जबलपुर. मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है। 9 दिसंबर को चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डबल बेंच में करीब 40 मिनट तक सुनवाई हुई। चुनाव में आरक्षण प्रक्रिया (Reservation Process) को लेकर प्रदेशभर से याचिकाएं (Petitions) दायर की गई थीं। कोर्ट ने कहा कि ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior Bench) ने स्टे देने से पहले ही मना कर दिया था, तो बेंच बदलने से क्या होगा। कोर्ट ने कोई स्टे नहीं दिया। याचिकाकर्ता के वकील विवेक तन्खा ने कहा कि अब वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
स्टे लगाने की मांग की गई थी
हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं के जरिए जिला, जनपद और ग्राम पंचायत चुनाव में आरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना और मनमाने प्रावधानों को चुनौती देते हुए स्टे लगाने की मांग की गई थी। इस मामले में पहले पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव, पंचायत राज संचालनालय के आयुक्त सह संचालक समेत अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।
वरिष्ठ वकील शशांक शेखर की ओर से दायर याचिका में पंचायत चुनाव कराने को लेकर वर्षगत आधार पर चुनौती दी गई थी। वहीं, पुरानी याचिकाओं में कहा गया था कि राज्य सरकार ने 21 नवंबर 2021 को नोटिफिकेशन जारी कर आगामी पंचायत चुनाव में 2014 के आरक्षण रोस्टर के आधार पर चुनाव कराने की घोषणा की है। इसके पहले 2019-20 में पंचायत चुनाव का आरक्षण निर्धारित कर दिया गया था।
सिंगरौली के लल्ला प्रसाद ने सरकार के नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी
शिवराज सरकार ने आरक्षण (Reservation) की पुरानी व्यवस्था के आधार पर चुनाव कराने का फैसला लिया है। इस नोटिफिकेशन को सिंगरौली के लल्ला प्रसाद वैश्य ने याचिका दायर कर चुनौती दी थी। उनकी दलील थी कि सरकार ने 2019-20 का पंचायत चुनाव का रोस्टर निरस्त किए बिना ही नया नोटिफिकेशन जारी कर दिया, यह गैर-कानूनी (Illegal) है।
द-सूत्र ऐप डाउनलोड करें :
द-सूत्र को फॉलो और लाइक करें:
">Facebook | Twitter | Instagram | Youtube