भोपाल:दिग्विजय-नाथ ने वर्कर्स को BJP के उसूल सिखाए, चुनाव जीतने के गुर भी बताए

author-image
Atul Tiwari
एडिट
New Update
भोपाल:दिग्विजय-नाथ ने वर्कर्स को BJP के उसूल सिखाए, चुनाव जीतने के गुर भी बताए

Bhopal. मध्य प्रदेश में अगले साल यानी 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। 19 साल से सत्ता से दूर कांग्रेस (कमलनाथ के 15 महीने छोड़ दें) वापसी के लिए ताना-बाना बुन रही है। अगले महीनों में स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव होने हैं। इसका रास्ता साफ हो चुका है। कांग्रेस में भी पंचायत चुनाव को लेकर प्रदेश कार्यालय में मीटिंग हुई। इसमें राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं, नेताओं से चर्चा की। दिग्विजय जहां कुछ नसीहत देते दिखे तो कमलनाथ की बातों में दर्द दिखा। कमलनाथ ने तो ये तक कह दिया कि बीजेपी कार्यकर्ताओं को ये कहने की जरूरत नहीं पड़ती कि उसे क्या करना है।  





दोनों नेताओं ने ये कहा





दिग्विजय सिंह- हम लोग आपके साथ हैं, पहले भी थे, पहले दंगल में पहलवानी करते थे, दांव-पेंच करते थे। अब उस्ताद के रूप में हैं। कभी दांव-पेंच सीखना हो तो आ जाना, सिखा देंगे। 







— TheSootr (@TheSootr) May 20, 2022




कमलनाथ ने कहा- पहले हम किसी गांव में कह सकते थे कि ये गांव कांग्रेस का है। आज हम किसी घर में जाकर नहीं कह सकते कि ये घर कांग्रेस का है। अगर हमें हर घर तक पहुंचना है तो नेता नहीं जा सकता, जिम्मेदारी जा सकती है। यही जिम्मेदारी निभाएंगे तो अगले विधानसभा चुनाव में हम सफल हो पाएंगे। पंचायत-नगर निगम के चुनाव होने हैं। इससे एक बड़ा संदेश जाएगा। 18 साल बीजेपी की सरकार रही, लेकिन आज लोग बहुत समझदार हो गए हैं। जिनको कभी आप ज्ञान देने जाते थे, वो आज आपको ज्ञान देने के लिए तैयार हैं। कभी ये मत सोचिएगा कि आपको कोई बताने आएगा। यही कांग्रेस में कमी है। बीजेपी के किसी कार्यकर्ता कोई ये बताने नहीं जाता कि तुम्हें यहां जाना है, ये करना है। कांग्रेस के लोग इंतजार करते हैं कि कोई आए और हमें बोले। 








— TheSootr (@TheSootr) May 20, 2022




कांग्रेस में चिंता क्यों?






मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 26-27 मार्च को पचमढ़ी में कैबिनेट मंत्रियों की चिंतन बैठक रखी थी। इसमें मंत्रियों ने प्रजेंटेशन दिए थे। इसमें तीर्थदर्शन योजना फिर से शुरू करने पर सहमति बनी थी। साथ ही लाड़ली लक्ष्मी योजना को प्रोत्साहन देने और पचमढ़ी को वर्ल्ड क्लास टूरिज्म प्लेस बनाने की भी बात थी। जानकारों की मानें तो बीजेपी के चिंतन शिविर का असर कांग्रेस में दिखने लगा है। कांग्रेस के बड़े नेता चुनाव के पहले पार्टी को मैदानी लड़ाई के लिए रिवाइव करने में लगे हैं। 





कमलनाथ ने क्यों दी बीजेपी से सीखने की सलाह





बीजेपी कैडरबेस पार्टी है, जिसमें कार्यकर्ताओं का जाल सरीखा बुना हुआ है। बीजेपी में कार्यकर्ताओं को आगे रखा जाता है और नेताओं को गौण। दिल्ली में बैठा पार्टी आलाकमान खुद कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करता रहता है, जिससे वर्कर्स में जोश बना रहता है। कांग्रेस के बारे में ये माना जाता है कि वो नेताओं की पार्टी है, हर नेता का एक गुट है जिसके अपने कार्यकर्ता हैं।





