हरीश दिवेकर। वसंत पंचमी आने को है, लेकिन मध्य प्रदेश से ठंड जाने का नाम नहीं ले रही। मौसम विभाग अभी और ठंड पड़ने की बात कह चुका है। यानी अभी जेब में और हाथ डालकर चलना पड़ेगा। वैसे, गुजरा हफ्ता काफी गर्म रहा। श्वेता तिवारी का ब्रा बयान खूब चटखारे लेकर सुना गया, राष्ट्रीय स्तर तक बहस-मुबाहिसे हो गए। इधर, मध्य प्रदेश के एक सांसद ने ‘महाराज’ के खिलाफ चिट्ठी लिख दी थी, ‘महाराज’ को जवाब देना पड़ गया। कुछ खबरें सामने पकीं तो कुछ अंदरखाने...। अंदरखाने की जानने के लिए तो आप बस सीधे अंदर उतर आइए।
शिव-मुन्ना की दोस्ती ने ज्योति बाबू को दिया झटका: शिव और मुन्ना की दोस्ती ने ज्योति बाबू को जोर का झटका धीरे से दिया है। ज्योति बाबू पंजे का साथ छोड़कर कमल में क्या आए, ग्वालियर-चंबल अंचल में मुन्ना भाई की धमक कम हो गई। दिल्ली की जोड़ी का साथ पाकर ज्योति बाबू ने फरमान सुना दिया कि दोनों अंचलों में उनकी सहमति के बगैर कोई अहम पोस्टिंग नहीं होगी। ‘शिव’ चाहकर भी मुन्ना की पसंद का आईजी ग्वालियर में पदस्थ नहीं कर पाए। यहां भी ज्योति बाबू की चली। शिव ने नवागत आईजी अनिल शर्मा को संदेशा भिजवा दिया कि भले ही पोस्टिंग ज्योति बाबू ने करवाई हो, लेकिन मुन्ना को इग्नोर किया तो उन्हें भारी पड़ेगा। मामले की नजाकत समझते हुए अनिल शर्मा ने जॉइनिंग देने के बाद सबसे पहले मुन्ना भाई के घर पर हाजिरी लगाकर बता दिया कि उनका आदेश भी सिर-माथे पर लेने के लिए तैयार हैं। ज्योति बाबू की गैर मौजूदगी में शिव ने ग्वालियर-चंबल दौरा बनाकर पूरे अंचल में मुन्ना का रंग जमा दिया। कार्यकर्ता समेत अफसरों में संदेश दिया कि मुन्ना जो चाहेंगे वही होगा। ज्योति बाबू की पंसद पर ग्वालियर आईजी बने अनिल शर्मा भी जॉइनिंग के बाद सबसे पहले मुन्ना भाई के यहां हाजिरी लगाने पहुंचे। शिव के इस कदम से ज्योति बाबू को भी संदेशा मिल गया कि मुन्ना को साइडलाइन करना इतना आसान नहीं है, भले ही दिल्ली से कितना जोर लगा लो। वैसे तो मुन्ना भी मोदी जी के करीबी माने जाते हैं, लेकिन ज्योति बाबू के आगे उनकी चमक दिनों दिन फीकी पड़ रही थी। शिव का साथ मिला तो मुन्ना एक बार फिर अपने अंचल में पॉवरफुल दिखाई देने लगे।
फसलें उखाड़ों, बांस लगाओ: सूबे के मुखिया प्रदेश में खेती को लाभ का धंधा बता रहे हैं। वे मंचों से कहते हैं कि वे भी खुद खेती से अच्छा खासा कमा लेते हैं, लेकिन उनकी इस बात से शायद सिंधिया समर्थक मंत्री सहमत नहीं दिखते। हाल ही में एक मुलाकात के दौरान राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने वन मंत्री विजय शाह से कहा कि खेतों में फसल लगाने से कोई फायदा नहीं हो रहा। कुछ प्रोजेक्ट बता दो, जिससे मुनाफा हो। घाटे का धंधा बताते हुए राजपूत ने दुखड़ा रोया तो वन मंत्री शाह ने सलाह दी कि ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो खेतों में बांस लगाओ। शाह ने बताया कि वे खुद भी बांस की खेती कर रहे हैं। इसमें अच्छी कमाई हो रही है।
