गायों की मौत: बीमारी की धारा में केस; गोहत्या में दर्ज होता तो कड़ी सजा होती

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Pooja Kumari
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गायों की मौत: बीमारी की धारा में केस; गोहत्या में दर्ज होता तो कड़ी सजा होती

भोपाल. मध्य प्रदेश की पहली गौ कैबिनेट बैठक में 22 नवंबर 2020 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने कहा था- ‘गाय की माता की तरह देखभाल करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।’ देखभाल करना तो दूर, जिम्मेदारों की लापरवाही से जो गायें दम तोड़ रही हैं, उन्हें भी न्याय नहीं मिल रहा है। ताजा मामला भोपाल के बैरसिया में भाजपा नेत्री निर्मला देवी शांडिल्य की गौशाला का है। यहां 30 जनवरी को कुएं में 20 गायों के शव, मैदान में 80 से ज्यादा गायों के शव और कंकाल पड़े मिले। 





मामले में सरकार की ओर से न्यायिक जांच के आदेश (Judicial Enquiry Order) दिए गए हैं, पर मामले में जो एफआईआर दर्ज की गई, उस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। दिग्विजय सिंह लगातार गौशाला के संचालक मंडल पर गोहत्या का मामला दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। दरअसल, जो एफआईआर हुई, उसमें गौशाला संचालिका के खिलाफ आईपीसी की धारा-269, 270 के तहत केस दर्ज किया गया है। यह धारा बीमारी फैलाने के लिए किए गए गैर जिम्मेदाराना काम के लिए लगाई जाती है। यदि केस मध्य प्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम 2004 के तहत दर्ज किया जाता तो इसमें ज्यादा कड़ी सजा का प्रावधान था। 





ये है पूरा मामला: भोपाल के बैरसिया स्थित गौशाला (cow shelter death) में रविवार को 100 से ज्यादा गायों की मौत का मामला सामने आया था। इस गौशाला का संचालन 20 सालों से भाजपा नेत्री निर्मला देवी शांडिल्य कर रही है। जानकारी के अनुसार, गौशाला में मृत गायों के जो कंकाल मिले, वे 6 महीने तक पुराने हैं। इनमें से 8 गाय की मौत 29 जनवरी को ही हुई है। 





क्या है IPC की धारा 269, 270: भारतीय दंड संहिता यानी IPC की धारा 269 के तहत किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया गैर-जिम्मेदाराना काम आता है। इससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। इस धारा के तहत अपराधी को 6 महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है। वहीं, IPC की धारा 270 में किसी जानलेवा बीमारी को फैलाने के लिए किया गया घातक या फिर नुकसानदायक काम आता है। इससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। इस धारा के तहत नुकसानदेह शब्द ये दर्शाता है कि आरोपी ने जानबूझकर ये कदम उठाया है। दोनों ही धाराओं में सजा की अवधि लगभग समान ही है। 





क्या है गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम: मध्य प्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम 2004 प्रदेश में गौवंश को संरक्षण प्रदान करता है। अधिनियम की धारा 4, 5 और 6 के अनुसार, कोई भी ना तो गौवंश की हत्या करेगा और ना करवाएगा, ना हत्या करने के लिए गौवंश किसी को देगा। अधिनियम के तहत वध करने के लिए गौवंश के परिवहन पर भी बैन है। हत्या कर गौ-मांस रखने पर भी रोक है। अधिनियम में वध शब्द को परिभाषित भी किया गया है। इसके अनुसार, गौवंश को शारीरिक चोट पहुंचाना, जिसके बाद सामान्य स्थिति में भी गौवंश की मौत हो जाए, उसे गौ हत्या ही माना जाएगा। अधिनियम की धारा-9 के अनुसार यदि कोई धारा 4, 5, 6 का उल्लंघन करता है तो 1 साल से लेकर 7 साल तक की जेल या 5 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। 





गाय की इस हालत के लिए कौन जिम्मेदार?





