भोपाल से राहुल शर्मा और जबलपुर से ओपी नेमा. मध्य प्रदेश का बजट सत्र 7 मार्च से शुरू होने वाला है। ऐसे में एक बार फिर सरकार लोगों को लुभाने के लिए योजनाओं का पिटारा खोलेगी और इन योजनाओं में करोड़ों रुपए दिए जाएंगे। इनमें से कुछ योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ेंगी तो कुछ ऐसी होंगी जिसका कोई मतलब ही नहीं है। मेरा बजट-मेरा ऑडिट की पहली कड़ी में हम आपको ऐसी ही एक योजना साइकिल ट्रैक के बारे में ऑन ग्राउंड जाकर बताएंगे कि कैसे एक बेमतलब की योजना में करोड़ों फूंक दिए और उसका उपयोग नहीं हो रहा।
द सूत्र ने योजना की पड़ताल राजधानी भोपाल और जबलपुर से की। दोनो जगह स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत ये साइकिल ट्रैक बनाए गए। भोपाल में 8 करोड़ से ज्यादा की लागत से 3 अलग-अलग जगह साइकिल ट्रैक बनाए गए। वहीं, जबलपुर में ट्रैक बनाने के लिए 6 करोड़ फूंके गए। इन साइकिल ट्रैक की हकीकत ये है कि यहां से दिनभर में बमुश्किल 50 साइकिलें ही गुजरती होंगी। कहीं ये ट्रैक टूटे-फूटे मिले तो कहीं इन पर कब्जा हो चुका है। लोग यहां अपने वाहन पार्क कर रहे हैं या गुमटियां लग गई है।
भोपाल के साइकिल ट्रैक के यह हैं हालात...
साइकिल ट्रैक 1: आरआरएल तिराहे से मिसरोद तक
लंबाई: 6 किमी
लागत: 5 करोड़ रुपए
कब बना: मई 2017
क्या है स्थिति: ट्रैक उखड़ रहा, खुले हैं डक्ट
द सूत्र की पड़ताल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के कारण आरआरएल तिराहे से बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी तक तो ट्रैक फिर भी ठीक है, लेकिन विद्या नगर से मिसरोद तक जगह-जगह उखड़ा हुआ है। मिसरोद से लेकर बावड़िया कला पुल तक ट्रैक की हालत बद से बदतर है। यहां गिट्टियां निकल आई है। जगह-जगह डक्ट खुले हुए हैं जो दुर्घटना को खुला न्योता है। वृंदावन ढाबा जाने वाले लोग ट्रैक के कट पॉइंट पर गाड़ी खड़ी कर रहे हैं। जहां-तहां बाइक भी ट्रैक के अंदर खड़ी रहती है। चिनार फॉरच्यून के सामने ड्यूटी पर मौजूद ट्रैफिक पुलिस के सिपाही से जब पूछा गया कि इन गाड़ियों को ट्रैक से क्यों नहीं हटाते तो उसने अपनी लाचारी जाहिर की। साथ ही यह भी कहा कि पार्किंग की कहीं कोई जगह ही नहीं है, इसलिए लोग गाड़ी खड़ी कर देते हैं। खास बात यह थी की सिपाही की खुद की बाइक भी कट पॉइंट पर ट्रैक के बीच में ही खड़ी थी।
साइकिल ट्रैक 2: पॉलीटेक्निक चौराहे से भारत माता चौराहे तक
लंबाई: 2.2 किमी
लागत: 2 करोड़ से ज्यादा
कब बना: दिसंबर 2020
क्या है स्थिति: ट्रैक खत्म, जगह-जगह अतिक्रमण
द सूत्र की पड़ताल: पॉलीटेक्निक चौराहे से भारत माता चौराहे की ओर जाने वाले साइकिल ट्रैक कब्जे के कारण लगभग खत्म हो गया है। यहां कार और बाइक इतनी बड़ी संख्या में पार्क हो रही है कि साइकिल छोड़िए पैदल निकलना भी मुश्किल है। बीच-बीच में गुमटियां लगी हुई है। लोग स्टॉपर तोड़कर ट्रैक के अंदर ही स्थाई तौर पर वाहन खड़े करने लगे हैं। लोगों के बैठने के लिए बेंच भी इन्हीं ट्रैक्स पर रखी है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नीकल टीचर्स एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट के ठीक सामने के साइकिल ट्रैक के बीचों-बीच ही बिजली का एक खंभा है, जिसके कारण साइड से साइकिल के निकलने की जगह बेहद कम रह गई है। इसी के आसपास लोगों ने दूसरे सामान ट्रैक पर पटक दिए हैं।
