अल्टीमेटम के बाद भी काम नहीं: CM के गांव में नल-जल योजना 4 साल पहले पूरी, पर नल सूखे

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अल्टीमेटम के बाद भी काम नहीं: CM के गांव में नल-जल योजना 4 साल पहले पूरी, पर नल सूखे

भोपाल। क्या शासन-प्रशासन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का इकबाल कम हो रहा है? मैदानी अधिकारी-कर्मचारी इतने बेखौफ हो गए हैं कि उन्हें सरकार के मुखिया के आदेश-निर्देश पर अमल की परवाह नहीं है। यह गंभीर सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है कि मुख्यमंत्री के पैतृक गांव जैत में 4 साल पहले शुरू हुई नल-जल योजना के बाद भी लोगों के घरों में लगाए गए नलों में पानी नहीं आने की शिकायतों पर सीएम शिवराज सिंह चौहान के 15 दिन के अल्टीमेटम के बाद भी नल चालू नहीं हुए। इतना ही नहीं सीएम ने 6 नवंबर को जैत प्रवास के दौरान पीएचई के इंजीनियरों को तल्ख लहजे में फटकार लगाते हुए ग्रामवासियों की तालियों के बीच मंच से सीहोर के कलेक्टर औऱ भोपाल संभाग के कमिश्नर को 15 दिन में दौरा कर पानी की समस्या के समाधान की रिपोर्ट देने को कहा था। उनके निर्देश पर अमल की हकीकत जानने के लिए द सूत्र की टीम ने जैत पहुंचकर मैदानी जायजा लिया। सच्चाई आप भी जान लीजिए। मुख्यमंत्री के फरमान के 19 दिन गुजरने के बाद भी जैतवासियों के घरों में लगी नल की टोंटियां सूखी पड़ी हैं। सीएम के जाने के बाद सीहोर जिले के कलेक्टर और भोपाल संभाग कमिश्नर ने भी गांव का रुख नहीं किया है।

सुबह 11 बजे भी पंचायत भवन में लटका मिला ताला 

द सूत्र की रिपोर्टिंग टीम 25 नवंबर को दोपहर करीब 11 बजे जैत पहुंची। इस दिन कोई सरकारी छुट्टी नहीं होने के बावजूद गुरुवार के दिन भी पंचायत भवन पर ताला लगा मिला। यहां दीवार पर लिखे पंचायत सचिव सत्यनारायण तिवारी के मोबाइल फोन नंबर पर कॉल किया तो पता चला कि वो एक गमी में शामिल होने के लिए नेमावर गए हुए हैं। पंचायत सचिव ने जानकारी देने के लिए चौकीदार सुनील को भेज दिया। सुनील ने बताया कि जैत ग्राम पंचायत की सरपंच तो रति बाई हैं, वे घरेलू कामकाज संभालती हैं। लिहाजा पंचायत के संरपंच की जिम्मेदारी उनके पति रतनलाल संभालते हैं। इसके बाद सुनील से सरपंच पति रतनलाल को फोन लगाकर बातचीत करने के लिए बुलाने का आग्रह किया। जिससे द सूत्र की टीम उनसे गांव में करीब चार साल पहले यानी 2018 में शुरू की गई नल-जल योजना की मैदानी हकीकत जान सके।

केस नंबर 1- सीएम से शिकायत के बाद मुकेश के घर में सिर्फ एक दिन आया नल 

सरपंच पति से जानकारी हासिल करने के बाद द सूत्र की टीम जैत गांव के उन मोहल्लों तक पहुंची, जहां के रहवासियों ने अपने विधायक और प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से गांव में नल-जल योजना शुरू हो जाने के बाद भी घरों में लगे नलों में पानी न आने की शिकायत की थी। टीम ने सबसे पहले शिकायतकर्ता मुकेश का घर तलाशा। मुकेश ने बताया कि उनके मकान में  एक महीने पहले ही नल लगा है। लेकिन उसमें कभी-कभी ही पानी आता है। 6 नवंबर को गांव में सीएम के प्रवास के दौरान यह मुद्दा उठने पर उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की। उनसे शिकायत के बाद मुकेश के मकान में लगे नल में दूसरे दिन 7 नवंबर को थोड़ी देर के लिए पानी आया था। इससे खुश मुकेश और उसके परिजनों को इस बात का संतोष हुआ कि चलो सीएम से शिकायत करने के बाद नल में पानी आना तो शुरू हुआ। लेकिन उनकी यह खुशी दूसरे दिन ही काफूर हो गई क्योंकि 7 नवंबर के बाद से फिर नल में पानी नहीं आया। उनके घर पहुंची द सूत्र की टीम को 25 नवंबर को भी नल की टोंटी सूखी ही मिली। 

