बक्सवाहा: हीरों के लिए खनन पर HC का स्टे, कहा- ऐतिहासिक संपदा को नुकसान पहुंचेगा

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बक्सवाहा: हीरों के लिए खनन पर HC का स्टे, कहा- ऐतिहासिक संपदा को नुकसान पहुंचेगा

भोपाल. मंगलवार, 26 अक्टूबर को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में बक्सवाहा (Buxwaha) में हीरा खनन (Diamond Mining) के मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई में हाईकोर्ट (Highcourt) ने बक्सवाहा जंगल में हीरा खनन पर स्टे लगा दी है। स्टे के बाद वहां खनन का कोई भी काम हाईकोर्ट के निर्देश के बाद ही होगा। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आरवी मलिमथ और जस्टिस विजय शुक्ला की डबल बेंच ने कहा कि खनन से बक्सवाहा जंगल में पाई गई रॉक पेंटिंग (Rock Painting), मूर्तियां, स्तंभ को नुकसान पहुंचेगा। चंदेल (Chandel), कल्चुरी और पाषण काल की संपदा नष्ट हो जाएगी। गौरतलब है कि बक्सवाहा पर NGT के स्टे के बाद अब हाईकोर्ट का स्टे लगाना पर्यावरण प्रेमियों की बड़ी जीत है।

ढाई लाख पेड़ काटे जाएंगे

बक्सवाहा हीरा खदान का टेंडर बिड़ला ग्रुप के एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्री लिमिटेड कंपनी को मिला है। खदान आवंटित करने की सारी प्रक्रिया राज्य सरकार ने पूरी कर ली है और इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेज दिया है। बक्सवाहा की हीरा खदान का विरोध इसलिए हो रहा है कि यहां मौजूद हैं ढाई लाख पेड़, जिन्हें माइनिंग के लिए काटा जाएगा। यहां के लोग इन्हें कटने नहीं देना चाहते। उनका मानना है कि इससे पर्यावरण को खतरा है। उधर, सरकार को बक्सवाहा के जंगल के नीचे दफन साढ़े तीन करोड़ कैरेट हीरे का भंडार नजर आ रहा है। इसकी अनुमानित कीमत करीब 60 हजार करोड़ रुपए है।

खदान के लिए चाहिए बेहिसाब पानी

बक्सवाहा में यदि हीरा खदान को मंजूरी मिलती है तो जमीन से हीरा निकालने के लिए बेतहाशा पानी की जरूरत पड़ेगी, लेकिन बक्सवाहा क्षेत्र में पानी की किल्लत है। सेंट्रल ग्राउंड वॉटर की रिपोर्ट के मुताबिक, बक्सवाहा सेमी क्रिटिकल जोन में है। इसके भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए एक प्लान भी दिया गया है। यह सामान्य तथ्य है कि भूजल स्तर (Buxwaha Water Level) को बढ़ाने में पेड़ बेहद कारगर होते हैं।

ऐसे में जब सवा दो लाख पेड़ों को काटा जाएगा तो एक तरह से सूखे को दावत दी जा रही है। बिड़ला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड की प्री फिजिबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक हीरा खनन के लिए चट्टान के टुकड़ों को साफ करना जरूरी होगा और इसके लिए रोज 16,050 किलो लीटर पानी की जरूरत पड़ेगी। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) ने भी अपनी एक रिपोर्ट दी है, जिसके मुताबिक खनन के लिए जितने पानी की जरूरत होगी, उतना तो बारिश में रिचार्ज भी नहीं होता।

छिन सकता है टाइगर स्टेट का दर्जा

बक्सवाहा की हीरा खदान से महज 19 किमी दूर है पन्ना टाइगर रिजर्व (Panna Tiger Reserve)। बाघों की संख्या के मामले पिछले 13 साल में शून्य से शिखर पर पहुंचे पन्ना टाइगर रिजर्व की सक्सेस स्टोरी बताने की नहीं, इस पर नाज करने की जरूरत है। 2018 में हुई बाघों की जनगणना के मुताबिक, पन्ना टाइगर रिजर्व में 55 बाघ थे, लेकिन कुनबा दो सालों में बढ़ा है। अब यहां 75 बाघ बताए जाते हैं। मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का जो दर्जा हासिल है, उसमें पन्ना की भी भागीदारी है। हीरा खदान के कारण सीधा असर बाघों पर पड़ने जा रहा है। जाहिर है इसका सीधा असर टाइगर स्टेट के दर्जे पर भी आ सकता है।

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