साइकिल ट्रैक 3: न्यू मार्केट तिराहे से माता मंदिर चौराहे तक
लंबाई: 2 किमी
लागत: 1 करोड़ से ज्यादा
कब बना: जनवरी 2021
क्या है स्थिति: साइकिल चालक को पता नहीं, ये ट्रैक किसके लिए है
द सूत्र की पड़ताल: साइकिल ट्रेक ठीक स्थिति में मिला पर उपयोग में नहीं लाया जा रहा है। इस साइकिल ट्रेक पर द सूत्र की टीम ने करीब एक घंटे का समय बिताया। सड़क के दोनो ओर से साइकिल ट्रैक बने हुए हैं, उसमें से होकर इस दौरान एक भी साइकिल नहीं गुजरी। ट्रैक के पास सब्जी और फलों के ठेले लगाने वालों ने बताया कि दिनभर में यहां से 15 साइकिल भी नहीं गुजरतीं। इस दौरान मुख्य सड़क से साइकिल से आने वाले एक राहगीर से जब द सूत्र ने बात की कि आप ट्रैक से क्यों नहीं आए तो उन्होंने मासूमियत भरा जवाब दिया कि यह हमेशा खाली ही देखा है, इसलिए हमें तो पता ही नहीं कि यह साइकिल के लिए बनाया गया है।
जबलपुर में ट्रैक पर ठेले और टपरों का कब्जा: साइकिल चालकों की सुविधा के लिए स्मार्ट सिटी जबलपुर द्वारा कटंगा से ग्वारीघाट तक नॉन मोटराइज ट्रांजिट यानी NMT का निर्माण कराया, लेकिन इस पर अब कब्जे ही नजर आते हैं। करीब 12 किलोमीटर लंबे इस साइकिल ट्रैक पर कहीं अवैध कब्जे बने हैं तो कहीं ठेले-टपरे काबिज हो गए हैं। 6 करोड़ रुपए की लागत से तैयार साइकिल ट्रैक का निर्माण प्रकाश कंस्ट्रक्शन द्वारा कराया गया है, जिसमें लैंडस्कैपिंग के जरिए पौधे तक लगाए गए हैं। NMT के फेल होने के पीछे अधिकारी ऑन कैमरा तो कुछ नहीं कह रहे, पर यह दलील जरूर दे रहे हैं कि शहरवासी खुद नहीं चाहते कि संस्कारधानी स्मार्ट बने। पूर्व महापौर स्वाति गोडबोले का तो यहां तक कहना है कि लोगों ने शुरू में एक-डेढ़ साल तो रुचि दिखाई, फिर ध्यान नहीं दिया। अधिकारी भी उतना ध्यान नहीं दे पाए, जितना देने की जरूरत थी। जिसके कारण ये स्थितियां बनी।
2 साल में सिर्फ धुलाई पर खर्च कर दिए 70 लाख: सफेद हाथी हो चुके इन ट्रैक के मेंटेनेंस पर भी सरकार करोड़ों फूंक रही है। भोपाल में होशंगाबाद रोड पर आरआरएल तिराहे से मिसरोद तक के ट्रैक की धुलाई में ही 2 साल में 70 लाख रुपए खर्च कर दिए गए। 2020-2021 में मेंटेनेंस के नाम पर 35 लाख रूपए फूंक दिए और मई 2021 में नोएडा की एक कंपनी को ट्रैक के मेंटेनेंस समेत सफाई और अन्य व्यवस्थाओं के लिए 1.5 करोड़ में टेंडर दिया, पर ट्रैक की हालत बेहद खराब है।
बनाई जा सकती है टू व्हीलर लेन: साइकिल ट्रैक की मरम्मत पर सरकार करोड़ों खर्च कर रही है, जबकि इन ट्रैक से साइकिल ही नदारद है। भोपाल में होशंगाबाद रोड पर 5 मीटर चौड़े इस ट्रैक पर सुबह के समय ही कुछ लोग शौकिया साइकिल चलाते हैं। उसके बाद ये खाली ही पड़ा रहता है। राजधानी में 70% वाहन टू व्हीलर हैं और होशंगाबाद रोड पर बढ़ते ट्रैफिक के दबाव को कम करने के लिए एक टू व्हीलर लेन की जरूरत महसूस की जा रही है। इस साइकिल ट्रैक को आधा करके भी टू व्हीलर लेन बनाई जा सकती है।
वाहवाही लूटने सरकार जनता के पैसों को लुटा रही: सोशल एक्टिविस्ट राशिद नूर खान ने कहा कि सरकार वाहवाही लूटने जनता और टैक्सपेयर के पैसों को इस तरह से बर्बाद कर रही है। सरकार हो या नगर निगम बजट में उन योजनाओं को शामिल करना चाहिए, जिससे जनता को सीधे फायदा हो, ना कि गैर-जरूरी कामों पर पैसा बर्बाद करना चाहिए।