1. सरकार: सिर्फ कोरी घोषणाएं, हकीकत भरपेट भोजन तक नहीं: सरकार गाय को लेकर सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करती है, हकीकत इससे कोसों दूर है। एक गाय की भरपेट खुराक के लिए रोज 80 रुपए की आवश्यकता होती है। सरकार ने इसके लिए अनुदान राशि 20 रुपए तय की है, लेकिन सरकार की तरफ से आज तक ये 20 रुपए भी कभी नहीं दिए। प्रदेश में अभी 627 प्राइवेट और मुख्यमंत्री गौसेवा योजना से बनी 951 गौशालाओं (Ground report on cow shelter) में करीब 1 लाख से ज्यादा गौवंश है। कायदे से इनके सालभर खाने के लिए ही 300 करोड़ की जरूरत है, लेकिन सरकार की ओर से इतना कभी बजट दिया ही नहीं गया। कमलनाथ सरकार में गौशालाओं के लिए 150 करोड़, जबकि 2021-22 में शिवराज सरकार ने 60 करोड़ का ही प्रावधान किया। यानी सरकार चाहे कांग्रेस की हो या बीजेपी की, दोनों ने ही गौशालाओं की जरूरत के मुताबिक बजट नहीं दिया।





2. स्टाफ की कमी: बुलाने पर भी गाय को देखने नहीं पहुंचते डॉक्टर: प्रदेश के पशुपालन विभाग में स्टाफ की भारी कमी है। आलम यह है कि वेटरनरी असिस्टेंट सर्जन के 229 पद खाली पड़े हुए हैं, सिर्फ राजधानी में एक वेटनरी असिस्टेंट सर्जन कार्यरत है। फील्ड पर गौशालाओं के नियमित निरीक्षण की जिम्मेदारी असिस्टेंट वेटरनरी फील्ड ऑफिसर के साथ-साथ पशु चिकित्सकों की है, लेकिन इनके भी सैकड़ों की संख्या में पद खाली पड़े हुए हैं। आलम यह है कि गौशाला संचालकों के बुलाने पर भी गंभीर बीमार या घायल गायों को देखने डॉक्टर पहुंचते ही नहीं है, इलाज के अभाव में गाय तड़प-तड़पकर दम तोड़ देती है।





3. लाचारी: विभाग के मंत्री को ही नहीं जानकारी: गौशालाओं में गायों की दुर्दशा को लेकर द सूत्र संवाददाता ने 11 जनवरी को जब पशुपालन विभाग के मंत्री प्रेम सिंह पटेल से बात की थी तो उनके जवाब से जाहिर हो गया था कि उन्हें गौशालाओं की दुर्दशा की जानकारी ही नहीं है। वे कहते हैं कि कोरोना प्रकोप के चलते वे अभी कहीं दौरान नहीं कर पाए हैं। उनका कहना है कि सरकार सभी अनुदान प्राप्त गौशालाओं को राशि जारी कर रही है। हो सकता है कि कोरोना संकट के चलते कहीं भुगतान में थोड़ी बहुत देर हो रही हो। जब उन्हें भोपाल के पास तूमड़ा गांव की गौशाला में मरणासन्न गायों की हालत के बारे में जानकारी दी गई तो वे बात टाल गए। बोले- बाद में बात करते हैं।  





तूमड़ा की गायों ने इलाज के अभाव में तोड़ा दम: 13 जनवरी को द सूत्र ने अपने खास बुलेटिन सूत्रधार में गौशालाओं में गायों की दुर्दशा की खबर को प्रमुखता से उठाया था। द सूत्र ने अपनी इस खबर में तूमड़ा की श्रीकृष्ण गौशाला में कुछ गायों को दिखाते हुए यह अंदेशा जताया था कि जब तक यह खबर चले, हो सकता है कि इन गायों की मौत हो जाए। हुआ भी यही। द सूत्र जब श्रीकृष्ण गौशाला (तूमड़ा) पहुंची थी तो यहां 4 गायें मरणासन्न स्थिति में थीं। गौशाला के संचालक भगवान सिंह प्रजापति ने खुद कहा था कि यह गौशाला नहीं, मौत का कुआं है। उन्होंने गंभीर बीमार गायों के इलाज के लिए सरकारी पशु चिकित्सक को जानकारी दी थी, लेकिन वे कभी गायों को देखने गौशाला आए ही नहीं। नतीजा 4 में से 3 गायों की तड़प-तड़पकर मौत हो गई। प्रजापति के मुताबिक, डॉक्टर ने फोन पर ही इलाज बता दिया था, पर वे गौशाला उन्हें कभी देखने नहीं आए। डॉक्टर ने जो गोली बताई थी, हमने गायों को दी। एक गाय की जान तो बच गई, पर 3 की मौत हो गई।





भूख-प्यास से अब तक हो चुकी है कई गायों की मौत...