मामा की बातों में आए तो तबादला पक्का: प्रदेश के युवा आईपीएस अफसरों के सोशल मीडिया पर एक संदेशा खूब दौड़ रहा है कि मामा की बातों में आए तो तबादला पक्का है। कुछ लिख रहे हैं कि भाई भाषण केवल सुनने के लिए होता है भावनाओं में बहोगे तो काम लगना पक्का है। दरअसल, ये सारा मामला रतलाम एसपी रहे गौरव तिवारी के तबादले से जुड़ा हुआ है। गौरव ने जिले के माफियाओं को जड़ से उखाड़ने के लिए कमर कस ली थी। चंद दिनों में माफिया त्राहि-त्राहि करने लगा। फिर वही हुआ, जो होता आया है। माफिया के संरक्षण में स्थानीय जनप्रतिनिधि जुटे और एसपी का तबादला करवा दिया। इस घटना के बाद युवा आईपीएस अफसरों के सोशल मीडिया पर मामाजी की वो वीडियो क्लीपिंग भी चल रही है, जिसमें वे कह रहे हैं कि कोई भी माफिया हो कमर तोड़ दो किसी से कुछ पूछने कहने की जरूरत नहीं है। माफिया की जड़ें उखाड़ दो।
युवा IAS का दर्द: कुछ महीनों पहले मालवा अंचल की कलेक्टरी से हटाए गए युवा आईएएस जब कभी अपने साथियों के साथ बैठते हैं तो सरकार को कोसना नहीं भूलते। इन साहब का दर्द है कि सरकार और उच्च पदों पर बैठे चाटूकार अफसर बेदर्द हैं, इनके अंदर मानवता नहीं है। दरअसल, इन साहब को जब कलेक्टरी से हटाया गया था तब उनकी पत्नी गर्भवती थी, उनकी दो-तीन दिन में डिलीवरी होनी थी। इन्होंने उच्च पदों पर बैठे अफसरों को पूरी बात बताकर कार्यमुक्त होने के लिए 2-3 का समय मांगा, जिससे पत्नी की डिलीवरी करा सकें, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई, तत्काल रिलीव होने के आदेश दिए गए। बेचारे अपनी पत्नी को लेकर जैसे तैसे भोपाल लाए और दो दिन बाद उन्हें बिटिया हुई। इस घटना से उन्हें सरकार में अहम पदों पर बैठे चाटूकार अफसरों से चिढ़ हो गई।
हमारा प्रचार-प्रसार ही नहीं हो रहा: सूबे के मुखिया इन दिनों रेवेन्यू डिपार्टमेंट को लेकर खासे परेशान हैं, उनका ये दर्द विभाग की समीक्षा बैठक में भी झलका। उन्होंने कहा कि मैं जहां जाता हूं वहां शिकायत मिलती है कि पटवारी-तहसीलदार काम नहीं करते। सिंधिया समर्थक मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भी कहां पीछे हटने वाले थे। उन्होंने तपाक से जवाब दे दिया कि हमारा विभाग तो सबसे ज्यादा काम कर रहा है, लेकिन जनसंपर्क विभाग ठीक से काम नहीं कर रहा। हमारे विभाग की इतनी जनहितैषी योजना है, उसका प्रचार-प्रसार ही अच्छे से नहीं किया जा रहा। मंत्री की हाजिर जवाबी के बाद मुखिया जी को कहना पड़ा कि जनसंपर्क के अफसर मंत्री के साथ बैठ जाएं, देखें, क्यों विभाग की योजनाएं जनता तक नहीं जा रहीं।