केस नंबर-2: घरों में नल तो लगा दिए लेकिन ऊंचाई के कारण नहीं आता पानी

जैत के दूसरे रहवासी किशोरीलाल सराठे के परिजन ने बताया कि पंचायत की नल-जल योजना के तहत उनके मकान में नल तो लगा है लेकिन उसमें कभी भी पानी नहीं आया। इसका कारण गांव में उनका मकान ज्यादा ऊंचाई पर बना होना है। आस-पास के दूसरे घरों में भी नल तो लगे हैं लेकिन उनमें ऊंचाईं के कारण पानी नहीं आता। उनसे बातचीत के दौरान वहां से गुजर रहीं कुछ महिलाओं ने नाराजगी भरे लहजे में बताया कि कहने को तो गांव में नल-जल योजना है लेकिन उससे आधे घरों नल लगे होने के बाद भी पानी नहीं आता। पंचायत में शिकायत करने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं होता।     

केस नंबर-3 नाली में बहती गंदगी के बीच डाले पानी के पाइप 

द सूत्र की टीम को मुख्यमंत्री के गृह ग्राम के एक मोहल्ले में बह रही नाली के बीचों बीच पीने के पानी के पाइप निकले हुए मिले । ग्रामीणों ने बताया कि 5-7 दिन पहले ही ये पाइप पीएचई वाले लगाकर गए है। नाली के गंदे पानी के बीच नल के पाइप लगाए जाने के सवाल पर उन्होंने बताया कि टोकने के बाद भी पीएचई ठेकेदार के कर्मचारी इन्हें ऐसे ही लगाकर चले गए। उन्हें तो बस नल के कनेक्शन लगाने से मतलब था, उन्होंने ये भी नहीं देखा कि यहां गंदा पानी इकट्ठा होता है। 

केस नंबर-4 मुन्नालाल के यहां नल तो लगाया लेकिन उसमें पानी नहीं आया

एक अन्य रहवासी मुन्नालाल ने बताया कि 6 नवंबर को गांव में आए सीएम शिवराजसिंह चौहान की फटकार के बाद पीएचई वालों ने उनके घर पर नल तो लगा दिया लेकिन उसमें एक भी दिन पानी नहीं आया। उन्होंने बताया कि विभाग का कोई भी अधिकारी ग्राउंड पर यह चेक  करने नहीं आया कि नल लगाने के बाद उसमें पानी आ भी रहा है या नहीं। उनसे बातचीत के दौरान द सूत्र की टीम को देखकर रास्ते से गुजर रही बुजुर्ग महिला बोलैया बाई ने अपने घर में भी नल लगवा देने की गुहार लगाई। उन्होंने बताया कि पता नहीं क्यों उनके घर में नल नहीं लगाया जा रहा है। इसके अभाव में उनके परिवार की महिलाओं को पानी भरने  के लिए रोजाना मशक्कत करनी पड़ती है। 

निगरानी के अभाव में आधी-अधूरी नल-जल योजना 

मुख्यमंत्री के पैतृक ग्राम जैत समेत बुधनी विधानसभा के  70 गांवों के लिए 2018 में नल-जल योजना बनाई गई थी। इसे अमल में लाने का काम दिल्ली की प्राइवेट फर्म जिंदल वाटर इंफ्रा लिमिटेड से कराया गया। लेकिन योजना शुरू होने के 4 साल बाद भी गांव के पूरे घरों में पानी नहीं पहुंचा है। सरपंच पति रतनलाल ने बताया कि योजना का ठेका लेने वाली कंपनी ने ठीक से काम नहीं किया। अधिकारियों ने भी ठीक से निगरानी नहीं की। नतीजा यह हुआ कि गांव में पाइप लाइन बिछाने और लोगों के घरों में नल लगाने के बाद भी अब तक पानी पहुंचना शुरू नहीं हुआ है। गांव के कई घरो में में तो 6 नवंबर को सीएम की फटकार के बाद अब जिम्मेदार अधिकारियों को पाइप लाइन चेक करने और गांव के बाकी बचे लोगों के घरों में नल कनेक्शन करने का होश आया है। 