वहीं, बीजेपी में पार्टी और संगठन के नेता प्रदेश स्तर से लेकर बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं में जोश भरते रहते हैं। कांग्रेस के बारे में कहा जाता है कि यहां बड़े नेता कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद नहीं करते। नाथ ने तो ये कहकर साफ कर दिया कि बीजेपी में कार्यकर्ताओं से ये कहने की जरूरत नहीं पड़ती कि उन्हें क्या करना है। स्पष्ट है कि कमलनाथ अपने कार्यकर्ताओं को सीधे मैदान में उतरने को कह रहे हैं।     





कांग्रेस की तैयारी





अब कांग्रेस भी बीजेपी की तरह ही अपने संगठन को नए सिरे से गढ़ रही है। आने वाले 90 से 180 दिनों में निचले स्तर पर संगठन के खाली पदों को भरा जा रहा है। ब्लॉक के नीचे मंडल कांग्रेस कमेटी बनाई जा रही है। मंडल कांग्रेस कमेटी को बूथ से जोड़ा जा रहा है। कमलनाथ कहते हैं कि हर प्रदेश की अपनी चुनौतियां हैं और उनके हिसाब से ही कांग्रेस का ढांचा तैयार किया जा रहा है। 





एक पद, एक व्यक्ति की शुरुआत कमलनाथ से





अगले कुछ दिनों में कांग्रेस में आमूलचूल बदलाव की तैयारी की गई है, जिस पर काम शुरू भी हो गया है। एक व्यक्ति, एक पद के नियम को लागू करने की शुरुआत कमलनाथ से ही हुई। कमलनाथ ने नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़कर यही संदेश दिया। डॉ. गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। इस नियम को लागू करने का मतलब ये भी है कि किसी विधायक को महापौर पद का टिकट नहीं दिया जाएगा। जो लोग लंबे समय से एक ही पद पर जमे हैं, उनकी जगह युवाओं की नियुक्ति की जा रही है। संगठन में आधे पद पचास साल से कम उम्र के लोगों को देने का खाका खींचा जा रहा है। ये गाइडलाइन भी तैयार की जा रही है कि विधायकों को संगठन में उपाध्यक्ष, महामंत्री या अन्य पदों पर नियुक्ति दी जाए या नहीं। वरिष्ठ नेताओं को पार्टी संगठन से जोड़कर उनको अहम भूमिका में लाया जाएगा। इसके अलावा सामाजिक संगठनों की आंदोलनों या प्रदर्शनों में पार्टी नेता अपनी सहभागिता निभाएंगे। 





शिवराज की इमेज और एक्शन





शिवराज सिंह चौहान 2003 से (15 महीने छोड़कर) लगातार मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हैं। कांग्रेस अभी तक शिवराज की इमेज की काट ढूंढ नहीं पाई है। व्यापमं, कानून व्यवस्था (मंदसौर, खरगोन दंगा) समेत कई मुद्दों पर शिवराज सरकार पर आरोप लगे, लेकिन उनकी छवि पर कोई खास असर नहीं पड़ा। अब वे प्रदेश में अपराधियों के घरों पर सीधे बुलडोजर चलवाने का आदेश देकर एक सख्त प्रशासक की इमेज गढ़ना चाह रहे हैं। 





बीते कुछ दिनों से वे सुबह 6.30-7 बजे अफसरों की मीटिंग ले रहे हैं। 25 अप्रैल को शिवराज ने साढ़े छह बजे पीएचई डिपार्टमेंट के अफसरों की मीटिंग ले ली और पानी सप्लाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। 14 मई को गुना में शिकारियों ने पुलिस पर फायरिंग की, जिसमें 3 जवान शहीद हो गए। शिवराज ने आपात बैठक बुला ली। 15 मई को भी सुबह 7 बजे उन्होंने मीटिंग की। 19 मई को मुख्यमंत्री ने एसपी से सालों से एक ही जमे अफसरों का डेटा मांगा। 





ये भी चिंता- कांग्रेस का एक बड़ा नेता और कई विधायक बीजेपी में





मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। सिंधिया के साथ 22 विधायकों ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया। बाद में ये संख्या और बढ़ गई। लिहाजा आने वाले चुनावों में कांग्रेस के सामने कई नेताओं के ना रहने का भी संकट है।



कमलनाथ SHIVRAJ SINGH CHOUHAN CONGRESS कांग्रेस दिग्विजय सिंह Digvijay Singh MP BJP बीजेपी kamalnath मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव Congress Workers कांग्रेस कार्यकर्ता Panchayat chunav Local Body Election स्थानीय निकाय चुनाव