जबलपुर. बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) की टीम जबलपुर से माइंस प्रोटेक्टेड व्हीकल (MPV) की एक खेप लेने पहुंची है। नक्सलियों और आतंकियों की बिछाई बारूदी सुरंग के धमाकों से जवानों को बचाने में MPV को कारगर माना जाता है। BSF के सुझाव पर इन व्हीकल्स में ऐसी टेक्नीक लगाने की तैयारी है, जिससे बारूदी सुरंग से पहले ही ड्राइवर को खतरे से अलर्ट कर दे।
व्हीकल फैक्ट्री ने बनाई गाड़ियां
जबलपुर व्हीकल फैक्ट्री (VFJ) सेना के लिए स्टालियन-6×6 और कई अन्य वाहन बनाती थी। अब यहां MPV तैयार किए जा रहे हैं। VFJ को अभी 100 MPV बनाने का ऑर्डर मिला है। इन व्हीकल्स के बारे में कहा जाता है कि बारूदी सुरंग के ऊपर से गुजरने के बाद अगर धमाका हो जाए तो सैनिकों को कोई नुकसान नहीं होगा। MPV कई किलो बारूद के विस्फोट को सहन कर सकता है। इसमें ताकतवर आर्मर्ड शीट होती है, जो विस्फोट को सहन करने में सक्षम (Capable) है। इसका शीशा बुलेट प्रूफ होता है जो फायरिंग से भी जवानों को बचाता है। वाहन में जवाबी फायरिंग के लिए पोर्ट भी बने होते हैं।
बांग्लादेश को भी भाईं MPV की खूबियां
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को भी MPV पसंद आई है। बांग्लादेशी सरकार की ओर से रक्षा सौदे के लिए हाथ बढ़ाया गया है। इसके लिए बांग्लादेश का एक डेलिगेशन भी VFJ पहुंचा है। उनके साथ कोलकाता से ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) के अधिकारी भी हैं, जो MPV से संबंधित जानकारी बांग्लादेशी डेलिगेशन को देंगे। फिलहाल, बांग्लादेशी डेलिगेशन इस व्हीकल की खूबियों को और करीब से जानना चाहती है, जिसके बाद ऑर्डर और सप्लाई की तारीख तय होगी। जानकारी के मुताबिक, 5 MPV की सप्लाई नेपाल को भी की गई है।
2014 से बंद था प्रोडक्शन
MPV का इस्तेमाल BSF के साथ-साथ सेना, CRPF, असम राइफल, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र पुलिस भी कर रही है। नक्सल प्रभावित इलाकों में MPV से ही पेट्रोलिंग की जाती है। MPV को बनाने के लिए कच्चा माल विदेशों से मंगाना पड़ता है। 2014 से VFJ में इसका प्रोडक्शन बंद था। 2020 में रक्षा मंत्रालय की ओर से सेना और अर्द्धसैनिक बलों के लिए वाहन तैयार करने का ऑर्डर VFJ को मिला था। BSF को कुल 224 वाहनों की जरूरत है। अभी उसके पास 30 व्हीकल ही मौजूद हैं। अब 10 वाहन और खरीदे जा रहे हैं।