धनकुबेर से कम नहीं MP के सरपंच-सचिव; आए दिन छापे की खबरें, पर सब जस का तस

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Aashish Vishwakarma
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धनकुबेर से कम नहीं MP के सरपंच-सचिव; आए दिन छापे की खबरें, पर सब जस का तस

भोपाल से राहुल शर्मा और खंडवा से शेख रेहान. प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने वाली लोकायुक्त पुलिस और ईओडब्ल्यू ने पिछले साल 341 भ्रष्ट सरकारी अफसरों और कर्मचारियों के यहां छापे मारकर बड़े पैमाने पर आय से ज्यादा संपत्ति का खुलासा किया है। भ्रष्टाचार (Corruption) के इन मामलों में राजस्व विभाग के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग दूसरे नंबर पर है। भ्रष्टाचार के इन मामलों में सबसे ज्यादा पंचायत सचिव सचिव पकड़े गए हैं। करीब 29 हजार रुपए मासिक वेतन पाने वाले तृतीय श्रेणी के पंचायत सचिव लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के छापों में अकूत संपत्ति के मालिक निकले हैं। बुधवार, 09 फरवरी को ईओडब्ल्यू के छापे की कार्रवाई में भिंड जिले की ऐंचाया पंचायत का सचिव रोशन सिंह गुर्जर करीब डेढ़ करोड़ रुपए की संपत्ति का आसामी निकला है। जबकि 27 साल की नौकरी में उसे कुल 26 लाख रुपए वेतन मिला है। छापों में पंचायत सचिवों के यहां से निकल रही अकूत संपत्ति के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगार युवा यह कहते नजर आने लगे हैं कि अगले जनम में मोहे पंचायत सचिव ही कीजो।



महिला सरपंच 30 गाड़ियों की मालिक, घर में स्वीमिंग पूल: 31 अगस्त 2021 को रीवा के बैजनाथ गांव की महिला सरपंच सुधा सिंह के पास से 11 करोड़ की संपत्ति का खुलासा हुआ। लोकायुक्त पुलिस को बैजनाथ गांव में सरपंच के एक एकड़ में आलीशान बंगला मिला, जिसमें स्वीमिंग पूल भी है। छापे में खुलासा हुआ कि सरपंच 30 गाड़ियों की मालकिन हैं, जिनमें जेसीबी और डंपर सहित क्रेसर, मिक्चर मशीन, ट्रैक्टर स्कार्पियों सहित कई वाहन शामिल हैं। इसके साथ ही सोने चांदी के जेवरात, कुछ बीमा पॉलिसी और 36 भूखंड मिले। यह सिर्फ उदाहरण मात्र है, सरपंच के भ्रष्टाचार से जुड़े ऐसे ही कई और मामलों का छापों में खुलासे हुए हैं। 



पंचायत सचिवों के भ्रष्टाचार की बानगी 




  • ईओडब्ल्यू की कार्रवाई में 9 फरवरी 2022 को भिंड के एंचाया पंचायत के सचिव रोशन सिंह गुर्जर के यहां एक करोड़ से ज्यादा की संपत्ति मिली। इंद्रा नगर ग्वालियर में 19 लाख कीमत का मकान, बेटे सौरभ के नाम 2 बीघा जमीन, पत्नी रेखा गुर्जर के नाम 2 बीघा जमीन, ससुर भारत सिंह के नाम मेन रोड की जमीन 2 बीघा कीमत 70 लाख, पैतृक गांव में निर्माणाधीन मकान 1500 वर्ग फीट, बोलेरो कार, दो ट्रैक्टर, सोने के आभूषण 6.75 लाख कीमती, चांदी के आभूषण 45000 कीमती मिले। 


  • 28 नवंबर 2020 को ग्वालियर की मस्तूरा पंचायत सचिव शैलेंद्र सिंह जाट के यहां लोकायुक्त पुलिस ने छापा मारा। उसके पास दो मकान, 5 प्लॉट, खुद के नाम 1 बीघा जमीन, 180 ग्राम सोना, 390 ग्राम चांदी, 47500 रुपए नकद, 6 बैंक खातों में 93 हजार रुपए जमा मिले, जबकि भाई के नाम 5 हेक्टेयर जमीन, ट्रैक्टर, बुलट सहित 3 बाइक, ऑल्टो कार के दस्तावेज मिले हैं। लोकायुक्त ने इस पूरी संपत्ति का अनुमान 70 लाख रुपए लगाया, पर बाजार मूल्य में यह लगभग एक करोड़ से ज्यादा की बताई गई थी। 

