उमा रायसेन के सोमेश्वर धाम पहुंची, मंदिर के बाहर से पूजा की, अन्न त्यागा, जानें

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Atul Tiwari
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उमा रायसेन के सोमेश्वर धाम पहुंची, मंदिर के बाहर से पूजा की, अन्न त्यागा, जानें

रायसेन. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती 11 अप्रैल को रायसेन पहुंच चुकी हैं। उन्होंने 7 अप्रैल को ट्वीट कर रायसेन किले में स्थित शिवलिंग का अभिषेक करने की बात कही थी। उमा रायसेन के किले स्थित मंदिर पहुंचीं और मंदिर के बाहर ही अभिषेक किया। उमा ने मंदिर का ताला खुलवाने को कहा है। 5 पंडितों ने उमा का अभिषेक कराया। किले के पास काफी पुलिसबल तैनात है। कलेक्टर, एसपी, डीआईजी समेत बड़ी संख्या में अधिकारी मौजूद हैं। मंदिर के गेट पर दो ताले लगे हुए हैं।



ये बोलीं उमा



हम ताला नहीं तोड़ते। आगे बढ़ो, जोर से बोलो और राम जन्मभूमि का ताला खोलो, ये नारा था। ताला तोड़ो नारा नहीं था। ये ताला बहुत छोटा है। मेरे भी एक घूंसे से टूट जाएगा। हम मर्यादा में रहे हैं। हम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के वंशज हैं। इसलिए अयोध्या में भी यही नारा चला। राधेश्याम वशिष्ठ जी ने बहुत बड़ा आंदोलन किया। हिंदू महासभा के फलस्वरूप यहां बहुत बड़ा उत्सव हुआ। यहां ताला खुला और पूजा शुरू हुई। अब मैं चाहती हूं कि हमें बहुत जल्दी ये अवसर मिले, केंद्रीय पुरातत्व विभाग से राज्य पुरातत्व विभाग संपर्क करे और यहां के प्रशासन को यहां के तालों को खोलने का अधिकार मिले। फिलहाल ये अधिकार अभी प्रशासन के पास नहीं है। मेरा ये संताप ऐसे दूर नहीं हो सकता, इसलिए मैं आज से अन्न का त्याग कर रही हूं, जब तक ताला नहीं खुलेगा। 



रिपोर्टर्स के इस सवाल पर कि कुछ वक्त के लिए ताला खुलवाना चाहती हैं या हमेशा के लिए, इस पर उमा ने कहा कि इस पर तो विचार करना पड़ेगा।    




— TheSootr (@TheSootr) April 11, 2022



कांग्रेस के मुख्यमंत्री ने खुलवाया था ताला



एक पुरातत्वविद राजीव लोचन चौबे ने एक अखबार को बताया था कि 1543 तक यह स्थान मंदिर के रूप में प्रतिष्ठित रहा। इसके बाद रायसेन के राजा पूरणमल को शेरशाह सूरी ने हरा दिया। उसके शासनकाल में यहां से शिवलिंग हटाकर मस्जिद बना दी गई, लेकिन गर्भगृह के ऊपर गणेश जी की मूर्ति समेत अन्य चिह्न स्थापित रहे। इससे इसके मंदिर होने के प्रमाण मिलते हैं।



आजादी के बाद से 1974 तक मंदिर पर ताला लगा रहे। फिर एक बड़ा आंदोलन हुआ था, जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री और दिवंगत कांग्रेस नेता प्रकाशचंद सेठी ने खुद मंदिर के ताले खुलवाए थे। उस दौरान केके अग्रवाल यहां के कलेक्टर थे। आंदोलन के बाद से मंदिर के पट साल में एक बार महाशिवरात्रि पर 12 घंटे के लिए खोले जाते हैं। इस दिन यहां मेले का आयोजन भी होता है।



महाशिवरात्रि पर खुलता है गेट



मंदिर की चाबी पुरातत्व विभाग के पास ही रहती है, लेकिन महाशिवरात्रि के दिन सुबह 5 बजे SDM, तहसीलदार समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के सामने मंदिर के पट पर लगे ताले खोले जाते हैं। मेले में आने वाले श्रद्धालु दिनभर मंदिर में दर्शन करते हैं। शाम 5 बजे प्रशासनिक अधिकारियों के सामने ही मंदिर में दोबारा ताले लगा दिए जाते हैं।



लोग मन्नत का धागा भी बांधते हैं



महाशिवरात्रि के अलावा अन्य दिनों में यहां आने वाले श्रद्धालु शिवलिंग के दर्शन ताले लगे गेट के बाहर से ही करते हैं। मन्नत मांगने आए लोग मंदिर के दरवाजे पर कलावा और कपड़ा बांधते हैं और मन्नत पूरी होने के बाद कपड़ा खोल जाते हैं।



सुरक्षा जरूरी है



पुरातत्व विभाग का कहना है कि मंदिर इतनी ऊंचाई पर है, इसलिए देखरेख आसान नहीं है। इस दौरान मंदिर में किसी चीज का नुकसान होता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। अगर किसी अज्ञात व्यक्ति ने मंदिर में कोई तोड़फोड़ कर दी, तो माहौल भी बिगड़ सकता है।


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