भोपाल. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक ओर बड़ी घोषणा का बस्ता अफसरों ने बंद कर दिया है। शिवराज ने कोरोना की दूसरी लहर के चपेट में आए हजारों लोगों के परिवार को राहत दी थी। मुख्यमंत्री ने 20 मई को बीजेपी विधायकों की वर्चुअल बैठक में घोषणा की थी कि मध्यप्रदेश में कोरोना से मरने वालों के परिवार को सरकार की ओर से 1 लाख रुपए मुआवजा राशि दी जाएगी। उन्होंने जल्द ही इसका नियम बनाने की बात भी कही थी। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, हाल फिलहाल इस योजना को होल्ड पर रखा गया है।
अफसरों ने परेशानियां गिना दीं और...
सूत्रों का कहना है कि सचिवालय के अफसरों ने इस योजना को लागू करने में कई तरह की व्यावहारिक परेशानियां बताई हैं। सबसे बड़ी समस्या ये है कि कोरोना से मरने वाले ज्यादातर लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र (डेथ सर्टिफिकेट) पर मरने का कारण कोविड 19 नहीं लिखा होना है। ऐसी स्थिति में इन्हें 1 लाख की अनुग्रह राशि का लाभ नहीं मिलने से लोगों में सरकार को लेकर गुस्सा बढ़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिए थे
सुप्रीम कोर्ट ने जून में एक याचिका की सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि कोरोना से मरने वालों के परिजन को आपदा फंड से 4 लाख रुपए दिए जाएं। इसके लिए केंद्र नियम बनाकर राज्यों को निर्देशित करे। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर 6 हफ्ते में केंद्र से जवाब मांगा है। मुख्यमंत्री सचिवालय के अफसरों का कहना है कि यदि केंद्र से कोई निर्देश आते हैं, तब इस पर विचार किया जा सकता है।
कोरोना पीड़ित कर्मचारियों को नहीं मिलेगा 21 दिन का विशेष अवकाश
मध्यप्रदेश सरकार अब उन अधिकारी-कर्मचारियों को 21 दिन का विशेष अवकाश भी नहीं देगी, जो कोरोना की चपेट में आ गए थे। इसकी फाइल भी ठंडे बस्ते में चली गई है। सूत्रों के मुताबिक, सीएम सचिवालय के अफसरों का मानना है कि कोरोना के समय कार्यालय लगे ही नहीं, ऐसे में कोरोना पीड़ितों को विशेष अवकाश देना गलत होगा।
वित्त विभाग ने मध्यप्रदेश अवकाश नियम 1977 में बदलाव करने का प्रस्ताव तैयार सीएम कोऑर्डिनेशन में भेजा था। वित्त विभाग के प्रस्ताव में कहा गया था कि कोविड-19 का शिकार हुए अधिकारी-कर्मचारियों ने अपने-अपने हिसाब छुट्टी ले ली थी, किसी ने मेडिकल लीव ली, तो किसी ने ईएल। इन सबको देखते हुए कोविड 19 की 21 दिन का विशेष अवकाश का प्रावधान रखा गया था।