ग्वालियर. राजनीति में माना जाता है कि पार्टी बदलने से विचार भी बदल जाते हैं। ऐसा ही कुछ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया में भी दिख रहा है। बीजेपी में शामिल होने से बाद से सिंधिया पार्टी लाइन से खुद को जोड़ने की कवायद करते दिख रहे हैं। 26 दिसंबर को भी ऐसा ही हुआ। सिंधिया ग्वालियर में रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचे। ऐसा करने वाले सिंधिया घराने के किसी ‘महाराज’ ने नहीं किया। सिंधिया ने जो किया, उसे परिवार की छवि बदलने की कवायद समझा जा रहा है। सिंधिया के साथ मध्य प्रदेश में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी थे।
प्रद्युम्न ने री-ट्वीट किया
प्रद्युम्न सिंह तोमर ने री-
आज श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया जी ने IIITM कॉलेज से लक्ष्मीबाई समाधि स्थल तक एलिवेटेड रोड का निरीक्षण किया| इस दौरान रानी लक्ष्मीबाई समाधि स्थल पर श्रद्धासुमन अर्पित कर जिला प्रशासनिक अधिकारियो व तकनीकी टीम के साथ एलिवेटेड रोड के प्रजेंटेशन का अवलोकन किया| #smartcitygwalior 2/2 pic.twitter.com/8zlf1OsoOO
— Pradhuman Singh Tomar (@PradhumanGwl) December 26, 2021
कर सिंधिया के जनविकास के कार्यों की जानकारी दी।
इतिहास में क्या लिखा?
इतिहास में लिखा है कि सिंधिया परिवार ने अंग्रेजों का साथ दिया था। एक जून 1858 को जयाजीराव सिंधिया (1843-1886 तक राजा रहे) ने मोरार के युद्ध में तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई और राव साहब के खिलाफ अपनी सेना भेजी थी। तात्या और रानी की सेना में 7 हजार इन्फैंट्री, 4 हजार घुड़सवार और 12 बंदूकें थीं, जबकि जयाजीराव के पास केवल 15 हजार घुड़सवार, 600 बॉडीगार्ड और 8 बंदूकें थीं। जयाजीराव दूसरी तरफ से हमले का इंतजार कर रहे थे, जो सुबह 7 बजे हुआ। लक्ष्मीबाई और तात्या ने जयाजीराव के बॉडीगार्ड्स को छोड़कर बाकी सब पर कब्जा कर लिया। जयाजीराव अपने लोगों को लेकर चले गए। लक्ष्मीबाई, तात्या, राव साहब लश्कर के साथ आगरा चले गए थे।
कांग्रेस विधायक ने सिंधिया के पैर छुए
26 दिसंबर को ही बीजेपी के पूर्व नेता और मौजूदा कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार ने सिंधिया के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। यह पहला मौका नहीं है, जब कांग्रेस विधायक मंच से तारीफ कर उनके लिए अपना आदर दिखाया हो।
पैर छूने के बाद सिकरवार ने मंच से सिंधिया परिवार का कीर्तिगान भी किया। इसके बाद से सियासी गलियारे में उनके जल्द पाला बदलने की चर्चा है। हालांकि, इस कार्यक्रम के कुछ घंटे बाद तानसेन समारोह के मंच पर जगह ना मिलने पर सिकरवार प्रशासन से नाराज होकर मंच से उतर गए। बाद में उन्हें मना लिया गया।
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