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भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार ने अनाधिकृत कॉलोनियों को वैध करने का कानून बनाया है। इस कानून के अनुसार कॉलोनी को तभी वैध किया जा सकता है जब कॉलोनी के प्लाट को बेचने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इस प्रावधान के चलते प्रदेश में हजारों किसानों पर मुकदमा दर्ज हो सकता है। दरअसल, अनाधिकृत कॉलोनी काटने वाले कॉलोनाइजर्स ने हितग्राहियों को प्लॉट की रजिस्ट्री सीधे किसानों से करवाई है, यानि लिखापढ़ी में कहीं भी ये कॉलोनाइजर्स नहीं आ रहे हैं।
दर्ज होगा मुकदमा, 7 साल की सजा, 10 लाख का जुर्माना
कानून में स्पष्ट किया गया है कि अनाधिकृत कॉलोनी बनाने वालों को 7 साल तक की सजा और 10 लाख रुपए जुर्माना देना होगा। इतना ही नहीं संबंधित कॉलोनी को विकसित करने का पैसा भी अनाधिकृत कॉलोनी बनाने वाले से ही वसूला जाएगा। इसके लिए उनकी संपत्ति भी कुर्क करने का प्रावधान रखा गया है।
ऐसे संकट में आ जाएंगे हजारों किसान
सरकार के मुताबिक प्रदेश में 6876 अवैध कलोनियां हैं, जिन्हें नए कानून के तहत वैध किया जाएगा। लेकिन कानून में ऐसी शर्तें रखी गई हैं, जिसके तहत पहले किसानों पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। उसके बाद कॉलोनी को वैध करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। दरअसल प्रदेश की 80 फीसदी अवैध कॉलोनियों के मालिक किसान ही हैं। ज्यादातर कॉलोनाइजर या डेवलपर किसानों से जमीन नहीं खरीदते। रजिस्ट्री शुल्क बचाने के लिए वो किसानों को टोकन अमाउंट देकर सौदा कर लेते हैं। जिसके बाद कस्टमर के नाम पर सीधे किसान ही रजिस्ट्री और नामांतरण कराता है।
कुर्क हो जाएगी संपत्ति
दस्तावेजों में अनाधिकृत कॉलोनियों का असली मालिक तो किसान ही है। लिहाजा कानून के तहत उसके खिलाफ ही कार्रवाई की जाएगी। एफआईआर दर्ज कराने के बाद सरकार नगरीय अधोसंरचना यानि डेवलपमेंट का खर्च भी कॉलोनी विकसित करने वाले से वसूलेगी। इसके लिए कॉलोनी में स्थित संपत्ति के साथ-साथ अन्य संपत्ति भी कुर्क कर ली जाएगी।
वैध कॉलोनियों पर भी लटकी तलवार
नए कानून में वैध कॉलोनियों में ले आउट का उल्लंघन करने वाले कॉलोनाइजर्स पर भी शिकंजा कसा गया है। यदि कॉलोनाइजर्स ने ले आउट में प्रस्तावित सड़क, पार्क और पार्किंग आदि के लिए आरक्षित भूमि का उपयोग किसी अन्य काम के लिए किया है तो ऐसे में संबंधित कॉलोनाइजर के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज होगा। साथ में उसे सजा के साथ और जुर्माना भी भरना होगा।
कानून का पालन न करने वाले अफसरों पर भी कार्रवाई
नए कानून में राज्य सरकार ने पुलिस अफसरों की भी जिम्मेदारी तय कर दी है। अनाधिकृत कॉलोनी बनाने या निर्माण करने की शिकायत मिलने पर संबंधित थाना पुलिस को कार्रवाई करनी होगी। पुलिस जांच के नाम पर मामले को टाल नहीं सकेगी। अतिक्रमण के खिलाफ निगम कमिश्नर के निर्देश का पालन करना होगा। ऐसा न करने पर पुलिस अधिकारी पर ही एफआईआर दर्ज होगी। जिसके तहत 3 साल कारावास और 10 हजार रुपए तक जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
कॉलोनी को वैध करने का नियम
यदि किसी कॉलोनी में ईडब्ल्यूएस और एलआईजी के प्लॉट या मकान ज्यादा हैं तो संबंधित नगर निगम की जिम्मेदारी है कि वह कॉलोनी के विकास पर खर्च होने वाली 80 फीसदी राशि स्वयं वहन करे। नगर निगम चाहे तो उक्त राशि का उपयोग सांसद-विधायक निधि सहित अन्य मदों से कर सकती है। ऐसे में रहवासियों को मात्र 20 फीसदी राशि देना होगी। यदि कॉलोनी में मध्यमवर्गीय आबादी है तो ऐसी स्थिति में नगर निगम 50 प्रतिशत राशि विकास कार्य पर खर्च करेगी शेष 50 प्रतिशत राशि रहवासियों को देना होगी।