अरुण तिवारी, BHOPAL. आगामी 13 जुलाई को प्रदेश की बाकी पांच नगर निगमों (municipal corporations) के लिए वोट डाले जाएंगे। राजनीतिक दल बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) 2018 के विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) के नतीजों से सबक लेकर ज्यादा से ज्यादा मतदान पर फोकस कर रहे हैं। इनकी कोशिश 65 से 70 फीसदी वोटिंग कराने को लेकर है। साल 2018 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच 15-25 हजार तक जीत का अंतर रहा है। यदि इसको प्रतिशत में देखें तो दोनों उम्मीदवारों के बीच करीब 15 फीसदी वोटों का अंतर रहा है। ये वो वोट प्रतिशत (vote percentage) है, जो हर चुनाव में स्विंग होता है। यदि दोनों दलों के कमिटेड वोटर को छोड़ दिया जाए तो 10-15 फीसदी वोट स्विंग उम्मीदवारों की जीत या हार के लिए निर्णायक होता है। बीजेपी-कांग्रेस की कोशिश इस वोटर को अपने पक्ष में लाने पर है। ये वो वोटर है जो वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर अपना मत देता है,इनमें ज्यादातर युवा वोटर होते हैं।
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ये है विधानसभा 2018 के आधार पर नगर निगमों की स्थिति
मुरैना -
- कांग्रेस को मिले वोट — 68965
रीवा-
- कांग्रेस को मिले वोट — 48116
कटनी-
- कांग्रेस को मिले वोट — 63473
देवास-
- कांग्रेस को मिले वोट — 75469
रतलाम-
- कांग्रेस को मिले वोट — 54284
बीजेपी की नजर वोटिंग स्विंग पर
2018 के विधानसभा चुनाव और 11 नगर निगमों में हुई कम वोटिंग को ध्यान में रख बीजेपी की नजर खासतौर पर इस 10-15 फीसदी के वोटिंग स्विंग पर है। पार्टी को लगता है कि जिन सीटों पर अब वोट डाले जाएंगे उनमें विधानसभा चुनाव में बीजेपी का परफॉर्मेंस अच्छा रहा है। इनमें से चार सीटें पार्टी के हिस्से में आईं थीं। विधानसभा चुनाव और नगर निगम के मुद्दे इन शहरों में बहुत अलग नहीं हैं। इसलिए वोट स्विंग उनके पक्ष में जाएगा।
कांग्रेस का नए वोटर्स पर फोकस
इन नगर निगमों को अपने पक्ष में बनाने के लिए कांग्रेस की नजर नए वोटर्स खासतौर पर पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं पर है। कांग्रेस मानती है कि यही वोटर का वोट स्विंग होता है क्योंकि ये तात्कालिक हालातों पर वोट डालता है। विकास के इतने बुनियादी मुद्दे हैं जो बीजेपी लगातार सरकार में रहने के बाद भी हल नहीं कर पाई है। विधानसभा चुनाव में इस वोट स्विंग ने ही उनके हिस्से में पांच में से महज एक सीट डाली थी। उम्मीदवारों के बीच 20-25 हजार का अंतर बहुत मायने नहीं रखता है क्योंकि हर सीट पर दो लाख से ज्यादा वोटर हैं यदि अच्छी वोटिंग होती है तो इस अंतर को आसानी से पाटा जा सकता है।