MP: फुल फिल्मी है रीवा के सिरमौर जनपद सीईओ पर हमले की कहानी, जानिए क्यों पिट रही है बीजेपी भद

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MP: फुल फिल्मी है रीवा के सिरमौर जनपद सीईओ पर हमले की कहानी, जानिए क्यों पिट रही है बीजेपी भद

BHOPAL. विन्ध्य (बघेलखंड) में 30 में 24 सीटें और रीवा (Rewa) की आठ की आठों सीटें जीतकर सरकार और संगठन की नाक बचाने वाली स्थानीय BJP अब नाक कटाने को लेकर चर्चाओं में है। जनपद के सीईओ पर हमला करने के तीन आरोपी बीजेपी के पदाधिकारी निकले और उन्हें पार्टी ने छह साल के लिए निकाल दिया। इसके पूर्व एक मंडल अध्यक्ष (Mandal President) ने दुकानदार को सरेआम पीटा उसे भी निकाल पाते कि दूसरे पदाधिकारी का ब्राह्मण-ठाकुरों को मां-बहन की गाली देता हुआ फेसबुक लाइव जारी हो गया। 



मनगवां विधायक (Mangawan MLA) के क्षेत्र में विधायक और सांसद को ग्रामीणों ने मुर्दाबाद कहकर भगा दिया। स्पीकर का निजी सचिव रह चुका सरपंच पति पंद्रह अगस्त के भाषण में कहता है कि शिवराजसिंह चौहान ने जब 35-35 करोड़ देकर विधायक खरीदे तो पंचायतों में भ्रष्टाचार कौन-सी बड़ी बात है। इस समय सिरमौर (Sirmaur) के जनपद सीईओ एसके मिश्रा (District CEO SK Mishra) पर हमले का मामला गर्म है बात वहीं से शुरू करते हैं।



उबाल पर आ गई है राजनीति



अब तक का अपडेट यह है कि सीईओ सुरेश चंद्र मिश्र पर हमले के आरोप में बीजेपी नेतृत्व ने रीवा जिले के बनकुंइया मंडल के अध्यक्ष मनीष शुक्ल, मीडिया प्रभारी विवेक गौतम और एक कार्यकर्ता विनय शुक्ल को छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया गया है। भोपाल से खबर यह है कि प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने विधायक केटी त्रिपाठी को तलब करके फटकार लगाई है। इधर जिले के सभी जनपदों के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए है। धमकी दी है कि यदि सभी आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार नहीं किया जाता तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। आरोपियों पर भादंसं की धारा 307 समेत कई अन्य गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। इस बीच जिला कांग्रेस कमेटी ने एसपी को ज्ञापन देकर माँग की है कि विधायक केपी त्रिपाठी को भी मुजरिम बनाया जाए क्योंकि सीईओ के बयान के अनुसार हमला विधायक के इशारे पर हुआ है। कांग्रेस ने जिले भर में प्रदर्शन व आंदोलन का ऐलान किया है। विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने इस घटना पर बयान देकर इसे प्रदेव्यापी बना दिया है।



विवाद की शुरूआत ऐसे हुई



स्वतंत्रता समारोह के दूसरे दिन यानी 16 अगस्त को सुबह सोशल मीडिया में एक आडियो वायरल होता है। यह आडियो सेमरिया विधायक केपी त्रिपाठी और जनपद सीईओ के बीच संवाद का है। विधायक का आरोप है कि सीईओ चुन-चुनकर उसके समर्थकों को टारगेट कर रहा है। सीईओ भी उसी अंदाज और अकड़ से जवाब देता है। एक दूसरे को देख लेने के साथ गर्मागर्म बात का समापन होता है।



इसी दिन रीवा से 25 किमी दूर पुरवा प्रपात के पास बसामन मामा गो अभयारण्य में प्रबंधन समिति की बैठक होती है। बैठक में सीईओ, एसडीएम और अन्य अधिकारी शामिल होते हैं। यह अभयारण्य सेमरिया क्षेत्र में है और विधायक केपी त्रिपाठी इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट मानते हैं। एक तरह से जिले का यह  जैविक खेती का अनुसंधान केन्द्र भी है।



