भोपाल. टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (MP-TET) के पेपर का स्क्रीन शॉट वायरल होने के मामले में हड़कंप मचा हुआ है। 2 दिन पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग-3 के पर्चे सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इस पर सवाल उठने लाजिमी थे कि इतनी सख्त चेकिंग के बावजूद ऐसा कैसे हुआ? उधर, सीएम सेक्रेटरिएट के उपसचिव लक्ष्मण सिंह पर सवाल उठाने वाले कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा और व्हिसल ब्लोअर आनंद राय के खिलाफ FIR भी हो गई।
जानकारी के मुताबिक, एडुक्विटी कंपनी को एग्जाम कराने का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था, उसने कमीशन लेकर साईं एजुकेयर को अपना काम दे दिया। साफ है कि हमारे 9.36 लाख युवाओं के भविष्य पर कमीशन का खेल चल रहा है। बात यहीं खत्म नहीं होती। जिस कंपनी को एग्जाम का कांट्रैक्ट मिला है, उसे तो केंद्र सरकार ने इस काम के योग्य भी नहीं माना।
शर्तें दरकिनार: एडुक्विटी बेंगलुरु की कंपनी है। भोपाल के प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड यानी PEB ने इसे ऑनलाइन परीक्षा कराने का काम सशर्त सौंपा। PEB ने एजेंसी को परीक्षा के लिए एग्जाम सेंटर से बुकिंग लेकर परीक्षा कराने तक का काम खुद करने की शर्त रखी, लेकिन एडुक्विटी ने शर्तों को दरकिनार कर काम जयपुर के साईं एजुकेयर को दे दिया। अब परीक्षाओं के लिए एग्जाम सेंटर बुक करने से लेकर परीक्षा कराने तक का काम साईं एजुकेयर कर रही है। दोनों कंपनियां बीते 5 महीने से लगातार काम कर रही हैं। इसके बावजूद PEB चेयरमैन और परीक्षा नियंत्रक ने मामले में एग्जाम सेंटर बुकिंग और एग्जाम प्रोसेस की जांच नहीं कराई।
एडुक्विटी अपात्र थी: मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डेवलपमेंट के डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेनिंग (DGT) ने एडुक्विटी करियर टेक्नोलॉजी प्रा. लि. को ऑनलाइन एग्जाम के लिए अपात्र घोषित किया। डीजीटी ने इसकी एक रिपोर्ट भी जारी की थी। इसमें देश की चार कंपनियों को कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट के लिए अपात्र घोषित किया गया था। इसके बावजूद पीईबी ने उसे ठेका दे दिया।
ऐसे लगाई सेंध
- ऑनलाइन एग्जाम के लिए 3 लाख प्रश्नों का प्रश्न बैंक सर्वर में सेव किया गया।
चाकचौबंद सुरक्षा, पर स्क्रीन शॉट वायरल: एग्जाम सेंटर की सुरक्षा के लिए 50 छात्रों पर दो सीसीटीवी से निगरानी होती है। यहां किसी को कुछ भी ले जाने की इजाजत नहीं होती। ना छात्रों को, ना परीक्षकों को। साफ है कि कोई नeकोई एग्जाम सेंटर में मोबाइल फोन लेकर गया। उसने कम्प्यूटर स्क्रीन से पर्चा बाहर भेजा। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि बाहर से कोई व्यक्ति उन प्रश्नों के सही उत्तर बता दे। हालांकि, पीईबी का कहना है कि अभी इसकी जांच की जा रही है।