  • 22 नवंबर 2019 को इंदौर के अत्याना पंचायत के सचिव योगेश दुबे के घर लोकायुक्त पुलिस के छापों में दो करोड़ रुपए से ज्यादा मूल्य की बेहिसाब संपत्ति का खुलासा हुआ था। छापों में दुबे के घर से 4.15 लाख की नकदी, डेढ़ किलो चांदी और 15 तोला सोने के जेवरात बरामद किए थे। इसके अलावा दो बड़े मकान, पांच दुकानें और 20 बीघा जमीन के दस्तावेज भी मिले थे। जांच में दुबे और उनके परिजन के बैंक खातों में 12.75 लाख रुपए जमा मिले थे। 

  • 20 मई 2015 को उमरिया के मानपुर पंचायत सचिव राजेंद्र द्विवेदी के यहां लोकायुक्त के छापे में 5 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति का खुलासा हुआ था। सचिव के नाम पर मानपुर में होटल प्रताप, शहडोल और ब्यौहारी में 19 दुकानें, 20 एकड़ कृषि भूमि, सेमरा व मानपुर में दो-दो मकान, ब्यौहारी और शहडोल में आवासीय भूखंड, एक बोलेरो, एक इण्डिका, एक डस्टर, एक जेसीबी मशीन के दस्तावेज, 3 लाख 28 हजार 270 रुपए नकद, सात बैंकों की पासबुक, 13 लाख 50 हजार रुपए का सामान और आठ लाख रुपए का सोना मिला था।



  • खंडवा में भ्रष्टाचार की पंचायत: सरपंच-सचिव और रोजगार सहायक किस तरह बेखौफ होकर सरकारी रकम की बंदरबांट करने में लगे हैं, उसकी यह एक नजीर है। पंचायतों की मॉनीटरिंग एजेंसी जिला स्तर पर जिला पंचायत होती है और खंडवा जिले की जिला पंचायत अध्यक्ष के गांव सराय में ही करोड़ो रुपए के कपिल धारा कुएं, पशुशेड और मनरेगा योजना के मजदूरों की मजदूरी में भ्रष्टाचार कर दिया गया। इसकी शिकायत किसी और ने नहीं, बल्कि खुद जिला पंचायत अध्यक्ष गंगा मोरे ने कलेक्टर से जनसुनवाई में की। गांव के लोगों ने सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक पर ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं।



    मंदबुद्धि युवक का भी बना दिया जॉबकार्ड: पड़ताल में पता चला कि सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक ने एक ही नाम के दो-दो फर्जी जॉब कार्ड बना दिए। मंदबुद्धि युवक का भी जॉबकार्ड बनाकर मनरेगा में मजदूर बना दिया और उसके नाम से राशि भी निकाल ली। शिकायतकर्ता ग्रामीणों का आरोप है कि 85 परिवारों के नाम पर मंजूर हुए कुओं के 2.21 करोड़ रु. की बंदरबाट कर ली। इस बंदरबाट में हितग्राही भी मिले हुए बताए जा रहे हैं। प्रति कुएं के 2.60 लाख रुपए में से हितग्राही ने 2 लाख रुपए रख लिए और इस राशि को गबन करने के लिए 60 हजार रुपए पंचायत प्रतिनिधियों को दिए। ग्रामीण सेवंती बाई और काली बाई ने कहा कि उनके पशुशेड आए थे पर उन्हें नही दिए गए, इनके हिस्से का पैसे दूसरे के खाते में डाल दिये गए। नागू बाई ने कहा कि उनसे काम करवाकर भी मजदूरी नहीं दी गई। गांव के एक बुजुर्ग सुपडया ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान और राशन भी बुजुर्गों को नहीं मिल रहा।



    मामले की जांच करवा रहे: इस मामले में खंडवा के कलेक्टर अनूप कुमार सिंह ने कहा कि गांव सराय के ग्रामीण और खंडवा की जिला पंचायत अध्यक्ष ने शिकायत की है। जिला पंचायत सीईओ नंदा भलावे को जांच करने के आदेश दिए हैं। सीईओ ने चार लोगों का जांच दल बनाया है जो जांच कर रहा है।



    ऐसे चलता है भ्रष्टाचार का पूरा खेल: आइए अब हम आपको बताते हैं कि भ्रष्टाचार का पूरा खेल चलता कैसे हैं। 27 सितंबर 2021 को दमोह के सतऊआ गांव में विधायक रामबाई ने चौपाल लगाई। इस चौपाल में पंचायत सचिव और रोजगार सहायक भी मौजूद थे। इस दौरान ग्रामीणों ने सचिव नारायण चौबे और रोजगार सहायक निरंजन तिवारी पर आरोप लगाए कि दोनो पीएम आवास के नाम पर हजारों रुपए वसूल रहे हैं। ग्रामीणों ने विधायक के सामने ही रोजगार सहायक और सचिव पर वसूली के आरोप लगाते हुए कहा कि इन दोनों ने किसी से 5 हजार, किसी से 6 हजार तो किसी से 9 हजार रुपए तक लिए। इसी तरह 21 जनवरी 2022 को सीहोर जिले के आष्टा जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) दिवाकर पटेल का एक वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो में साफतौर पर देखा और सुना जा सकता है कि एक कर्मचारी सीईओ की टेबिल के ड्रॉज में 500-500 के नोट रख रहा है। सीईओ दिवाकर पटेल पूछ भी रहे हैं कि यह पैसा कितना है और किस काम के हैं, जिस पर कर्मचारी जवाब दे रहा है कि सीसी रोड की फाइल पर साइन किए थे उसके 7500 रूपए हैं। यह पूरा खेल इसी तरह चलता है।



