BHOPAL. एमपी के चार महानगरों में से तीन में जिला पंचायत (District Panchayat Election) को लेकर पहले चरण में ही तस्वीर साफ हो गई है। भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में मतदाओं ने झूमकर वोट डाले हैं। तीनों महानगरों के साथ दो छोटे जिलों में भी जिला पंचायत चुनावों को लेकर शांति हो गई है। राजधानी भोपाल में जहां कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष पद को किसी भी स्थिति में अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती। वहीं बीजेपी (BJP) भी दांव-पेंच लगाकर अध्यक्ष (President) अपना बनाने में जुटी है। जबकि इंदौर और ग्वालियर में बीजेपी का पलड़ा भारी है। छोटे जिलों में भी बीजेपी अपने परफार्मेंस को लेकर संतोष जताने की स्थिति में नजर आ रही है। हालांकि बीजेपी के बड़े चेहरों को अधिकांश जगह जनता ने नकार दिया है तो कुछ जिलों में बीजेपी से बगावत करने वालों को जनता ने वापस घर बैठाने का मन दिखाया है। इसके उलट कई जिलों में लंबे समय से बीजेपी के कब्जे वाली सीटों पर मतदाताओं ने सत्ता पलट के साफ संकेत दे दिए हैं।
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इन जिलों की स्थिति जानिए
पहले चरण में भोपाल (Bhopal), इंदौर (Indore), ग्वालियर (Gwalior) के अलावा हरदा और नरसिंहपुर में भी जिला पंचायतों के लिए मतदान हो चुके हैं। पांचों जगह ग्रामीण मतदाताओं ने जमकर वोट डाले हैं। इनके साथ ही शेष बचे 47 जिलों के 94 ब्लॉकों में भी वोटिंग हुई है। मगर पहले चरण की वोटिंग के बाद ही दोनों दल अपनी-अपनी जीत का दावा करने लगे हैं। इसके साथ ही अध्यक्ष पद पर अपना कब्जा करने के लिए दांव-पेंच भी तेज हो गए हैं। इन दावों के बीच भोपाल और ग्वालियर में मामला कांटे का हो गया है। राजधानी के दस वार्डों में से छह पर कांग्रेस अपनी जीत का दावा कर रही है। इससे पहली नजर में भोपाल जिला पंचायत अध्यक्ष का पद एक बार फिर कांग्रेस के कब्जे में जाता दिख रहा है। यहां बीजेपी 50-50 का मामला बता रही है तो कांग्रेस 10 में से 9 वार्डों पर अपना कब्जा बताने में भी नहीं चूक रही। ऐसे में अब अध्यक्ष पद को लेकर भी खासी खींचतान मच गई है। अमूमन ग्वालियर में भी यही स्थिति है। मगर एससी महिला के जिला पंचायत अध्यक्ष पद आरक्षित होने से बीजेपी निश्चिंत हो गई है। यहां दोनों को 5-5 वार्ड मिलते दिख रहे हैं। जबकि एक वार्ड निर्दलीय के खाते में गया है। एससी की तीनों विजयी महिलाओं को बीजेपी समर्थित बताया जा रहा है। ऐसे में बीजेपी एक बार फिर जिला पंचायत अध्यक्ष पद अपने खाते में मानकर उत्साहित है। सबसे अधिक संख्या ओबीसी की है। ओबीसी के आठ सदस्य जीतकर आए हैं। जबकि सामान्य के खाते में एक वार्ड ही आया है।
यहां बिल्कुल साफ है तस्वीर
इंदौर: इंदौर की जनता ने एक बार फिर बीजेपी को खुश होने का मौका दे सकती है। पहले भी यहां बीजेपी का ही कब्जा था। मतदान के बाद 17 में से एकमुश्त 13 सीटें बीजेपी के खाते में जा सकती हैं तो कांग्रेस को गिनी-चुनी 4 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है।
