एमपी के ग्वालियर की जीवाजी विश्वविद्यालय (jiwaji university) कैंपस में लगे पेड़ अब खुद अपना परिचय देंगे। ये बताएंगे कि उनका नाम क्या है और उनका कितना महत्व है। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन एक अनूठा एक्सपेरिमेंट करने जा रहा है।कैंपस में लगे हर पेड़ पर बार कोड (bar code on tree) लगाया जा रहा है।यह अनूठी पहल की शुरुआत करने वाली जीवाजी विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश की पहली यूनिवर्सिटी बन गई है।
क्यों हो रही है पहल: जीवाजी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग द्वारा इस अनूठे प्रयोग का मकसद यह है कि इससे छात्रों के साथ-साथ जीवाजी विश्वविद्यालय के कैंपस में आने वाली आम लोग पेड़ों के बारे में जान सकेंगे और उसके महत्व और उसकी उपयोगिता के बारे में ज्ञान मिलेगा।
एक ऐप तैयार किया जा रहा है, जिसे आम लोग डाउनलोड कर सकते हैं. जब कोई व्यक्ति किसी भी पेड़ पर लगे बारकोड को स्कैन करेगा, तो उस पेड़ के बारे में सारी जानकारी मिल जाएगी.
ग्रीन कैंपस के नाम से भी जाना जाता है: कॉलेज मैनेजमेंट के मुताबिक यूनिवर्सिटी के कैंपस में 5000 से अधिक बड़े पेड़ है।इनमें कुछ 56 प्रजातियां शामिल हैं। जिनमें नीम के पेड़ों की संख्या 650, अशोक के पेड़ों की संख्या 390, टीक के 296 और आम के 120 बड़े पेड़ हैं। इसके साथ ही सफेद काला बबूल, एप्पल, कचनार, पलाश, शीशम, कदम, गुलमोहर, गुलमोहर, आमला, बरगद, गूगल, पेपर सहित 56 प्रजाति के पेड़ यहां पर लगे हुए हैं। यहां सबसे अधिक ऑक्सीजन पेड़ों की संख्या सबसे अधिक है इसलिए इसे ग्रीन कैंपस के नाम से भी जाना जाता है।