रायसेन. फसल के ज्यादा नुकसान होने के बावजूद सरकारी महकमे द्वारा उसका कम आकलन करने की शिकायतें अक्सर आती हैं, लेकिन ज्यादातर आवेदकों के हिस्से में चक्कर काटना ही आता है। रायसेन के मेहगांव के एक युवा किसान ने हक के लिए कलेक्टर से लेकर, पीएमओ तक लड़ाई लड़ी। इस लड़ाई में उन्हें कामयाबी मिली।
2013 में मेहगांव के हलका नंबर 51 में महज 195 हेक्टेयर रकबे में ही सोयाबीन की फसल को नुकसान मानकर 31 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि दी गई थी। किसान बृजेंद्र बघेल (27) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में शिकायत की। इसके बाद वहां से प्रदेश में प्रमुख सचिव (कृषि) को पत्र लिखकर फिर से जांच कराने की निर्देश दिए गए।
नोडल बैंक में रकम जमा: विभाग ने सोयाबीन की फसल में हुए नुकसान की फिर से जानकारी जुटाई तो रकबे का आंकड़ा बढ़कर 1333 हेक्टेयर हो गया। इससे क्षतिपूर्ति राशि भी 31 लाख के अलावा एक करोड़ 91 लाख 52 हजार 629 रुपए बीमा कंपनी द्वारा जारी किए गए। इसको लेकर एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड के डिप्टी एमडी डॉ.एमडी गुप्ता बृजेंद्र बघेल को पत्र लिखकर यह जानकारी दी है। कंपनी ने पत्र में बताया कि रकम जिले के नोडल बैंक में जमा करा दी गई है।
भू-अभिलेख ने मानी अपने ऑफिस की गलती: जब बृजेंद्र ने पीएमओ और केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्र लिखकर शिकायत की तो प्रदेश के प्रमुख सचिव कृषि राजेश राजौरा ने कलेक्टर का पत्र लिखकर निर्देश दिए। इसके बाद जांच में पता चला कि भू अभिलेख कार्यालय (Land Records Office) ने नुकसान की गलत जानकारी फीड कर दी थी, जो बाद में सुधारी गई। इतना ही नहीं, रायसेन के सभी 79 हलकों में रकबा बढ़ाकर 49 हजार 401 हेक्टेयर माना गया। अब इसी बढ़े हुए रकबे के हिसाब से क्षतिपूर्ति राशि जारी की गई है।
इंसाफ के लिए 80 हजार किए खर्च: किसानों को उनका हक दिलाने के उद्देश्य से बृजेंद्र बघेल ने हाईकोर्ट में भी याचिका लगाई थी। इस पूरी प्रक्रिया में उन्होंनें करीब 80 हजार रुपए खर्च कर दिए। हालांकि, गांव के कुछ युवकों ने उनका सहयोग भी किया। उनकी इस पहल से पूरी रायसेन तहसील को लाभ मिला है।
(रायसेन से अंबुज माहेश्वरी की रिपोर्ट।)