हरीश दिवेकर, BHOPAL. अब गांव-गली मुहल्ले में खेले जाने वाले पारंपरिक खेलों के लिए भी सरकार अच्छा खासा फंड देगी। इसमें कंचे, लंगड़ी, सिथोलिया (पिट्टू), अष्ठा-चंगा, झूला, गिल्ली-डंडा और लुका-छिपी जैसे खेलों को भी इस श्रेणी में शामिल किया जाएगा। स्थानीय स्तर पर इनकी प्रतियोगिता कराने के लिए अच्छा खासा पैसा दिया जाएगा।
केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकार नई खेल नीति तैयार कर रही है। इसमें गांव और वार्ड से लेकर जिले और प्रदेश स्तर पर स्पोर्ट्स क्लब बनाए जाएंगे। इसके लिए खेल एवं युवा कल्याण विभाग जल्द ही नई पॉलिसी कैबिनेट में लाने की तैयारी कर रहा है।
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...ताकि खत्म ना हों पारंपरिक खेल
अब तक खेलों को बढ़ावा देने के पीछे सरकार का फोकस था कि गांव और शहर से अच्छे और उत्कृष्ट खिलाड़ी तैयार करना। अब सरकार खिलाड़ियों को तैयार करने का काम तो करेगी ही, साथ में गांव और गली मुहल्ले में खेले जाने वाले पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देकर एक नई पहल करने जा रही है। सरकार की मंशा है कि इससे स्थानीय स्तर खेले जाने वाले खेलों से लोगों को तनावमुक्त रखने और उनके जीवन में आनंद की अनुभूति का स्तर बढ़ाने में मदद मिलेगी। साथ में अपने गांव और शहर की परंपरागत ,खेलों को भी जीवित रखा जा सकेगा।
मध्य प्रदेश में नई पहल
मध्यप्रदेश इस तरह (पारंपरिक खेलों को लेकर) की खेल नीति बनाने वाला पहला राज्य होगा। हालांकि, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बिना नीति लाए जन्माष्टमी पर होने वाले दही हांडी प्रतियोगिता को खेल श्रेणी में शामिल करने का ऐलान कर दिया है। इस खेल का गोविंदा का नाम देते हुए इसमें होने वाली दुर्घटना पर 10 लाख रुपए के बीमा कवर देने का भी ऐलान किया है। मध्य प्रदेश सरकार भी पारंपरिक खेलों के लिए अच्छा खासा बजट रखने की तैयारी में है। इसमें आदिवासी क्षेत्रों के पारंपरिक खेलों को भी शामिल किया जाएगा। हर स्पोर्ट्स क्लब को हर खेल के लिए एक बजट मिलेगा। इसमें अब सास-बहू-बेटी जैसे पारिवारिक खेल भी शामिल होंगे।
मिशन 2024 की तैयारी
सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार अब प्रधानमंत्री आवास योजना और उज्ज्वला गैस योजना के बाद अब सीधे लोगों से खेल के माध्यम से जुड़ना चाहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं और महिलाओं को जोड़ने के लिए पारंपरिक खेल एक बेहतर माध्यम होंगे। इसमें खेल की कैटेगरी ग्रामीणों को ही तैयार करनी है। वे जिस खेल को खेलना चाहते हैं, सरकार उसके लिए फंड देगी। इसके लिए गांव के सरपंच की अध्यक्षता में स्पोर्ट्स क्लब भी बनाया जाएगा। इसमें गोटमार, बैलों की रेस, मुर्गों की लड़ाई से लेकर अन्य तरह के खेल भी शामिल हो सकेंगे।