सागर. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के शाहगढ़ (Shahgarh) की रहने वाली अंगूरी देवी (Angoori Devi) ने दांपत्य जीवन से मुक्ति पाई है। उन्होंने 65 साल की उम्र में साध्वी (Sadhvi) जीवन धारण किया है। इसके पहले वह सामान्य गृहिणी का जीवन जी रहीं थी। सिद्धश्री माता से प्रेरणा पाकर उन्होंने यह फैसला किया।
जैन तीर्थ स्थल पर साध्वी जीवन ग्रहण करेंगी
अंगूरी देवी 14 दिसंबर को राजस्थान (Rajasthan) के बैंसवाड़ा (जैन तीर्थ स्थल) में विधिवत तरीके से साध्वी जीवन को ग्रहण करेंगी। इसके पहले वह बिनौली यात्रा पर निकलीं। जैन समाज ने उनकी गोद भराई का आयोजन किया। गोद भराई कार्यक्रम के दौरान लोग भावुकता हुए। उन्हें बग्घी में बिठाकर बैंड-बाजा सहित शहर में बिनौली यात्रा निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल हुए। कार्यक्रम देर रात को संपंन हुआ।
बांसबाड़ा में दीक्षा कार्यक्रम
जब भी कोई महिला-पुरुष जैन धर्म में सन्यास-साध्वी व्रत लेता है, तो उसे दीक्षा लेनी होती है। इसीलिए अंगूरी देवी 14 दिसंबर को राजस्थान के बांसवाड़ा (Bainswara) क्षेत्र में धर्माचार्य विभव सागर महाराज से दीक्षा ग्रहण करेंगी। क्षुल्लिका दीक्षा के उपरांत उन्हें आचार्य द्वारा नया नाम दिया जाएगा।
अंगूरी देवी के निर्णय में पति की इच्छा
अंगूरी देवी ने कक्षा 5वीं तक पढ़ाई की है। उन्होंने अपना 45 साल लंब जीवन बतौर गृहिणी जिया है। उनके दो बच्चे हैं। दोनों की शादी हो चुकी है। वे पिछले 10 साल से ब्रह्मचर्य का पालन कर रहीं हैं। धर्म में बताए गए मार्ग पर चलने के लिए उन्होंने कठोर त्याग किए। अब वह दीक्षा लेने जा रही हैं। उनके पति सुरेश शाह का कहना है कि अंगूरी देवी ने जो सोचा है, वह अच्छा ही सोचा होगा। इसलिए मैं उनके निर्णय में बाधा नहीं बनूंगा।
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