भोपाल. मध्य प्रदेश सरकार (MP Election) अब गांवों के उन प्रधानों को साधने की कोशिश में है, जो वित्तीय अधिकार छिनने के बाद सरकार से खफा चल रहे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव (MP Assembly Election) में ये प्रधान बीजेपी के समीकरणों पर असर डाल सकते हैं। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने बड़ा ऐलान किया। शिवराज ने सरपंचों को वित्तीय अधिकार लौटा दिए हैंं। 12 दिन पहले ही सरपंचों से ये अधिकार ले लिए गए थे। शिवराज ने 17 जनवरी को भोपाल में प्रधानों (पंच, सरपंच) और प्रशासकीय समितियों के साथ वर्चुअल मीटिंग की थी।
शिवराज ने कहा कि जनता की ताकत से ही सारे काम होते हैं, इसलिए प्रधानों को प्रशासकीय अधिकार लौटा रहा हूं। बताया यह भी जाता है कि गांव-गांव में फैले प्रधानों में बड़ी संख्या बीजेपी समर्थकों (BJP Supporters) की है। इनको नाराज करना मुसीबत मोल लेने जैसा है।
गांव में समाज सुधार आंदोलन चलाएं: शिवराज ने कहा कि मेरी दृढ़ मान्यता है कि लोकतंत्र में चुने हुए जनप्रतिनिधि जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं, इसीलिए प्रशासकीय समिति के अध्यक्ष और सचिव बनाकर आपको जिम्मेदारी सौंपी थी। गांव में समाज सुधार के आंदोलन चलाएं। सामाजिक समरसता का भाव बने। ग्रामवासी मिल-जुलकर काम करें। पंचायत चुनाव जब होंगे, तब देखा जाएगा। इसमें दो महीने का समय लगेगा या चार महीने का। हमें मैदान में उतरना है। पंचायत स्तर पर कोविड क्राइसिस कमेटी की जिम्मेदारी आपकी है।
ये था मामला: 4 जनवरी को पंचायत एवं ग्रामीण विभाग विभाग ने आदेश जारी किया था। इसके मुताबिक, पंचायत चुनाव रद्द होने और आचार संहिता खत्म होने के बाद ग्राम पंचायतों के बैंक खातों के संचालन की व्यवस्था पहले की तरह ग्राम पंचायत सचिव और प्रधान के संयुक्त हस्ताक्षर से किए जाने के आदेश थे। साथ ही, जनपद पंचायत व जिला पंचायत को भी पहले की तरह अधिकार दिए गए थे। खास बात यह है कि चुनाव नहीं होने के कारण करीब 7 साल से ये ही पंचायतों का संचालन कर रहे थे।
अधिकार वापस लेने से कई काम अटके: 15 जनवरी को मुख्यमंत्री निवास पर सरपंच संघ के प्रतिनिधियों ने शिवराज से मुलाकात की थी। रायसेन जिला पंचायत अध्यक्ष अनीता किरार और रायसेन जिला अध्यक्ष जयप्रकाश किरार की अगुआई में यह मुलाकात हुई। प्रतिनिधिमंडल पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेद्र सिसोदिया और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से भी मिला था। सीएम को बताया गया कि अधिकार वापस लिए जाने के कारण कई कार्य अटक गए हैं। इसके चलते मुख्यमंत्री प्रधानों को अधिकार वापस लौटाने की घोषणा कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो सिर्फ 12 दिन बाद ही सरकार एक बार फिर अपना फैसला पलटेगी।