    यह है कमीशनखोरी का पूरा गणित: पंचायत स्तर पर निर्माण से संबंधित जो भी काम होते हैं, उनमें 20 से 25% कमीशन के रूप में बंट जाता है। इस कमीशन में हिस्सा सरपंच, सचिव से लेकर जनपद में पदस्थ अधिकारियों तक का होता है। इसके अलावा सरपंच-सचिव मनरेगा के कामों में रिश्तेदारों की फर्म के फर्जी बिल से खरीदी दिखाकर और पोर्टल पर फर्जी मजदूर की एंट्री से भी सरकारी राशि का बड़े स्तर पर बंदरबांट कर देते हैं। 



    राजनीति संरक्षण के कारण मिलती है शह...: पंचायत सचिव-सरपंच बेखौफ होकर ये पूरा खेल खेल कैसे लेते हैं, अब हम आपको यह समझाते हैं। कमीशन का जो पैसा आता है, वह वरिष्ठ अधिकारियों तक बंटता है, इसलिए वे तो कुछ कहने और करने से रहे। अब बात जनप्रतिनिधियों की, तो इनको भी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त रहता है। कारण...यही सरपंच सचिव चुनाव के समय किसी वोट बैंक से कम नहीं होते। अब इसके दो उदाहरण देखिए कि किस तरह सचिव-सरपंच के भ्रष्टाचार का राजनीति संरक्षण मिलता है।



    बीजेपी सांसद की अजब दलील: बीजेपी सांसद के अनुसार तो सरपंच को भ्रष्टाचार करने का अधिकार प्राप्त है। 27 दिसंबर 2021 को बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा ने रीवा में कहा कि जब लोग हमारे पास आते हैं कि सरपंच बहुत भ्रष्टाचार कर रहा है, तो मैं बोलता हूं कि 15 लाख तक का भ्रष्टाचार किया है तो भाई हमसे बात मत करो। 15 लाख से ज्यादा का अगर वह भ्रष्टाचार कर रहा है तो यह भ्रष्टाचार माना जाएगा। क्योंकि 7 लाख तो उसने चुनाव में लगाया, सात लाख लगाकर चुनाव जीता और 7 लाख अभी अगले चुनाव के लिए चाहिए। महंगाई बढ़ेगी तो एक लाख और जोड़ लो, तो 15 लाख तो हो गए। 15 लाख से ज्यादा अगर वह गड़बड़ कर रहा है तो उसका भ्रष्टाचार समझ में आता है।



    विधायक के अनुसार पंचायत सचिव द्वारा 1 हजार तक रिश्वत लेना गलत नहीं: पथरिया विधायक रामबाई के पास 27 सितंबर 2021 को सतऊआ गांव के कुछ लोग पंचायत सचिव और रोजगार सहायक की शिकायत लेकर पहुंचे थे। आरोप था कि पीएम आवास योजना के नाम पर सचिव और रोजगार सहायकों ने हजारों रुपए वसूल रहे थे। इसी के बाद विधायक ने गांव में पहुंचकर जन चौपाल लगाई, जिसमें गांव वालों ने अधिकारियों के सामने ही उनकी शिकायत की। गांव वालों का आरोप था कि अधिकारियों द्वारा 5 से 10 हजार रुपये तक रिश्वत ली जाती है। इसी के बाद विधायक राम बाई ने कहा कि थोड़ा-बहुत तो चलता है, लेकिन किसी गरीब से हजारों रुपए नहीं लेने चाहिए। अगर एक हजार रुपए भी लेते हैं तो कोई दिक्कत नहीं थी।



