बोल हरि बोल..: बिजनेसमैन पर ‘मैडम’ भारी, अफसरों की महंगाई डायन, गालीचरण का फेवर

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बोल हरि बोल..: बिजनेसमैन पर ‘मैडम’ भारी, अफसरों की महंगाई डायन, गालीचरण का फेवर

हरीश दिवेकर नया साल 2022 आ गया। ठंड का दौर जारी है। सूरज की तपिश महसूस भी नहीं होने पाती और वो डूब जाता है। साल के आखिरी हफ्ते में एक धर्मगुरु गांधीजी को अपशब्द बोलने के चलते चर्चा में आ गए। अचानक से हर आदमी की जुबां पर उनका नाम आने लगा। यूपी में चुनाव हैं तो वहां दनादन छापे पड़ रहे हैं। एक बड़ा छापा तो भोपाल में भी पड़ गया। अंदरखाने की खबरें तो कई हैं, आप तो बस चुपके से अंदर चले आइए...



प्रदेश के बड़े उद्योगपति से महिला IAS खफा

प्रदेश के जाने माने बड़े उद्योगपति से मध्य प्रदेश कैडर की महिला आईएएस अफसर खफा चल रही हैं। वर्तमान में मैडम केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति (Central deputation) पर एक बड़ी संस्था की चेयरमैन हैं। हाल ही में उद्योगपति के यहां केन्द्रीय जांच एजेंसी ने छापामारी कर एक डायरेक्टर समेत कई लोगों को हिरासत में भी लिया। बताया जा रहा है इस पूरे मामले में महिला आईएएस की भी अहम भूमिका है। मैडम ने प्रदेश के बड़े उद्योगपति के देशभर में चल रहे बड़े ठेकों को स्क्रूटनी में ले लिया था। उसके बाद से उक्त उद्योगपति खासे परेशान चल रहे थे। एक प्रोजेक्ट के काम को आगे बढ़ाने के लिए उद्योगपति के पार्टनर ने मैडम की संस्था के अधिकारी से लेन-देन का मामला जमाया तो जांच एजेंसी ने उन पर दबिश डाल दी। वैसे तो पूरा मामला हाईलेवल का है, लेकिन इस आड़ में मैडम ने अपनी सालों पुरानी नाराजगी भुना ली। हम आपकी सुविधा के लिए बता दें कि मैडम के पति भी मध्य प्रदेश कैडर के सीनियर आईएएस अफसर हैं, वे भी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। प्रदेश में पदस्थ रहते हुए इन्हीं साहब का उद्योगपति से कोई विवाद हुआ था। 

 



IAS-IPS को महंगाई लगने लगी डायन

अब तक प्रदेश की आम जनता ही महंगाई डायन खाय जात है, गाना गुनगुनाती नजर आती थी। अब प्रदेश की टॉप क्लास सर्विस यानी आईएएस-आईपीएस भी जनता के सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं। आखिर ऐसा अचानक ऐसा क्या हो गया? क्या वाकई में महंगाई इतनी बढ़ गई कि इनके वेतन से काम नहीं चल रहा। ऐसा नहीं है दरअसल राज्य सरकार ने आईएएस-आईपीएस को महंगाई भत्ता केन्द्र के समान 31% ना देकर राज्य के कर्मचारियों के समान यानी 20% दिया है। इससे युवा आईएएस अफसरों में खासी नाराजगी है। इन अफसरों ने आईएएस एसोसिएशन से लेकर कार्मिक पीएस तक के सामने अपना दुखड़ा रोया। युवा आईएएस न्यू पेंशन स्कीम में आते हैं, ऐसे में इनकी सैलरी से जितना पैसा कटता है उतना ही सरकार को पेंशन फंड में देना होता है। 11% महंगाई भत्ता कम होने से इनका डेढ़ से दो लाख रुपए का सालाना नुकसान हो रहा है। 

 



विधायक जी के यहां जारी है हवन

पूर्व मंत्री और भोपाल संभाग के एक विधायक के यहां इन दिनों लगातार हवन-पूजन चालू है। विधायक जी मुख्यमंत्री के काफी नजदीकी माने जाते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से उनकी ग्रह दशा खराब चल रही है। इसके पहले मंत्री रहते हुए बेटे के कारण समाज और क्षेत्र में काफी बदनामी हुई थी। जैसे तैसे मामला जमा कि नई सरकार में मंत्री बनने की लिस्ट में नाम होने के बाद भी कट गया। मुख्यमंत्री चाहकर भी मदद नहीं कर पाए। विधायक जी को उनके पंडितजी ने सलाह दी है कि लगातार हवन पूजन और जाप कराने से फिर से अच्छे दिन आ जाएंगे। इसी आस में विधायक जी अब भगवान की शरण में है, शायद एक बार फिर मंत्री बनने का मौका मिल जाए। 

 



कांग्रेस ने क्यों चुप्पी साधी?