बैठक से निकलने के बाद सीईओ सिरमौर मुख्यालय की ओर निकलते हैं कि रास्ते में बाइक्स पर सवार एक दर्जन युवा उनकी बेलोरो को घेर लेते हैं। सीईओ सुरेश मिश्र को गाड़ी से उतारकर पिटाई शुरू करते हैं। लाठी-डंडों से तबतक पीटते रहते हैं जबतक कि वे अचेत नहीं हो जाते। ड्राइवर उन्हें सिरमौर ले जाता है वहाँ से रीवा के एसजीएमएच में भर्ती कराया जाता है। इलाज कराते हुए ही सीईओ पुलिस व मीडिया को बयान देते हैं कि विधायक केपी त्रिपाठी के इशारे पर उनके ऊपर मनीष, विवेक और विनय ने हमले किए सत्रह हमलावर अन्य थे जिसे वह नहीं जानते। पुलिस ने सीईओ के बयान के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है।



बीजेपी की अंदरूनी राजनीति का मोहरा बन गए बेचारे सीईओ



अब इस पूरी घटना की पृष्ठभूमि पर चलते हैं..उससे बीजेपी की अंदरूनी संडाध सामने आएगी। यह कहानी शुरू होती है जनपद और सिरमौर नगरपरिषद के चुनाव से। केपी त्रिपाठी विधायक हैं सेमरिया के लेकिन उनके क्षेत्र की आधे से ज्यादा पंचायतें आती हैं सिरमौर जनपद में। सिरमौर के विधायक हैं बीजेपी के दिव्यराज सिंह। जनपद के अध्यक्ष के चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए दोनों विधायकों ने अपने-अपने प्रत्याशी मैदान पर उतार दिए। केपी त्रिपाठी कि पलड़ा भारी देख विधायक दिव्यराज सिंह ने पूर्व विधायक व कांग्रेस नेता अभय मिश्र से हाथ मिला लिया। अभय का करियर भी सिरमौर जनपद से शुरू होता है और वे सेमरिया के विधायक रह चुके हैं। चुनाव के समय भी सिरमौर में काफी गहमागहमी हुई बीजेपी के दोनों विधायकों के बीच तू-तड़ाक और समर्थकों के बीच झूमाझटकी हुई। बीजेपी के विधायक दिव्यराज सिंह व कांग्रेस के अभय मिश्र की संयुक्त उम्मीदवार अध्यक्ष पद का चुनाव जीत गई।



अब इसके बाद शुरू होती है सीईओ की भूमिका। वायरल वीडियो में विधायक केपी त्रिपाठी के अनुसार सीईओ उन्हीं व्यक्तियों को टारगेट करके परेशान करते हैं जो उनका समर्थक है। यही नहीं बैठकों में विधायक त्रिपाठी पर आरोप भी लगाते हैं कि उन्होंने दलाल पाल रखे हैं। वायरल वीडियो में सीईओ विधायक से उतनी ही ठसक के साथ बात करते हैं जितनी कि केपी त्रिपाठी। जाहिर है सीईओ की इस ठसक के पीछे बीजेपी के विधायक दिव्यराज सिंह और अभय मिश्र का वरदहस्त है। वे हर बातें विधायक सिरमौर को रिपोर्ट करते हैं जबकि उनके कार्यक्षेत्र यानी सिरमौर जनपद की आधी के करीब पंचायतें सेमरिया विधानसभा में आती हैं। स्वाभाविक है कि सीईओ की अवग्या का एक विधायक विधायक को ठीक नहीं लगी और वायरल आडियो के मुताबिक़ अपने टारगेट में ले लिया। 



