हरीश दिवेकर। बागन में बसंत बगर गया, लेकिन ठंड जाने का नाम नहीं ले रही। सच तो यही है कि मौसम किसी की मर्जी का गुलाम नहीं होता। वो तो जब मर्जी होगी, आएगा, जब तक मर्जी होगी, बना रहेगा। मौसम में भले ही सर्दी हो, राजनीतिक गलियारों में तपिश है। फरवरी बजट का महीना होता है। वित्त मंत्री ने अपना काम बखूबी किया। आम आदमी के लिए तो इसमें कुछ खास दिखा नहीं, रसूखदार कॉर्पोरेटों को जरूर राहत मिली। प्रधानमंत्री हों या उनके मंत्री, बजट की भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे हैं। इधर, राहुल भाई भी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर ‘धन्यवाद’ देते हुए सरकार पर जमकर बरसे। कई जुमले गढ़ दिए। वहीं, यूपी चुनाव रोज नए रंग दिखा रहा है, पर असली रंग तो 10 मार्च को ही देखने मिलेगा। मध्य प्रदेश में भी कई खबरें आर-पार हो गईं। किसी की गूंज बाहर तक सुनाई दी तो कोई अंदरखाने की खुसफुसाहट तक ही रही। आप बिल्कुल मत उलझिए, बस सीधे अंदर उतर आइए...
मोदी में लीन शिव, कांग्रेस क्यों बैचेन: हर कंकड़ में शंकर तो सभी ने सुना है, लेकिन अब राजनेताओं को अपने आकाओं में भी भगवान नजर आने लगे हैं। ऐसा ही कुछ हाल शिव बाबू का भी है, उन्हें मोदी में अब राम नजर आने लगे हैं। जब भी मन बैचेन होता है तो वे दिल्ली दरबार में जाकर रामजी के साक्षात दर्शन कर आते हैं। शिव बाबू की भक्ति और श्रद्धा को देखकर कांग्रेस नेता जीतू भाई बड़े बैचेन हैं। बैचेनी का आलम है कि उन्होंने शिव की भक्ति को चापलूसी तक करार तक दे दिया। जीतू भाई ये भूल गए बड़े लोगों के शब्दों पर नहीं, भावनाओं पर ध्यान देना चाहिए। शिव बाबू की पार्टी में उनकी टांग खींचने वालों की कमी नहीं है, इसके बावजूद लगातार सत्ता शीर्ष पर बने हुए हैं। ये सब भक्ति का ही कमाल है, जो समय के साथ बदलती रहती है। अरे अपने लल्ला कृष्ण तो आपको याद ही होंगे.. शिव बाबू पहले इन्हीं के गुणगान करते थे। इसे कुछ यूं समझिए....पुरुष नहीं, समय होत बलवान, भिल्लन लूटी गोपिकाएं, वे ही अर्जुन वे ही बान।
मंत्रीजी का सीएम बनने का सपना: प्रदेश के एक कद्दावर मंत्री को सीएम बनने के सपने आ रहे हैं। दरअसल, मंत्री ने अपने विश्वसनीय तांत्रिक के साथ तंत्र-मंत्र की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नर्मदा नदी के आस-पास इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है। इंटेलीजेंस को भी मंत्री के तंत्र-मंत्र करने की भनक लग गई है। मंत्री को अपने तांत्रिक पर पूरा भरोसा है। दरअसल, जब मंत्री का समय बुरा आया था, उनकी विधायकी भी चली गई थी, तब इन्हीं तांत्रिक बाबा के सहारे उन्होंने पहले विधायकी हासिल की और दिग्गजों को पछाड़कर मंत्री भी बने। मंत्री समर्थकों का कहना है कि प्रदेश में जब भी सीएम बदला जाएगा तो ओबीसी वर्ग के मंत्री को ही मौका मिलेगा। आपको बता दें कि मंत्री भी ओबीसी वर्ग से आते हैं। ऊपर से तांत्रिक बाबा का आशीर्वाद मंत्री के साथ है, तो ऐसे में मंत्री को सीएम बनने के सपने आना लाजमी है।