प्रदेश के जाने माने उद्योगपति के यहां सीबीआई की रेड के बाद अब सवाल उठ रहे हैं। छोटे-छोटे मामलों में बीजेपी को कटघरे में खड़ा करने वाली कांग्रेस चुप क्यों है। जबकि उक्त उद्योगपति की सीएम और बीजेपी नेताओं नजदीकियां जगजाहिर हैं इसके बाद भी कांग्रेस इस पूरे मामले में मुंह में गुड़ रखकर बैठी है। विपक्ष के नाते हमला क्यों नहीं बोल रही। कांग्रेस की चुप्पी पर अब आम जन कह रहे हैं कि हमाम में सब नंगे हैं।

 



मंत्रीजी को भारी पड़ा गालीचरण का फेवर

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपशब्द कहने वाले गालीचरण बाबा का फेवर करना प्रदेश के एक कद्दावर मंत्री जी को भारी पड़ गया। बयान देने के दूसरे दिन ही मंत्रीजी साउथ की यात्रा पर निकल गए, जिससे मामला ठंडा हो जाए। छत्तीसगढ़ पुलिस ने गालीचरण बाबा को खजुराहो के स्टे होम में धर दबोचा। इसकी भनक ना तो प्रदेश के इंटेलिजेंस को लगी, ना ही लोकल पुलिस को। बिना अनुमति और सूचना के छत्तीसगढ़ पुलिस के इस एक्शन पर मंत्रीजी ने मीडिया में बयान देकर आपत्ति तो जताई ही, साथ में डीजीपी से कहा कि इंटर स्टेट प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के मामले में छत्तीसगढ़ डीजीपी से इसका जवाब मांगें। मंत्री का बयान सोशल मीडिया पर ट्रोल हो गया। इधर मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष ने इस मामले में चुप्पी साधे रखी। कांग्रेस ने भी सीधा निशाना साधते हुए पूछा कि पीएम गांधीगिरी की बात करते हैं और प्रदेश के मंत्री गांधीजी को गाली देने वाले गालीचरण की पैरवी कर रहे हैं।

 



मैं वन मैन आर्मी हूं

इंदौर की एक बड़ी संस्था में अध्यक्ष बने नेता जी ने पहली बैठक में ही अफसरों को संदेश दे दिया कि आप लोग खुलकर काम करें, आपको मेरे अलावा किसी भी राजनीतिक आका से कुछ पूछने की जरूरत नहीं है। इन नेताजी ने खुलकर ये भी इशारा कर दिया कि अब इस संस्था में ही सर्वेसर्वा रहूंगा, ना तो उपाध्यक्ष की पोस्टिंग होगी, ना ही कोई संचालक मंडल में कोई राजनीतिक सदस्य बनाया जाएगा। नेताजी के इस तेवर के बाद शहर का विकास करने वाली संस्था के अधिकारियों में चर्चा है कि अपने अध्यक्ष वन मैन आर्मी हैं। हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन नेताजी के उपर संघ और संगठन का वरदहस्त है, तभी तो बड़े बड़े दिग्गजों को पछाड़कर नेताजी मैन ट्रैक में आ गए। बहरहाल ये तो समय बताएगा कि आने वाले समय में अध्यक्ष क्या कर पाते हैं। 

 



क्या ओबीसी-आदिवासी आंदोलन बनेगा माई का लाल 

जयस के बाद अब ओबीसी वर्ग के आंदोलित होने से अब ये सवाल उठने लगा है कि क्या ये 2023 के चुनाव में माई का लाल वाले बयान की तरह बीजेपी के लिए घातक हो सकता है। इसे लेकर सरकार और पार्टी दोनों चिंतित नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि नेमावर में 6 माह पहले हुए आदिवासी हत्याकांड में कोई कार्रवाई न होने पर जब जयस ने न्याय यात्रा निकालने का ऐलान किया तो सरकार ने आनन-फानन में न्याय यात्रा से दो दिन पहले इस मामले को सीबीआई जांच के लिए केन्द्र को सौंप दिया। कांग्रेस ने राजधानी में ओबीसी आरक्षण मामले में सीएम हाउस के घेराव का ऐलान किया तो सरकार ने पूरी ताकत लगाकर नेताओं को गिरफतार कर आंदोलन असफल बनाने का प्रयास किया। सरकार को डर है कि यदि जयस ओर ओबीसी आंदोलन खड़ा हो गया तो मिशन 2023 खटाई में पड़ जाएगा।

 

 

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