भोपाल. क्या सरकार (MP Government) में संस्कृति विभाग (Culture Department) से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले औऱ आदेश-निर्देश संस्कृति मंत्री (culture Minister Of MP) को दरकिनार कर लिए जा रहे हैं? प्रदेश के सभी बड़े शहरों के चौक-चौराहों पर भगवान परशुराम (Parashuram JI) की मूर्ति लगाने के निर्णय औऱ इस पर अमल के लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग (Urban Development and Housing Department) को जारी किए गए निर्देश के मामले में तो यही नजर आ रहा है। संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर (Usha Thakur) ने ऐसे किसी निर्णय और इस संबंध में विभाग से कोई निर्देश जारी किए जाने की बात से इनकार किया है। जबकि विभाग ने मुख्यमंत्री कार्यालय (Chief Minister Office MP) के निर्देश पर नगरीय विकास एवं आवास विभाग को इसी साल 22 जनवरी को निर्देश जारी किया है। हालांकि इस फैसले पर अमल शुरू होने से पहले ही राजनीति और विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मंत्री पीसी शर्मा और ब्राह्मण समाज (Brahmin Samaj) ने चौराहों पर परशुराम जी की मूर्ति लगाने का विरोध किया है।
नगरीय प्रशासन का आदेश
दरअसल, नगरीय प्रशासन एवं विकास के संयुक्त संचालक आरके कार्तिकेय ने 4 मार्च 2021 को 17 जिलों के कलेक्टर और सभी नगर निगम कमिश्नर को एक पत्र लिखा। इस पत्र में संस्कृति विभाग के उस आदेश का जिक्र किया गया, जिसमें प्रमुख शहरों के चौराहों पर भगवान परशुराम की मूर्ति स्थापित करने का उल्लेख किया गया था। इसमें सरकार द्वारा निर्धारित प्रावधान के अनुरूप प्रदेश के सभी बड़े शहरों में चौक-चौराहों पर परशुराम जी की मूर्ति स्थापना की कार्यवाही सुनिश्चित कर नगरीय प्रशासन संचालनालय को सूचित करने के निर्देश दिए गए।
सीएम कार्यालय से आया खत
इससे पहले 28 जनवरी 2021 को संस्कृति विभाग की अवर सचिव वंदना पांडेय ने नगरीय प्रशासन के उप सचिव को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में मुख्यमंत्री कार्यालय का हवाला देते हुए यह स्पष्ट किया गया कि प्रदेश के प्रमुख शहरों के चौराहों पर भगवान परशुराम की मूर्ति स्थापित की जानी है। इस पत्र के आधार पर ही नगरीय प्रशासन संचालनालय ने संबंधित जिलों के कलेक्टर और नगर निगम के कमिश्नर को मूर्ति लगाने के निर्देश जारी किए थे।
भगवान परशुराम का अपमान
शहरों में चौराहों पर भगवान परशुराम जी की प्रतिमा लगाने के सरकार के निर्णय को लेकर राजनीति औऱ विरोध भी शुरू हो गया है। कांग्रेस विधायक (Congress MLA) और पूर्व धर्मस्व मंत्री पीसी शर्मा (PC Sharma) कहना है कि परशुराम जी की मूर्ति चौराहों पर लगाने से उनका अपमान होगा, क्योंकि वे भगवान का अवतार हैं, ना कि कोई नेता या महापुरुष। चौराहों पर महापुरुषों और पूर्व नेताओं की मूर्तियां लगाई जाती हैं, ना कि भगवान की। भगवान की मूर्तियां तो मंदिर में स्थापित की जाती हैं न कि चौराहों पर। यदि सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती तो वे ब्राह्मण समाज के साथ सड़क पर उतरकर विरोध करेंगे।
चौराहों पर नहीं मंदिर में विराजित होते हैं भगवान
वहीं अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के प्रदेश अध्यक्ष पुष्पेंद्र मिश्र का मानना है कि सरकार का ये आदेश ब्राह्मण समाज का अपमान है। भगवान परशुराम भगवान विष्णु के अवतार हैं। इसलिए उनकी मूर्ति चौराहों पर नहीं बल्कि मंदिर में विराजित होती है। उनकी पूजा-पाठ की जाती है। इसलिए ब्राह्मण समाज सरकार के ऐसे किसी भी आदेश की निंदा करता है। यदि सरकार ऐसा कुछ करती है तो समस्त ब्राह्मण समाज इसका विरोध करेगा।
विभागीय मंत्री को नहीं है जानकारी
मामले को लेकर जब द सूत्र के संवाददाता ने संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर से बात करनी चाही तो उन्होंने परशुराम जी की मूर्ति शहरों के चौराहों पर लगाने के संबंध में किसी आदेश-निर्देश की जानकारी होने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि पहले वो विभागीय स्तर पर इस निर्णय के बारे में जानकारी हासिल करेंगी उसके बाद कोई जवाब दे सकेंगी। यानि मुख्यमंत्री कार्यालय का आदेश और इसके बाद संस्कृति विभाग के अफसर दूसरे विभाग के जिम्मेदार अफसरों को मूर्ति लगाने का आदेश दे रहे हैं, लेकिन विभाग की मुखिया के रूप में मंत्री उषा ठाकुर इस पूरे मामले से ही अनजान हैं।
इन शहरों में लगनी है मूर्ति
संस्कृति विभाग के आदेश के मुताबिक प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, मुरैना, खंडवा, बुरहानपुर, उज्जैन, देवास, रतलाम, सागर, रीवा, सतना, जबलपुर, मुड़वारा, कटनी, छिंदवाड़ा, सिंगरौली में प्रमुख चौक-चौराहों पर भगवान परशुराम की मूर्ति स्थापित की जानी है।