मध्य प्रदेश में भी एक हो रहे यादव: उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव का जलवा बनता देख अब कांग्रेस-बीजेपी के यादव नेता अपना वर्चस्व बनाने की जुगत में लग गए हैं। दोनों दलों के दिग्गज नेता अपने-अपने दल पर दबाव बनाने के लिए राजधानी में दो-तीन गुप्त बैठकें कर चुके हैं। अंदरखानों की माने तो उत्तर प्रदेश के परिणाम यदि अखिलेश यादव के पक्ष में आते हैं तो प्रदेश में समाजवादी पार्टी की जड़ें गहरी करने के लिए यादव नेता आगे आ सकते हैं। बहरहाल, ये दूर की कौड़ी है। हाल फिलहाल इन यादव नेताओं की कोशिश है कि वे अपनी पार्टी में पूछ परख बढ़वा लें। इसके लिए दबाव की रणनीति बनाने पर भी काम कर रहे हैं।
अब ग्वालियर कलेक्टर के लिए खींचतान: ग्वालियर कलेक्टर बदला जाना है, इसके लिए दिग्गज नेताओं में फिर से खींचतान शुरू हो गई है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra singh tomar), सांसद विवेक शेजवलकर दोनों अपनी पसंद के अफसर को कलेक्टर बनाना चाहते हैं। उधर, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का अनुराग अपने चहेते अफसर पर है। ऐसे में माना जा रहा है कि हर बार की तरह सिंधिया इस बार भी बाजी मार जाएंगे। इधर नेताओं की खींचतान के चलते सरकार ग्वालियर कलेक्टर के तबादले को होल्ड किए हुए है। कारण ये कि इस बार भी सिंधिया की पसंद का अफसर कलेक्टर बना तो बीजेपी नेताओं में गुस्सा भड़कना तय माना जा रहा है।
रिटायर्ड डीजी को कोस रही लोकायुक्त पुलिस: लोकायुक्त ने रिटायर्ड डीजी का खेला पकड़ने के बाद से लोकायुक्त पुलिस पर सख्ती करना शुरू कर दिया है। दूसरे मायने में कहे तो लोकायुक्त में प्रतिनियुक्ति (डेपुटेशन) पर गए पुलिस अफसरों को दाना-पानी बंद कर दिया है। हालात यह है कि अब लोकायुक्त डीजी को कागज-पेन के लिए भी पुलिस मुख्यालय से मदद लेनी पड़ रही है। अब लोकायुक्त संगठन में कहीं कोई है तो सिर्फ लोकायुक्त...लोकायुक्त डीजी, एडीजी, एसपी से लेकर मैदानी अधिकारियों की हर गतिविधि पर सीधी लोकायुक्त की नजर है। कल तक चांदी काट रहे पुलिस अफसर अब रिटायर्ड डीजी को कोस रहे हैं। उन्होंने जाते-जाते कई लोगों से लंबा लेन-देन कर क्लीनचिट दे दी थी, उन फाइलों को लोकायुक्त ने फिर से खोल दिया है। इसके चलते अब लोकायुक्त पुलिस चाहे भी तो मामला दर्ज करने के बाद संबंधित पक्ष को राहत नहीं दे सकती।
बुंदेलखंड में एक ही मंत्री का जलवा: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (cm shivraj) के करीबी माने जाने वाले बुंदेलखंड के एक मंत्री का जलवा इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। हालात ये हैं कि उन्होंने एक-एक करके अपने प्रतिद्वंद्वियों को इशारों में जता दिया कि वे अपनी लाइन छोटी ही रखें। अगर लाइन उनसे बड़ी करने की कोशिश की तो अंजाम अच्छा नहीं होगा। एक वरिष्ठ मंत्री ने उनकी समझाइश को हल्के में लिया तो पहले उनके बेटे और बाद में उनके रिश्तेदार पर कानूनी पेंच लगवा दिया। इसी तरह उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले पूर्व सांसद के बेटे के खिलाफ अतिक्रमण करने पर एफआईआर दर्ज करवा दी। हाल ही में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए एक मंत्री ने मामले को भांपते हुए प्रभावी मंत्री की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया है।