  • 2 जनवरी 2022 को उज्जैन के गांव पिपलिया बाजार की ऋषिकेश गौशाला में भूख-प्यास की वजह से 7 गायों ने दम तोड़ दिया। 



  • दिसंबर में चित्रकूट की गौशाला में गायों के शव को कुत्ते के नोंचने का वीडियो वायरल हुआ था। यहां भूसे और पानी की व्यवस्था नहीं होने से 2 गायों ने दम तोड़ दिया था।  


  • मुरैना की देवरी गौशाला में अक्टूबर महीने में भूख प्यास से गायों ने दम तोड़ दिया था। 


  • होशंगाबाद के हथनापुर गांव की गौशाला में 8 महीने पहले 6 गाय और 2 बछड़ों ने भूख-प्यास से तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया था। 






  • गौशालाओं की दुर्दशा के लिए अप्रशिक्षित संचालक जिम्मेदार: पशुपालन मंत्री के बाद द सूत्र ने गौसंवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी से पूर्व में बात की थी। गौशालाओं की दुर्दशा के सवाल पर उन्होंने बताया कि सरकार इन्हें व्यवस्थित करने के लिए 900 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। अब यदि कोई इसका संचालन ठीक से नहीं कर पा रहा है तो इसका कारण संचालक का अप्रशिक्षित होना है। यदि अप्रशिक्षित लोग गौशालाएं चलाएंगे तो अव्यवस्था तो होगी ही।  





    गृहमंत्री बोले- 6 गाय बुजुर्ग और 3 की मौत बीमारी से हुई: गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पूरे मामले को लेकर कहा कि इस पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच कराई जाएगी। इस संबंध में प्रशासन को निर्देश दिए हैं। यह मामला संज्ञान में आते ही 9 गायों का पीएम कराया गया। इसमें इस बात की पुष्टि हुई कि 6 गाय बुजुर्ग होने के कारण मौत हुई। 2 गाय निमोनिया होने और 1 गाय की लिवर खराब होने के कारण मौत हुई। इस मामले में तत्काल गौशाला संचालक के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई। गौशाला का संचालन सरकार ने अपने हाथ में ले लिया है। यहां मेडिकल कैंप लगाया गया है। गायों को अन्य गौशालाओं में शिफ्ट कराया जा रहा है।





    अनुदान की जांच की मांग: पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि जो लोग गौमाता को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं, बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, गौ कैबिनेट बनाने की बात करते हैं। आज उनकी सरकार में प्रदेशभर में गौमाता रोज अकाल मृत्यु का शिकार हो रही हैं। नाथ ने शिवराज सरकार से मांग की कि प्रदेशभर में गौशालाओं को दिए जा रहे अनुदान की राशि की भी जांच हो। यह बात भी सामने आई है कि बैरसिया की इस गौशाला को भी पिछले कई वर्षों में लाखों का अनुदान दिया गया, इसे कहां खर्च किया गया, इसके बाद भी चारे के अभाव में, भूख से गायों की मौतें हो रही हैं। क्या अनुदान की राशि और चारे की राशि में भी भ्रष्टाचार किया जा रहा है, चारे की राशि को भी डकारा जा रहा है? 





    गौशाला संचालक मंडल को बचा रही बीजेपी: पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाए कि पूरी बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद और मामू गैंग गौशाला संचालक मंडल को बचाने में लग गई है। यह सभी तथाकथित हिंदू धर्म संरक्षक केवल धर्म का चोला ओढ़कर राजनीति करते हैं। इन्हें ना हिंदू धर्म से मतलब है ना गौसेवा से, उन्हें धर्म का दुरुपयोग कर सत्ता हासिल कर पैसा कमाना है।





    एक्सपर्ट कमेंट- स्पेशल एक्ट के तहत दर्ज होना था मामला: वरिष्ठ अधिवक्ता मानव तनवानी ने कहा कि संविधान की धारा-48 के अनुच्छेद के तहत सरकार का यह दायित्व है कि वह गौवंश की रक्षा करे। मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम 2004 इसलिए ही बनाया गया है। लेकिन इसका सही तरीके से पालन हो नहीं रहा है, जिससे इस तरह के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। बैरसिया वाले मामले में इसी स्पेशल एक्ट के तहत मामला दर्ज होना था, पर ऐसा लग रहा है कि किसी व्यक्ति विशेष के कारण इस धारा में मामला दर्ज नहीं किया गया।



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