पुरानी पाइप लाइन हो गई चोक, अब डाल रहे नई पाइप लाइन 

जैत के रहवासियों पानी की समस्या के बारे में जानने के बाद द सूत्र की टीम ने गांव का मैदानी जायजा लिया तो देखा कि पीएचई के ठेकेदार अब गांव में नए सिरे से नई पाइप लाइन डाल रहे हैं। मतलब साफ है चार साल पहले डाली गई पाइप लाइन और उस पर खर्च किया गया टैक्स पेयर्स का पैसा पानी में चला गया है। इस बारे में पीएचई ठेकेदार ब्रजेश रघुवंशी ने बताया कि पुरानी लाइन जगह-जगह चोक हो गई है। उसे ठीक करने के लिए रोड खोदनी पड़ेगी। विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर महेश अहिरवार ने अब 600 मीटर की नई लाइन डालने को कहा है। ताकि नल-जल योजना के लिए बनाई गई पुरानी टंकी में पानी पहुंचाया जा सके। नई पाइप लाइन डल जाने के बाद बाद जैत में पानी की समस्या हल हो जाएगी।

सीएम के निर्देश के बाद न कलेक्टर आए, न कमिश्नर

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने पिछले महीने 6 नंबर को नल-जल योजना के अमल में लापरवाही सामने आने के बाद समस्या के समाधान के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था। साथ ही कलेक्टर और संभाग कमिश्नर को 15 दिन बाद दौरा कर समस्या के समाधान को लेकर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। लिहाजा द सूत्र की टीम ने जैत से लेकर शाहगंज तक पीएचई के अधिकारियों को ढूंढ़ा लेकिन कोई जिम्मेदार कर्मचारी- अधिकारी नहीं मिला। तब पीएचई के असिस्टेंट इंजीनियर अरुण जायसवाल का मोबाइल फोन नंबर तलाशकर उनसे बात की। उन्होंने बताया कि 6 नवंबर के बाद से वे लगातार क्षेत्र में दौरा कर रहे हैं। उनसे सीएम के निर्देश के बाद सीहोर जिले के कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर या डिवीजनल कमिश्नर गुलशन बामरा के दौरे के बारे में पूछे जाने पर इस बारे में कोई जानकारी ना होने से इनकार किया। इसके बाद एग्जीक्यूटिव इंजीनियर महेश अहिरवार से चर्चा करने पर पता चला कि 23 नवंबर को कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर की जैत और बकतरा दौरे की सूचना थी लेकिन बाद में उनका टूर कैंसल हो गया।

कमिश्नर से चीफ इंजीनियर से प्रोग्रेस रिपोर्ट लेने को कहा

द सूत्र ने इस मामले में भोपाल संभाग के कमिश्नर गुलशन बामरा से चर्चा के लिए उनके ऑफिस में संपर्क किया तो पता चला कि वे बाहर हैं। इसके बाद उनके मोबाइल फोन पर बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। उन्हें वाट्सएप पर मामले की जानकारी देते हुए मैसेज किया तो उन्होंने पीएचई के चीफ इंजीनियर सुबोध जैन का कॉन्टैक्ट नंबर शेयर करते हुए जैत के मामले में उनसे प्रोग्रेस रिपोर्ट लेने को कहा।  

सीएम के दौरे के बाद काम की प्रोग्रेस देखने कलेक्टर भी नहीं गए जैत 

भोपाल संभाग के कमिश्नर के बाद द सूत्र संवाददाता ने सीहोर के कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर को भी व्हाट्सएप मैसेज कर उनसे नल-जल योजना के मामले में मुख्यमंत्री के निर्देश पर अमल और 15 दिन में जैत का दौरा कर प्रोग्रेस रिपोर्ट के बारे में पूछा। उन्होंने मैसेज के जवाब में लिखा कि मैं जैत की प्रोग्रेस रिपोर्ट चेक कराता हूं। 6 नवंबर के बाद उनके जैत के दौरे के सवाल पर पहले उन्होंने बताया कि वे एक बार जा चुके हैं। जब उन्हें याद दिलाया कि आपका एक दौरा तो कैंसल हो गया था तब उन्होंने माना कि वे मुख्यमंत्री के 6 नवंबर के दौरे के बाद जैत नहीं गए हैं।

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