MP: इंदौर हाईकोर्ट ने भोजशाला में नमाज पर रोक लगाने संबंधी याचिका की मंजूर

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Shivasheesh Tiwari
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MP: इंदौर हाईकोर्ट ने भोजशाला में नमाज पर रोक लगाने संबंधी याचिका की मंजूर

Dhar. धार भोजशाला (bhojashaala) के मामले में इंदौर हाईकोर्ट (Indore High Court) की बेंच में एक और याचिका दाखिल की गई है। जिसमें मां सरस्वती (Maa Saraswati) की प्रतिमा को पुनः स्थापित करने की मांग की गई है। बता दें कि याचिका में स्थान की पूरी वीडियोग्राफी व कलर फोटोग्राफी करवाने का भी आग्रह किया गया है। मामले में 11 मई को एडवोकेट हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन और पार्थ असिस्टेंट के रूप में शामिल हुए। केस में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, पुरातत्व विभाग, कमाल मौला वेलफेयर सोसाइटी, भोजशाला कमेटी के सचिव गोपाल शर्मा, जिला कलेक्टर धार को नोटिस जारी किया गया।



भोजशाला की याचिका के बाद नोटिस जारी किए गए हैं



वाग देवी की प्रतिमा को लंदन से वापस लाने की मांग 



इस याचिका में याचिकाकर्ताओं ने वाग देवी की प्रतिमा को लंदन से वापस लाने की मांग भी की है। बता दें कि वाग देवी की प्रतिमा लंदन के संग्रहालय में रखी है। मामले को लेकर याचिकाकर्ता और हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की अध्यक्ष अंजना अग्निहोत्री ने कहा कि इंदौर उच्च न्यायालय की पीठ ने याचिका को स्वीकार कर सभी संबंधितों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। बता दें कि याचिका स्वीकार होने के बाद अब सभी लोगों की नजरें इंदौर हाई कोर्ट की बेंच के फैसले पर होगी। 



क्यों संवेदनशील है भोजशाला



मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के धार जिले में स्थित भोजशाला लंबे समय से विवाद में रही है। करीब 800 साल पुरानी इस भोजशाला को लेकर हिंदू-मुस्लिम मतभेद हैं। हिंदुओं के अनुसार भोजशाला यानी सरस्वती का मंदिर है। जबकि मुस्लिम (Muslim) इसे पुरानी इबादतगाह बताते हैं। हिंदू संगठन के लोग बताते हैं कि धार की ऐतिहासिक भोजशाला उसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह राजा भोज द्वारा स्थापित सरस्वती सदन है यहां कभी 1000 वर्ष पूर्व शिक्षा का एक बड़ा संस्थान हुआ करता था। बाद में यहां पर राजवंश काल में मुस्लिम समाज को नमाज के लिए अनुमति दी गई, क्योंकि यह इमारत अनुपयोगी पड़ी थी। पास में सूफी संत कमाल मौलाना की दरगाह है। ऐसे में लंबे समय से मुस्लिम समाज में नमाज अदा करने का कार्य करते रहे। परिणाम स्वरूप पर दावा करते हैं कि यह भोजशाला नहीं बल्कि कमाल मौलाना की दरगाह है।



सौ साल पुराना है विवाद



जबकि हिंदू (Hindu) समाज यह दावा करता है कि यह दरगाह नहीं बल्कि राजा भोज के काल में स्थापित सरस्वती सदन भोजशाला है। इतिहास में भी इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि यहां से अंग्रेज मां सरस्वती की प्रतिमा निकाल कर ले गए जो कि वर्तमान में लंदन के संग्रहालय में सुरक्षित भी है। विवाद की शुरुआत 1902 से बताई जाती है, जब धार के शिक्षा अधीक्षक काशीराम लेले ने मस्जिद के फर्श पर संस्कृत के श्लोक खुदे देखे थे और इसे भोजशाला बताया था। विवाद का दूसरा पड़ाव 1935 में आया, जब धार महाराज ने इमारत के बाहर तख्ती टंगवाई जिस पर भोजशाला और मस्जिद कमाल मौलाना लिखा था। आजादी के बाद ये मुद्दा सियासी गलियारों से भी गुजरा। मंदिर में जाने को लेकर हिंदुओं ने आंदोलन किया। जब-जब वसंत पंचमी और शुक्रवार साथ होते हैं, तब-तब तनाव बढ़ता है।


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