कोयला कम मिल रहा, 2 राज्यों में भेजी जा रही बिजली, अघोषित कटौती, जानें सब

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Atul Tiwari
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कोयला कम मिल रहा, 2 राज्यों में भेजी जा रही बिजली, अघोषित कटौती, जानें सब

Bhopal. मध्य प्रदेश में बिजली संकट गहरा रहा है। मध्य प्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी के आका मेंटेनेंस की कमी के चलते ऐसा होने की बात कह रहे हैं। कंपी ने 22 हजार मेगावॉट बिजली का एग्रीमेंट किया है, लेकिन प्रदेश में जितनी खपत है, उतनी बिजली भी नहीं आ रही। जरूरत 12 हजार मेगावॉट की है, लेकिन 10 हजार मेगावॉट मिल रही है। 2 हजार मेगावॉट की कमी पूरी करने के लिए ग्रामीण इलाकों में अघोषित कटौती (Undeclared Cutting) की जा रही है। क्या मई तक बिजली संकट और गहराएगा? शहरों में भी अघोषित बिजली कटौती होने लगेगी? जानिए, आखिर कटौती की नौबत क्यों आन पड़ी?





कटौती की तीन वजहें







  • प्रदेश में सिंचाई के साधन बढ़े हैं। इसके चलते गर्मी में बड़े पैमाने पर सब्जी और उड़द-मूंग की खेती होने लगी है।



  • कोविड काल में 2 साल काफी उद्योग-धंधे बंद रहे। इस साल छोटे कुटीर उद्योग तेजी से चल रहे हैं।


  • प्रदेश में गर्मी भी काफी पड़ रही है। एसी-कूलर का यूज बढ़ गया है। शहर और कस्बों में बिजली की खपत बढ़ गई है।






  • पॉवर मैनेजमेंट का मिस-मैनेजमेंट





    MP पॉवर मैनेजमेंट कंपनी की कमान IAS विवेक पोरवाल के हाथ में है। कोरोनाकाल में शहर-कस्बे में बिजनेस एक्टिविटीज बंद थीं। तब भी बिजली की डिमांड गर्मी में 10 हजार मेगावॉट से 12 हजार मेगावॉट तक पहुंच रही थी। अप्रैल 2021 की बात करें तो डिमांड 10437 मेगावॉट थी। अप्रैल 2022 में डिमांड 12 हजार 200 मेगावॉट पहुंच चुकी है। अब कोविड से उबरने पर उद्योग धंधे फिर शुरू हो चुके हैं। बिजली की डिमांड बढ़ना तय था, लेकिन MP पॉवर मैनेजमेंट कंपनी इसका अंदाजा ही नहीं लगा सकी।





    इन चार वजहों से गहराया बिजली संकट







    • MP पॉवर जनरेटिंग कंपनी को थर्मल प्लांट्स चलाने के लिए रोज 12.5 रैक कोयला चाहिए। 8.6 रैक कोयला ही मिल रहा है। औसतन 1 रैक में 4 से 5 हजार मीट्रिक टन कोयला ढुलाई होती है।



  • पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने प्रदेश के हिस्से की 1005 मेगावॉट बिजली तो गुजरात और महाराष्ट्र में बांट दी। कंपनी के यह कहने पर कि हमें बिजली की जरूरत नहीं है। ऊर्जा विभाग ने NTPC (नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड- यह केंद्र सरकार का बिजली बोर्ड है। इसकी प्रदेश की बिजली में हिस्सेदारी होती है) की खरगोन की 330 मेगावाट बिजली महाराष्ट्र, शोलापुर की 295 व मोहदा की 380 मेगावॉट बिजली गुजरात को दे दी। पूरी गर्मी यानी 30 जून तक MP के हिस्से की बिजली दोनों प्रदेश में जाती रहेगी।


