मंडला. मध्य प्रदेश के मंडला में अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां पर कोर्ट ने सजा किसी और को सुनाई और जेल में कोई और ही रहा। ऐसा एक नहीं तीन लोगों के साथ हुआ। धोखाधड़ी के मामले में तीन लोगों को कोर्ट ने सजा सुनाई थी। उनकी जगह तीन बेगुनाहों को जेल भेज दिया गया। जिनको सजा सुनाई गई उनमें से एक की उम्र 70 साल है, जबकि उसके नाम पर जेल गए शख्स की उम्र 45 साल है। 84 दिन जेल में रहने के बाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है।
पीड़ित कोमल प्रसाद पांडे (47) निवासी सिहोरा अपनी पत्नी प्रतिमा पांडे के साथ बुधवार को जबलपुर एसपी ऑफिस पहुंचा। कोमल ने बताया कि वह किसी दूसरे की सजा काटकर जमानत पर आया है। एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने मामले को गंभीर बताया। उन्होंने जांच के लिए ट्रेनी आईपीएस को नियुक्त किया है।
ये है पूरा मामला
मामला सितंबर 2011 का है। मंडला जिले के कान्हा में वन विभाग के टोल का अमित खम्परिया और अन्य पार्टनर के नाम पर शराब का ठेका था। यहां पर्यटकों से ज्यादा वसूली की जाती थी। इसकी शिकायत पर खटिया थाने के तत्कालीन टीआई ने 8 सितंबर 2011 को धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया।
जांच के बाद पुलिस ने अमित खम्परिया, उसके पिता अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी, रामजी द्विवेदी और रिश्तेदार दशरथ प्रसाद तिवारी समेत रज्जन, उमेश पांडे, अमित पांडे, श्रीकांत शुक्ला, शनि ठाकुर, अजय वाल्मीकि और एक अन्य को आरोपी बनाया। सभी जमानत पर बाहर थे। मंडला की नैनपुर कोर्ट में 10 साल तक केस चला। 22 सितंबर 2021 को कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने आरोपियों को पांच-पांच साल की जेल और जुर्माना लगाया।
कोर्ट में तीन अभियुक्त ही हुए पेश
22 सितंबर 2021 को तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश डीआर अहिरवार की कोर्ट में फैसला सुनाया। कोर्ट में इस समय अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी (70) निवासी उमरिया, रामजी द्विवेदी (66) निवासी सतना और दशरथ प्रसाद तिवारी (60) निवासी उमरिया ही पेश हुए। अभियुक्तों में उमेश पांडे की मौत हो चुकी है, जबकि 6 अन्य फरार थे।
अमित ने रची पूरी साजिश
मामले में आरोपी अमित खम्परिया ने कोर्ट में पेश होने के दौरान ही पूरा खेल किया। उसने पिता अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी सहित तीनों को बचाने के लिए अनिरुद्ध की जगह कोमल प्रसाद पांडे (47) निवासी सिहोरा, रामजी द्विवेदी की जगह श्यामसुंदर खम्परिया और दशरथ प्रसाद तिवारी के बजाय विराट तिवारी निवासी ग्वारीघाट को कोर्ट में पेश कर दिया। इनके आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर पहचान बदल दी। ऐसे में तीनों बेगुनाहों को 84 दिन जेल में सजा काटना पड़ी।