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दमोह. कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री राजा पटेरिया का एक विवादास्पद बयान सामने आया है। उन्होंने दमोह में आदिवासियों का पक्ष लेते हुए पुलिस अधिकारियों को धमकी दी कि यदि न्याय नहीं मिला तो इन आदिवासियों को नक्सली बना देंगे।
पटेरिया आदिवासी वनवासी दलित संघ चलाते हैं। इसके तहत वे दमोह और पन्ना जिले के रैपुरा गांव में सदस्यता अभियान के लिए जगह-जगह पहुंच रहे हैं। आदिवासियों ने 2 फरवरी को उन्हें बताया कि वन विभाग ने पुलिस की मदद से वनभूमि पर खड़ी उनकी फसलों को बर्बाद कर दिया। महिलाओं के साथ बदसलूकी भी की। इस पर पूर्व मंत्री पटेरिया नाराज हो गए और उन्होंने मौके से ही उस क्षेत्र के रेंजर, डिप्टी रेंजर और रैपुरा थाना प्रभारी को फोन लगाकर खरी-खोटी सुना डाली।
इसलिए पनप रहा नक्सलवाद: रैपुरा थाना प्रभारी से फोन पर बात करते हुए पूर्व मंत्री पटेरिया ने कहा कि क्षेत्र के आदिवासी जो 2005 के पहले से जंगल की जमीन पर काबिज हैं और खेती करके अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं, उन्हें हटाना गलत है। इस तरह आदिवासियों को परेशान करना, उनकी महिलाओं से मारपीट करना कानूनन गलत है। संसद में कानून पारित किया गया है कि जो भी आदिवासी 2005 के पहले से वनभूमि पर रह रहे हैं, उनको पट्टा दिया जाएगा। यही कारण है कि बस्तर और आंध्र प्रदेश में नक्सलवाद पनप रहा है। आदिवासियों को न्याय नहीं मिलेगा तो उन्हें मजबूरी में हथियार उठाने पड़ेंगे।
सरकारी ऑफिसों में तालाबंदी करेंगे: नक्सलवाद वाले बयान पर पटेरिया बोले कि आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है। उनकी फसलें बर्बाद की गईं, महिलाओं के साथ मारपीट हुई। इसलिए मैंने कहा था कि आदिवासियों के साथ इस तरह का अन्याय ही नक्सलवाद को जन्म देता है। मैंने प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस से कहा है कि यदि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो मैं गांव के सैकड़ों लोगों के साथ उस क्षेत्र के सभी सरकारी कार्यालयों में जाकर तालाबंदी करूंगा।
कौन हैं राजा पटेरिया: पटेरिया 1998 से 2003 तक दिग्विजय सिंह की कांग्रेस सरकार में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष हैं। समय-समय पर विधानसभा प्रत्याशी के लिए दावेदारी भी करते रहते हैं।