सय्यद आफताब अली, शाजापुर. यहां के स्कूल की छत जर्जर हो चुकी है। सभी शिक्षकों का कहना है कि कभी भी जनहानि हो सकती है। कई शिकायत हो चुकी हैं, लेकिन विभाग को छत सुधरवाने की सुध नहीं है। शाजापुर में हिंदी हरायपुर स्कूल करीब 70 साल पुराना है। स्कूल की हालत पर अधिकारियों को तरस नहीं आ रहा। बड़ी बात ये कि प्रदेश के शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार के गृह जिले में शिक्षा के मंदिर की यह हालत है तो फिर प्रदेश के अन्य जगहों के स्कूल की हालत क्या होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
स्कूल पहुंची टीम: जब द सूत्र की टीम ने स्कूल का मुआयना किया, छात्रों और शिक्षकों से बात की तो धरातल की स्थिति सामने आई। स्कूल प्रबंधक ने बताया कि स्कूल की हालत के बारे में हमने कई बार आला अधिकारियों से बात की अधिकारियों को लिखित में भी दिया लेकिन अभी तक सिर्फ और सिर्फ हमें आश्वासन ही मिल पाया। हम बच्चों को एक छत के नीचे कैसे पढ़ाते हैं, ये हम ही जानते हैं। डर लगा रहता है कि ऐसा ना हो कि छत बच्चों के सिर पर गिर जाए। आए दिन स्कूल की छत जवाब दे रही है।
बच्चों में डर: द सूत्र की टीम ने जब बच्चों से बात की तो वे भी डरे हुए थे। छात्राओं ने बताया कि जिस छत के नीचे बैठते हैं, उसके नीचे बैठने में कभी भी हादसा होने का डर लगा रहता है। ऐसा ना हो कि यह छत टूट कर हमारे ऊपर गिर जाए।
ये बोले टीचर्स: अश्विनी दवे का कहना है कि छत से सीमेंट कभी भी गिरने लगता है। अफसर चैक करने भी आए थे, लेकिन कुछ हुआ नहीं। कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कुछ होता नहीं। एक अन्य शिक्षक देवकीनंदन शर्मा का कहना है कि बिल्डिंग काफी पुरानी हो गई है। छत के धपड़े गिर रहे हैं। पूरी छत गिरने और जनहानि का खतरा बना रहता है। टीचर अरुणप्रभा शर्मा का कहना है कि खतरा है, लेकिन काम के लिए छत के नीचे तो बैठना ही पड़ेगा। छत गिरने का खतरा लगा रहता है। बारिश में पूरी छत टपकती है।