शिवपुरी. ग्वालियर-चंबल अंचल में रेत खूनी खेल में तब्दील होती जा रही है। अवैध उत्खनन की अपनी कहानी है, लेकिन हाल ही में बाढ़ में बहकर आई रेत के लिए भी एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई। घटना सिंध नदी के किनारे सैमरी गांव की है। यहां 2-3 अगस्त को बाढ़ आई थी। जब खेतों से पानी उतरा तो सैकड़ों टन रेत रह गई। अब इसी रेत को लेकर लोगों में खूनी संघर्ष छिड़ा हुआ है।गिजोर्रा के सैमरी गांव में खेत में पड़ी रेत के लिए दो परिवारों में खूनी संघर्ष हो गया। 3 दिन पहले की घटना में दोनों तरफ लाठियां, पथराव और गोलियां चलीं। 10 से ज्यादा लोग घायल हुए। पुलिस ने दोनों पक्षों पर केस दर्ज किया। 9 अक्टूबर को एक घायल भगवान दास बाथम ने दम तोड़ दिया। पुलिस ने 16 लोगों पर हत्या का मामला दर्ज कर लिया है।
सिंध की रेत महंगी, इसी के लिए जंग
सैमरी गांव सिंध नदी के किनारे बसा है। यहीं भगवान दास बाथम रहते थे। गांव में ही उसका खेत है। ग्वालियर-चंबल में आई बाढ़ से डबरा-भितरवार के 46 गांव चपेट में आए थे। खेतों में भरे बाढ़ के पानी से फसलें चौपट हो गई थीं। जब बाढ़ का पानी उतरा तो खेतों में सिंध की रेत के रूप में सोना पड़ा था। सिंध की रेत महंगी है और इसके लिए लोगों में संघर्ष शुरू हो गया।
पड़ोसियों के बीच लड़ाई
जैसे-जैसे बारिश थमी और धूप तेज हुई तो मिट्टी से रेत अलग होने लगी। इसी के चलते सैमरी के भगवान दास बाथम और पड़ोसी लेखराज बाथम में खेत की मेड़ पर पड़ी रेत पर हक जमाने के लिए झगड़ा हो गया। दोनों परिवारों के बीच में जमकर पथराव हुआ, लाठियां चलीं और फायरिंग भी हुई, जिसमें भगवान दास गंभीर रूप से घायल हुए था। भगवान दास की ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में इलाज के दौरान दौरान मौत हो गई।