कहानी कुछ फिल्मी सी है



आडियो वायरल होने के कुछ ही घंटों बाद सीईओ पर हमला हो जाना यह सब पहली नजर में ही स्क्रिप्टेड लगता है। यह कुछ ऐसे ही लगता है जैसे कि फिल्मों में होता है।  पहला किसी व्यक्ति को विवाद के लिए उकसाता है दूसरा प्रतिक्रिया स्वरूप विवाद करने वाले व्यक्ति को जान से मारने की धमकी देता है। पहला मौके की ताक में रहता है और हमला करवा देता है। सभी सबूत धमकी देने वाले के खिलाफ है। पुलिस उसे ही पकड़कर ले जाती है। जाहिर सबूत चूँकि दूसरे के खिलाफ है इसलिए पब्लिक की नजर में वही गुनहगार है। यह कहानी भले ही फिल्मी न हो लेकिन इस पूरी स्क्रिप्ट में सिर्फ एक चूक है वो यह कि कोई मूर्ख से मूर्ख भी किसी को अपने ठिकाने पर आमंत्रित करके उसपर हमला करने का जोखिम नहीं लेता और यदि वह सार्वजनिक जीवन से जुड़ा है तो कतई नहीं।

सिरमौर के प्रकरण से बीजेपी की पूरे प्रदेश में भद्द पिटी है। हमलावरों को तलाश कर उन्हें कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए, लेकिन बीजेपी नेतृत्व को उस पृष्ठभूमि में भी जाने की जरूरत है जिसकी वजह से उसकी ऐसी नककटी हुई।



सिरमौर कान्ड के इन किरदारों को भी जानिए



जनपद सीईओ पर हमले के बाद जो सबसे ज्यादा सक्रिय हैं जानिए उन किरदारों के बारे में भी। सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह इस पूरे घटनाक्रम से स्वाभाविक तौर पर सबसे ज्यादा आहत हैं। घटना के बाद वो इस बात से आहत रहे कि कि पुलिस रिपोर्ट लिखने में देरी क्यों कर रही है और बड़े अधिकारी तत्काल देखने क्यों नहीं पहुंच रहे। इस बात की शिकायत उन्होंने मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष से की। अलबत्ता घायल सीईओ को देखने वे भी अस्पताल नहीं गए। रीवा राजपरिवार के चिराग दिव्यराज सिंह सिरमौर से दूसरी बार विधायक बने हैं। उनके पिता पुष्पराज सिंह रीवा से कांग्रेस की टिकट पर तीन बार विधायक रहे। बीजेपी में लाने और टिकट दिलवाने के पीछे वरिष्ठ नेता राजेन्द्र शुक्ल थे। दिव्यराज ने 2013 में सिरमौर से बीजेपी का खाता खोला। 



 इस घटना को लेकर सबसे ज्यादा हमलावर कांग्रेस नेता अभय मिश्र जिला पंचायत के निवृतमान अध्यक्ष हैं। वे 2008 में सेमरिया से बीजेपी के विधायक रहे। सांसद जनार्दन मिश्र से नहीं पटी सो कांग्रेस में आ गए। जिला पंचायत अध्यक्ष बीजेपी से ही बने थे। पिछला चुनाव रीवा से कांग्रेस की टिकट पर लड़ा व 18000 से हारे। 



चर्चाओं व विवादों में रहना उनकी अदा है। कहते हैं कि जिले की आधी भाजपा उन्हीं के इशारे पर चलती है। गिरीश गौतम जब स्पीकर बने तो सबसे बड़ी माला लेकर अभय मिश्र ही स्वागत पर खड़े थे। सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का जब सिरमौर में कार्यक्रम रचा तो मंच पर अभय मिश्र थे..मुख्यमंत्री का पाँव छूते हुए वायरल वीडियो काफी चर्चाओं में रहा। अभय मिश्र कांसट्रक्शन के बिजनेस से जुड़े हैं। उनकी कंपनी इस समय विन्ध्य की सबसे बड़ी शराब कारोबारी है। उनके चहेते उन्हें लिकर किंग भी कहते हैं। विन्ध्य की राजनीति में अभय मिश्र को श्रीनिवास तिवारी के बाद सबसे जीनियस माना जाता है।


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