष्टि से भी महानगरों का विस्तार हो रहा है, जनसंख्या भी लगातार बढ़ रही है। लिहाजा कानून-व्यवस्था की कुछ नई समस्याएं पैदा हो रही हैं। प्रदेश के 2 बड़े महानगरों में राजधानी भोपाल और स्वच्छ शहर इंदौर में हम पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू कर रहे हैं, ताकि अपराधियों पर और बेहतर नियंत्रण कर सकें।
प्रदेश के 2 बड़े महानगरों में राजधानी भोपाल और स्वच्छ शहर इंदौर में हम पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू कर रहे हैं।
प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बेहतर है पुलिस अच्छा काम कर रही है। पुलिस और प्रशासन ने मिलकर कई उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन शहरी जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। pic.twitter.com/z41S7EB9NF
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 21, 2021
IAS लॉबी के चलते पहले नहीं हो पाया फैसला
इससे पहले अब तक जब भी इस सिस्टम को लाने का बात चली, तब सीनियर IAS अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें ऐसा फैसला लेने से रोका। IAS अफसरों ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम के निगेटिव (Negative) पहलू बताते हुए प्रदेश में कुछ ऐसी घटनाओं की जानकारी दी, जिसमें पुलिस पर कई सवाल उठे थे। वहीं, तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) भी इसे लागू करने वाले थे, तभी कुछ बड़ी घटनाएं हो गईं मसलन पुलिसकर्मियों को ग्रामीणों को पेशाब पिलाने से मामले सामने आए। कमिश्नर सिस्टम से पुलिस निरंकुश (Despotic) हो जाएगी, लिहाजा फैसले को अमलीजामा नहीं पहनाया गया।
IAS-IPS के अपने-अपने तर्क
IAS प्रतिनिधिमंडल हमेशा झारखंड समेत कुछ राज्यों का जिक्र करते हुए तत्कालीन सीएम को बताता रहा कि इन राज्यों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम नहीं है। वहीं, IPS अफसरों का तर्क था कि महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कई बड़े राज्यों, शहरों में यह सिस्टम लागू होने से वहां का क्राइम रेट कंट्रोल में है।
दिग्विजय, कमलनाथ नाकाम रहे, शिवराज सफल
सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कमिश्नर प्रणाली लागू करने का ऐलान किया था, पर वे इसे लागू नहीं कर पाए। शिवराज ने पहले भी तीन बार घोषणा की थी, पर बात बन नहीं पाई। हर बार IAS अफसर समझाने में सफल रहे और कमिश्नर सिस्टम पर अंतिम फैसला रुक गया।
कमलनाथ भी ने भी इसे लागू करने की कोशिश की थी, लेकिन कर नहीं पाए। IAS एसोसिएशन की तत्कालीन अध्यक्ष गौरी सिंह ने इसकी खामियों को लेकर कमलनाथ के सामने पक्ष रखा था, जिसके बाद इसे खारिज कर दिया गया।