गोधरा पर फिल्म बनाने की मांग करने वाले कौन हैं नियाज? 20 साल की जॉब, 19 ट्रांसफर

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Atul Tiwari
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गोधरा पर फिल्म बनाने की मांग करने वाले कौन हैं नियाज? 20 साल की जॉब, 19 ट्रांसफर

भोपाल. मध्य प्रदेश के सीनियर आईएएस अफसर नियाज खान इस वक्त काफी चर्चा में हैं। वजह है- द कश्मीर फाइल्स। पहले तो नियाज ने ये कहा कि मुसलमानों पर हुए अत्याचारों पर भी फिल्म बननी चाहिए। बाद में वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में कहा कि गोधरा दंगों पर भी फिल्म बने। इस पर विवाद हो गया। मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें नोटिस दे दिया है। नियाज खान अब तक 7 किताबें लिख चुके हैं। नियाज 20 साल की सर्विस कर चुके हैं, इस दौरान उनके 19 ट्रांसफर हुए। आइए जानते हैं नियाज खान के बारे में... 



2015 में चर्चा में आए: नियाज 2015 में गुना में अपर कलेक्टर (ADM) थे। इस दौरान गुना के खाद्य और औषधि विभाग ने शीतल पेय पदार्थ थम्सअप के सैंपल को जांच के लिए भोपाल की सरकारी लैब में भेजा था। जांच में दिखा कि थम्सअप ने बोतल पर फ्लेवर की जानकारी प्रिंट नहीं की है, जो पेय पदार्थ मानकों का उल्लंघन है। खाद्य विभाग की तरफ से यह मामला एडीएम कोर्ट में भेजा गया। कंपनी के नॉमिनी राजकुमार तिनकर, क्वालिटी एश्योरेंस मैनेजर (मप्)र और अनित कुमार पाल क्वालिटी एश्योरेंस मैनेजर (गुजरात), रुठियाई अग्रवाल ट्रेडर्स के अनिल अग्रवाल को आरोपी बनाया था।



मामला सामने आने के बाद उन्होंने बॉलीवुड स्टार सलमान खान, अक्षय कुमार और साउथ के कलाकार महेश बाबू को भी थम्सअप का प्रचार करने पर नोटिस भेजा। सलमान की तरफ से कोर्ट में जवाब पेश किया गया था।



...तब 1 महीने में हटाए गए: गुना में अपर कलेक्टर रहते हुए नियाज को जिला पंचायत सीईओ का चार्ज मिला था। इस दौरान उन्होंने देश का सबसे बड़ा ODF घोटाला खोला। जांच में पाया गया कि गांवों में स्वच्छता, मुक्तिधाम, पीएम आवास में करोड़ों का घोटाला हुआ। इस दौरान PM आवास और शौचालय घोटाले में 1,354 कर्मचारियों और अफसरों की सैलरी रोक दी। इनके खिलाफ FIR दर्ज कराई गई।



72 घंटे में गुना के 250 गांवों में मुक्तिधाम बनवा दिए थे। यही नहीं, वे स्कूल निर्माण घोटाला भी सामने लाए। इसमें 125 सरपंचों से 1.75 करोड़ की वसूली की गई थी। नतीजतन सरकार ने नियाज खान से जिला पंचायत सीईओ का प्रभार वापस ले लिया।



रसूखदारों के बुलडोजर चलाने में कोताही नहीं: नियाज 2006-07 में होशंगाबाद में पोस्टेड थे। उस समय पचमढ़ी में अवैध कब्जा हटाने के लिए पहली बार बुलडोजर इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने मशहूर लेखिका अरुंधति राय के पति प्रदीप किशन और फिल्मकार विक्रम भट्‌ट की बहन के बंगले से अवैध कब्जा हटाया था। उन्होंने पिपरिया और बनखेड़ी से एक दिन में 600 से ज्यादा अतिक्रमण हटवाए थे। यहां अवैध रेत उत्खनन मामले में माइनिंग माफिया पर 8 करोड़ का जुर्माना लगाया। साथ ही, सिवनी मालवा में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और आंदोलन करने वाले 136 कार्यकर्ताओं को 6 दिन के लिए जेल भेज दिया था।



ग्वालियर में 10 करोड़ की जमीन मुक्त कराई: नियाज ने ग्वालियर में पोस्टिंग के दौरान शिक्षा विभाग की 10 करोड़ की जमीन अवैध कब्जे से छुड़ाई थी। इस दौरान उन्होंने 12 घंटे तक लगातार अभियान चलाकर 600 से ज्यादा अतिक्रमण हटाए थे। इसी तरह, डबरा के बीहड़ की 300 बीघा जमीन दबंगों से मुक्त करवाकर 3 दिन में शासन के नाम कराई। कब्जाधारियों के खिलाफ FIR भी दर्ज कराई गई।



एक साथ 50 सरपंचों को जेल वॉरंट: रतलाम में पदस्थ रहते हुए नियाज ने स्कूलों के निर्माण कार्यों में बड़ा घोटाला खोला। जांच में 50 सरंपचों को दोषी पाया गया। इसके चलते खान ने सभी का एक साथ जेल वॉरंट काट दिया। इसी तरह, सैलाना में राजस्थान बॉर्डर पर एक दिन में 1500 डंपर रेत जब्त करने की कार्रवाई की गई।



सरकारी बंगले खाली कराने का इनाम: 2019 में कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में नियाज खान को भोपाल में संपदा प्रभारी बनाया गया। IAS अफसरों में इस पोस्ट को लूप लाइन माना जाता है। यहां रहते खान ने कई सालों से सरकारी बंगलों में जमे अफसरों और नेताओं की लिस्ट तैयार कराई। इसमें पाया कि कई सीनियर IAS रिटायरमेंट के बाद भी बंगला नहीं छोड़ा था। 2018 में चुनाव हारने वाले करीब 6 मंत्रियों ने भी बंगले पर कब्जा कर रखा था। खान ने इन सभी को नोटिस जारी कर बंगले खाली कराए। इसके बाद वे संपदा प्रभारी पद से भी हटा दिए गए।  



SAS से IAS बने: मूल रूप से छत्तीसगढ़ के रहने वाले नियाज खान 2001 में राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बने थे। उन्हें 2015 में IAS में प्रमोशन मिला। पहली पोस्टिंग 2002 में रायसेन के मंडीदीप में बतौर डिप्टी कलेक्टर हुई थी। उन्होंने नकली सामान बनाने वाली फैक्ट्रियों पर धावा बोला था। इस दौरान जान से मारने की धमकी भी मिली थी। इस पर मंडीदीप और बरेली थाने में FIR दर्ज कराई थी।

 


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