    शासन का मॉनीटरिंग सिस्टम पूरी तरह से फेल: ऐसा नहीं है कि शासन स्तर पर सरपंच-सचिव और अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने की खुली छूट ही दे दी गई हो। इसकी मॉनिटरिंग के लिए 3 सिस्टम है, पर वे पूरी तरह से फेल हैं, जिससे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में जमकर लूट-खसोट चल रही है। पंचायत में होने वाले काम की मॉनीटरिंग का पहला सिस्टम है सोशल ऑडिट...मतलब ग्राम सभा। इसमें ग्रामीणों के सामने पंचायत अपना लेखा-जोखा रखती है, लेकिन जागरूकता की कमी से यह ग्रामसभा किसी औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं है, लोग जागरूक नहीं है, इसलिए वे अपनी पंचायत के हिसाब किताब में ज्यादा रुचि नहीं रखते। दूसरा सिस्टम है- विभाग का अपना ऑडिट और तीसरा सिस्टम है- कैग का ऑडिट। इनमें भ्रष्टाचार पकड़ में तो आ जाता है, लेकिन सरकारी राशि की बंदरबांट ऊपरी लेवल तक होने से बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती। 



    अब भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने लोकपाल की तैयारी: पंचायतों में बेलगाम हो चुके भ्रष्टाचार को रोकने सरकार अब हर जिला पंचायत में लोकपाल की तैनाती करने जा रही है। यह लोकपाल पंचायतों में होने वाले मनरेगा के काम, पंचायत निधि का उपयोग, भुगतान और सोशल ऑडिट सहित 22 बिंदुओं की समीक्षा और शिकायतों का निराकरण करेगा। शिकायत मिलने पर 15 दिन में उनका निपटारा करने के भी दावे किए जा रहे हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक लोकपाल की तैनाती को लेकर नियम जारी कर दिए गए हैं, दावे-आपत्ति के बाद इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।



    मतदाता नहीं, जागरूक नागरिक बनिए..: द सूत्र का शुरू से यह कहना रहा है कि एक दिन का मतदाता नहीं बल्कि जागरूक नागरिक बनिए। सबसे पहला सवाल यह होता है कि पंचायत में हो रहे भ्रष्टाचार को आप कैसे पकड़ पाएंगे। तो उसके लिए ग्राम सभा में पूरा खाका रखा जाता है, उसे ध्यान से सुनें। पंचायत दर्पण की वेबसाइट http://mppanchayatdarpan.gov.in/ पर जाकर अपनी पंचायत चुनें। इस वेबसाइट पर आपको ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक के जनप्रतिनिधियों की जानकारी के साथ-साथ वेतन भुगतान तक की जानकारी मिल जाएगी। इस वेबसाइट से आप ग्राम पंचायत के ई-भुगतान की जानकारी, ग्राम पंचायत को प्राप्त राशि की जानकारी, जिला/जनपद पंचायत के ई-भुगतान (एकल खाते से), जिला/जनपद पंचायत को प्राप्त राशि की जानकारी, पंचायत द्वारा हाल ही मे स्वीकृत कामों की जानकारी, ग्राम पंचायत के द्वारा पूर्ण किए गए कामों की जानकारी, कार्य का सारांश, जिले, जनपद और पंचायत वार प्राप्त कर सकते हैं। वहीं, ग्राम पंचायत के निर्माण कार्यों की जानकारी, योजनावार कार्य, निर्माण कार्यों की जानकारी, ग्राम पंचायत के निर्माण कार्यों का भौतिक एवं वित्तीय प्रगति, कार्य के प्रकार एवं स्थिति वार निर्माण कार्यों की जानकारी भी आपको यही मिल जाएगी। यदि आपको लगता है कि आपकी पंचायत में कहीं कोई भ्रष्टाचार हुआ है तो आप इसकी शिकायत जनपद सीईओ, जिला सीईओ, कलेक्टर जनसुनवाई या सीएम हेल्पलाइन में कर सकते हैं।



    एक्सपर्ट कमेंट: पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में कमिश्नर रहीं पूर्व आईएएस वीणा घाणेकर ने कहा कि यह हमारी नैतिकता का प्रश्न है। यह प्रश्न लोकपाल या ऑडिट का नहीं है। सरपंच यदि अच्छा काम नहीं करे तो ढाई साल के बाद उसे रिकॉल यानी वापस बुलाया जा सकता है। 1993-94 में रिकॉल का एक्ट बना था, पर सरकार ने आज तक इसे डेवलप ही नहीं किया। लोकपाल क्या कर लेंगे। ईओडब्ल्यू ने क्या कर लिया। ईओडब्ल्यू के एसपी के पास खुद करोड़ों की संपत्ति निकली है। कुल मिलाकर हमारे नैतिक धरातल को उंचा करना चाहिए। सरकार को 1 पैसे का भ्रष्टाचार सहन नहीं करना चाहिए और भ्रष्टाचारी को सार्वजनिक रूप से सजा देना चाहिए। जब तक ये नहीं होगा आप लोकपाल बैठा लो, ऑडिट करवा लो, कैग की रिपोर्ट मंगा लो, ये सुधरने वाले नहीं है।


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