BHOPAL: आज विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस है। पिछले कुछ सालों में देशभर में आत्महत्या का ग्राफ तेज़ी से बढ़ा है। बीमारी, पारिवारिक समस्याएँ, बेरोजगारी, क़र्ज़, और करियर के चलते लोग ज़िन्दगी छोड़ मौत को चुन रहे हैं। साल 2021 में भारत में 1 लाख 64 हज़ार 33 लोगो ने मौत को गले लगा लिया। इसी दौरान देश में आत्महत्या की दर भी बढ़कर साल 2020 के 11.3 से बढ़कर 12 हो गई है। सुसाइड के इस बढ़ती मानसिकता से मध्य प्रदेश भी अछूता नहीं रहा है और यहाँ भी आत्महत्या के केसेस लगातार बढ़ते ही जा रहें है। आत्महत्या के मामले में देशभर में मुंबई और तमिलनाडु के बाद मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर आता है। प्रदेश में पिछले एक साल में 14 हजार 965 लोगों ने जिंदगी से हताश होकर मौत को गले लगा लिया। भोपाल में जहां 566 लोगो ने मौत को चुना, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में क्रमशः 737, 214 और 320 लोगों ने मौत को चुना। पूरे देश के आत्महत्या के मामलों में मध्य प्रदेश की 9.1% की भागीदारी है। साल 2020 की तुलना में साल 2021 में 2.7% ज्यादा सुसाइड केस हुए हैं। इतना ही नहीं राज्य में सुसाइड की दर राष्ट्रीय दर 12 से कहीं ज्यादा है यानी 17.8।
मध्य प्रदेश में सुसाइड के विभिन्न आंकड़े
- वर्ष 2021 में MP में हुई आत्महत्याएँ: 14,965
वर्ष 2021 में प्रदेश के मुख्य शहरों में हुई आत्महत्याएँ
- भोपाल: 566
नहीं रुक रही बेरोजगारों, मजदूरों और किसानों की आत्महत्याएँ
सरकार की बड़ी-बड़ी बातों और योजनाओं के बावजूद साल 2021 में करीब साढ़े चार हज़ार दिहाड़ी मजदूरों और 400 से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या कर ली। डेढ़ हज़ार किसानों और खेती-किसानी करने वाले लोगो ने मौत को गले लगा लिया। करीब तीन हज़ार गृहणियों ने भी साल 2021 में आत्महत्या कर ली। मध्य प्रदेश में 3,360 सुसाइड के केसेस ऐसे लोगो के थे जो मिडिल-लेवल के पढ़े-लिखे थे, वहीं 2,468 अनपढ़ लोगो ने भी सुसाइड का ली
पेशे के अनुसार आत्महत्याएँ
- स्वयं का कारोबार, वेंडर, दस्तकार और, बाकी बिज़नेस करने वाले: 5,074
आत्महत्या के कारण
- बीमारी के कारण आत्महत्या के केसेस: 3132
सामूहिक सुसाइड के केस बढे: एक चौकाने वाले आंकड़े के अनुसार मध्य प्रदेश में कुल 19 मामले ऐसे रहे जिसमें लोगों ले सामूहिक आत्महत्या कर ली। अकेले राजधानी भोपाल में 5 ऐसे मामलने दर्ज़ हुए, तो इंदौर में 2 परिवारों में आत्महत्या कर ली।
सामूहिक सुसाइड के केस
- मध्य प्रदेश:19 मामले
आत्महत्या को समय पर काउंसलिंग से 100% रोका जा सकता है; नहीं हैं MP में कोई सरकारी 24x7 सुसाइड काउंसलिंग हेल्पलाइन
राज्य में आत्महत्याओं के इस तेज़ी से बढ़ते ग्राफ के बावजूद भी मध्य प्रदेश में एक भी सरकार द्वारा संचालित हेल्पलाइन नहीं है जो सिर्फ सुसाइड प्रिवेंशन के लिए चलती हो....जिससे मदद की ज़रूरत वाले लोगों को जोड़ा जा सके। महिला और बाल विकास विभाग, शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग जरूर महिलाओं, बच्चों और किशोरों के लिए हेल्पलाइन चलाते हैं, लेकिन राज्य में कोई समर्पित आत्महत्या बचाव हेल्पलाइन नहीं है। ऐसा तब जबकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि आत्महत्या मृत्यु का एक ऐसा कारण है जिसे समय पर काउंसलिंग से 100% रोका जा सकता है। कुछ एनजीओ द्वारा चलाई जा रही हेल्पलाइन इस कमी को कुछ हद तक पूरा करने में मदद कर रहीं हैं पर वो काफी नहीं। इसीलिए 24x7 सुसाइड हेल्पलाइन की सख्त जरूरत है।
2022 के अंत तक MP सरकार लाएगी देश की पहली सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी
हालाँकि, राज्य सरकार सुसाइड की इस बढ़ती मानसिकता से अब जाकर चेती है और उसे रोकने के लिए सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी लाने की तैयारी कर ली है। अगर ये पालिसी आ जाती है तो MP देश का पहला ऐसा राज्य होगा जो सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी/आत्महत्या रोकथाम नीति लाएगा। इस पॉलिसी के जरिये आत्महत्या के पीछे के सभी कारणों जैसे आर्थिक सामाजिक, मनोवैज्ञानिक का विश्लेषण करते हुए हर घटक पर अध्ययन कर उसके अनुसार से नीति पर क्रियान्वयन किया जाएगा। जानकारी के अनुसार नीति तैयार होने का काम अंतिम चरण में है... और वर्ष 2022 के आखिरी तक पॉलिसी को प्रदेश में लागू करने की योजना है।
पॉलिसी का निर्माण चिकित्सा शिक्षा विभाग ने किया है।
टास्क फोर्स बनाई गई, 2 माह में प्रस्तुत होगी रिपोर्ट
प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जानकारी दी कि नीति तैयार करने के लिए एक कमेटी/टास्क फोर्स गठित की गई है। इस कमेटी में डॉक्टर, साइकोलॉजिस्ट और साइकेट्रिस्ट - मुम्बई के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. हरिश शेट्टी, पुणे के डॉ. ऋषिकेश वी. बेहरे, भोपाल के डॉ. सत्कान्त त्रिवेदी, नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. डी विजय कुमार, मालवांचल विश्वविद्यालय के प्रो-वाईस चांसलर डॉ. रामगुलाम राजदान, एम्स के डॉ. विजयेन्द्र सिंह, वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. आर.एन. साहू, एल. एन. यूनिवर्सिटी के डीन डॉ. डी के. सत्पथी, डॉ. राहुल रोकड़े और डॉ. जे.पी. अग्रवाल -आदि को शामिल किया गया हैं। ये कमेटी आत्महत्या के मुख्य वज़हों पर स्टडी कर इस नीति को बनाने में मदद करेगी। आत्महत्या रोकथाम रणनीति के लिए उप समितियों का गठन किया जाएगा। यह समितियाँ 2 माह में अपनी रिपोर्ट देगी। इसके संकलन के बाद संपूर्ण दस्तावेज को अंतिम स्वरूप दिया जाएगा।
'आत्महत्या' की प्रवृत्ति वाले लोगो को देखे तो करें ये उपाय
- जागरूकता: ध्यान रखे के कहीं आपके परिवार, दोस्तों या आपके आसपास कोई डिप्रेशन का शिकार तो नहीं...ज्यादातर डिप्रेशन के मामलों में लोग आत्महत्या करने को प्रेरित होते हैं।