नरसिंहपुर : इस जिले में भी बीजेपी उत्साहित है। यहां एक चरण में ही चुनाव हो चुके हैं। यहां के 15 वार्डों में से अधिकांश पर बीजेपी समर्थित प्रत्याशी विजयी होते दिख रहे हैं।
छिंदवाड़ा: पूर्व सीएम कमलनाथ के गढ़ में बीजेपी एक बार फिर कमजोर साबित हो रही है। जिला पंचायत की आठ में से छह सीटों को कांग्रेस अपने कब्जे में रखती नजर आ रही है। इनके अलावा एक बीजेपी और एक गोंडवाना के खाते में जा सकती है। पहले चरण में यहां 4 ब्लॉक में मतदान हुआ है।
हरदा : इस जिले में भी पहले चरण में ही मतदान हो गया है। तीन ब्लॉक की 10 में से 7 सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार आगे नजर आ रहे हैं। कांग्रेस को तीन सीटों पर ही संतोष करना पड़ेगा। यहां अध्यक्ष पद एसटी के लिए आरक्षित है। कांग्रेस के खाते में आते दिख रहीं तीनों सीटें एसटी की ही हैं, लेकिन अध्यक्ष पद पर बीजेपी के विजयी उम्मीदवार ही बैठ सकते हैं।
अब कौन कहां है भारी
जबलपुर: पहले चरण में चार ब्लॉक में मतदान हुआ है। शेष तीन में दूसरे चरण में वोटिंग होना है। पहले चरण के बाद अधिकांश पंचायतों में बीजेपी ने ताकत दिखाई है। पहले चरण के मतदान में जिला पंचायत की दस सीटों में से छह सीटों पर बीजेपी अपनी जीत का दावा कर रही है। कांग्रेस अब दूसरे दौर की वोटिंग पर आशा लगाए बैठी है।
सिवनी: सिवनी में बीजेपी समर्थित दो व कांग्रेस समर्थित पांच के जीतने का दावा।
बालाघाट: बालाघाट में दस जिला पंचायत में बीजेपी समर्थित दो, कांग्रेस समर्थित पांच, बसपा समर्थित एक, दो निर्दलीय की जीत का दावा। यहां मंत्री रामकिशोर कावरे के क्षेत्र में ही बीजेपी कमजोर साबित हो रही है।
दमोह: यहां तीनों चरणों में मतदान होना है। पहले चरण में दो ब्लॉक में वोटिंग हुई है। यह चरण बीजेपी और कांग्रेस दोनों को राहत देने वाला साबित हो सकता है।
कटनी: कटनी में पहले चरण में छह में से दो ब्लॉक में मतदान हुआ है। इनमें से दो सीट पर बीजेपी ही ताकत दिखा सकी है।
पन्ना : पूर्व मंत्री कुसुम मेहदेले की प्रतिष्ठा इस चुनाव में दांव पर लग गई हैं। पहले चरण में दो ब्लॉक में मेहदेले परिवार के सदस्यों को मतदाताओं ने घर बैठाने का काम किया है। मगर कांग्रेस की वजह बीजेपी के प्रत्याशियों को जनता का साथ मिलते दिख रहा है। सुश्री मेहदेले के भतीजे पार्थ के अलावा एक अन्य भतीजे की पत्नी भी हार का सामना कर सकती है। यहां बीजेपी को उम्मीद है कि जिला पंचायत अध्यक्ष भी उन्हीं का बनेगा। यहां कांग्रेस एक सीट के लिए मेहनत करती दिख रही है।
रीवा: यहां विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। गौतम के पुत्र पद्मेश यहां से चुनाव लड़ रहे थे, जीत का दावा भी कर रहे थे। मगर पहले चरण के रुझान में ही जनता ने विधानसभा अध्यक्ष का रुतबा धराशायी जनता ने कर दिया है। देवेंद्र शुक्ला को भी जनता ने नकार दिया है। ऐसे में बीजेपी की वजह यहां कांग्रेस अपनी ताकत दिखा सकती है।
सतना: इस जिले ने परिवारवाद को बुरी तरह नकार दिया है। पूर्व मंत्री स्व़ जुगल किशोर बागरी परिवार के तीन सदस्यों को जनता के वार्ड के काबिल भी नहीं समझा है। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अपनी जीत के प्रति आशांवित हैं। पहले चरण के मतदान के बाद रुझान कांग्रेस की ओर दिख रहा है।