  • MP पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने 22 हजार मेगावाट बिजली को लेकर एग्रीमेंट किया है। यह बात अलग है कि इतनी बिजली प्रदेश को मिल ही नहीं रही। ऊपर से कंपनी ने मार्च में 33 करोड़ यूनिट बिजली बेच दी। कंपनी हर साल मार्च से अगस्त-सितंबर तक बिजली पॉवर एक्सचेंज में बेचती है। 1 यूनिट बिजली की कीमत 10 से 12 रुपए कंपनी को मिली। 1 किलोवॉट (1000 वॉट) प्रति घंटा का कोई इलेक्ट्रिकल उपकरण 1 घंटे इस्तेमाल करते हैं, तो उससे 1 यूनिट बिजली खपत होती है। 1 मेगावाट में 10,00,000 वाट होते हैं।


  • मार्च में कंपनी ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा को 5 करोड़ यूनिट बिजली दे दी। प्रदेश में बिजली की सबसे ज्यादा खपत रबी सीजन में होती है। डिमांड 16 हजार मेगावाट तक पहुंच जाती है। रबी सीजन के लिए कंपनी पॉवर बैकिंग करती है। यानी रबी के मौसम में कंपनी इतनी ही बिजली वापस ले लेगी। रबी की फसल अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती है। गेहूं, जौ, आलू, चना, मसूर, अलसी, मटर व सरसों रबी की प्रमुख फसलें हैं।






  • 22 हजार मेगावॉट बिजली के एग्रीमेंट में किसका-क्या?





    मध्य प्रदेश सरकार ने जो 22 हजार मेगावॉट बिजली का एग्रीमेंट किया है, जिसमें NTPC से 8300 मेगावॉट बिजली शामिल है। इसी तरह थर्मल पॉवर के तौर पर 6700, जल विद्युत के तौर पर 3066, हवा (विंड) से 2416, सोलर से 1560 और अन्य स्रोत से 1 मेगावॉट बिजली शामिल है। विंड मिल और सोलर प्लांट की बिजली मौसम पर निर्भर है।





    सबसे मॉडर्न प्लांट में प्रोडक्शन आधा





    सतपुड़ा थर्मल स्टेशन 2 और 3 में मप्र शासन की अनुमति के बिना 5 मार्च 2021 और 22 फरवरी 2020 से प्रोडक्शन बंद कर दिया गया है। सिंगाजी थर्मल स्टेशन-2 में 18 नवंबर 2018 और 28 मार्च 2019 से प्रोडक्शन शुरू हुआ। पर, अभी तक पूरी कैपेसिटी से उत्पादन नहीं हो पाया। इसके बावजूद पूर्णता का सर्टिफिकेट देकर 300 करोड़ रु. का पेमेंट कर दिया गया। सिंगाजी की यूनिट क्रमांक-2 को देश का सबसे मॉडर्न जापानी तकनीक पर निर्मित प्लांट बताया जाता है। इसमें 520 ग्राम कोयले की खपत पर 1 यूनिट बिजली उत्पादन होना चाहिए। लेकिन, अभी तक ऐसा रिजल्ट नहीं मिला।





    एक्सपर्ट-अफसरों के तर्क





    MP पॉवर मैनेजमेंट के MD विवेक पोरवाल के मुताबिक, प्रदेश में मेंटेनेंस के चलते बिजली कट रही है। संकट नहीं है। ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे के मुताबिक, NTPC की बिजली बेचने से कंपनी को 500 करोड़ की बचत होगी। बिजली के जानकार पूर्व इंजीनियर एके अग्रवाल के मुताबिक, NTPC की बिजली सरेंडर करने से सिर्फ 190 करोड़ की बचत होगी।





    बीजेपी विधायक ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी





    MP पॉवर मैनेजमेंट के MD मेंटेनेंस का हवाला देकर बिजली कटौती की बात कह रहे हैं। इधर, पाटन विधानसभा से BJP विधायक अजय विश्नोई ने CM शिवराज सिंह चौहान को लेटर में लिखा है कि बिजली प्रोडक्शन कम हो रहा है। उन्होंने लिखा- अगर बिजली कटौती जरूरी ही है तो इसे शेड्यूल किया जाए। 



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