हरीश दिवेकर। मौसम बदलने का नाम है। दिल्ली में भी बदल रहा है तो मध्य प्रदेश के आसमान में भी पनीले बादल हैं। कुछ लोग तो मनौती मांग रहे हैं कि ये ठंड कब जाएगी। पिछले हफ्ते राष्ट्रीय राजधानी में अमर जवान ज्योति की नेशनल वॉर मेमोरियल में मर्जिंग हो गई तो फिर राजनीति के गलियारों में बहस-मुबाहिसों के हीटर धधक उठे। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बंद हुए टेलीप्रॉम्प्टर ने भी खूब सुर्खियां बटोरीं। अब देश का पारा बढ़ रहा था तो देश के दिल की धड़कनें भी तेज थीं। इधर, राघौगढ़ के ‘राजा’ सियासी तूफान ले आए। आप कहीं मत जाइए, धीरे से अंदर उतर आइए। अंदरखाने की खबरें आपके इंतजार में हैं...
शिव को कमल पसंद है: प्रदेश में 3 दिन तक चले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद एक बार फिर ये चर्चा आम हो गई है कि शिव को कमल पसंद है। शिव-कमल की दोस्ती को दोनों दलों के नेता अपने-अपने हिसाब से भुनाने में जुटे हुए हैं। शिव के विरोधी बीजेपी नेता हाईकमान को कमल से दोस्ती निभाने की बात कहते हुए फोटो सबूत के तौर पर भेज रहे हैं, वहीं शिवराज समर्थक नेता दिग्विजय को साइडलाइन करने की बात कहते हुए इस मामले को तूल दे रहे हैं। दिग्गी राजा घाघ नेता हैं। वे जानते हैं कि बीजेपी उन्हें कमलनाथ से लड़ाने के लिए आग में घी का काम करने में लगी है। बीजेपी के प्रयासों को फेल करने के लिए दिग्गी ने शिव से मिलने के लिए कमल को साथ ले लिया। मुलाकात भी की, लेकिन यहां भी शिव के लोगों ने खेला कर दिया। सीएम से मुलाकात के दौरान ऐसा फोटो वायरल किया, जिसमें दिग्गी राजा नदारद हैं। दिग्गी समर्थकों ने दूसरा फोटो वायरल कर बता दिया। दिग्गी-कमल एक हैं, लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि शिव को कमल ही पसंद है।
बीजेपी में पट्ठावाद राजनीति की शुरुआत: हिन्दी की एक प्रसिद्ध लोकोक्ति है...जहां–जहां पांव पड़े संतन के, तहां–तहां होवै बंटाधार...। ऐसा ही कुछ प्रदेश बीजेपी में देखने को मिल रहा है। महाराज के दल-बल समेत बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी में पट्ठावाद राजनीति का असर दिखने लगा है। हर बड़ा नेता अपने पट्ठे को ग्वालियर बीजेपी की जिला कार्यकारिणी में सेट करना चाहता है। बड़ी लड़ाई महामंत्री पद को लेकर है। जिले में सामान्य, पिछड़ा और एससी वर्ग से तीन महामंत्री बनाए जाने हैं। तीनों पद के लिए ग्वालियर चंबल के दिग्गज बीजेपी नेता नरेन्द्र सिंह तोमर, जयभान सिंह पवैया, विवेक शेजवलकर और माया सिंह मोर्चा संभाले हुए हैं। इन सबमें सिंधिया बाजी मार चुके हैं, वे अपने पट्ठों को पहले ही अन्य पदों पर सेट करवा चुके हैं। बड़े नेताओं की खिंचतान को देखते हुए खांटी बीजेपी कार्यकर्ता हैरान परेशान है। उन्हें चिंता इस बात की है कि बीजेपी की जड़ों में पट्ठावाद घुस गया तो उनकी पूछ-परख कैसे होगी।
कलेक्टर्स को राजनीति की ट्रेनिंग: सूबे के मुखिया को अपनी पार्टी के नेताओं से ज्यादा अफसरशाही पर भरोसा है। यही वजह है कि अब वे वीडियो कॉन्फ्रेंस में कलेक्टर्स को राजनीति के फंडे भी बताने लगे हैं। पिछली कलेक्टर-एसपी वीसी में साफतौर पर हिदायत दी गई कि जो भी सरकार की जनकल्याणकारी योजना चल रही है, लोगों को जिनका लाभ मिल रहा है, उसे गाजे-बाजे के साथ प्रचार कर लोगों को बताओ। वैसे मुखिया का ये अटूट विश्वास है कि काम करने से ज्यादा उसका बेहतर प्रचार-प्रसार करना ही अच्छी राजनीति होती है। मुखिया जी पिछले 17 सालों से इसी फंडे को आजमा रहे है ओर उनकी सफलता का राज भी यही है।
एसीएस का करोड़ों का निवेश: मंत्रालय में पदस्थ एक अपर मुख्य सचिव को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है। इन साहब की छतरपुर में करोड़ों के निवेश की सुगबुगाहट अंदरखाने में चल रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि साहब पूरी नौकरी में कभी छतरपुर में पदस्थ नहीं रहे, लेकिन उनका खास चेला छतरपुर से ताल्लुक रखता है, इसलिए साहब ने आय से ज्यादा कमाई वाला माल छतरपुर में निवेश कर दिया। इनमें होटल से लेकर कुछ खदानों में पैसा लगाने की बात सामने आ रही है। अंदरखाने के लोगों का कहना है कि साहब रिटायरमेंट के बाद चुनाव लड़ने की मंशा भी रखते हैं।
सिर्फ 5 आईएएस-आईपीएस को ही एंट्री: मुख्यमंत्री निवास पर बिना अपॉइंटमेंट केवल 5 आईएएस को ही एंट्री मिल पाएगी। इनमें सीएस, डीजीपी, इंटेलीजेंस एडीजी, कमिश्नर पब्लिक रिलेशन और डायरेक्टर पब्लिक रिलेशन ही जब चाहे सीएम हाउस जा सकते हैं। अंदरखाने से मिली जानकारी के अनुसार, कुछ सीनियर आईएएस, आईपीएस इनमें रिटायर्ड अफसर भी शामिल हैं, इन्हें पहले बिना अपॉइंटमेंट एंट्री मिल जाती थी। कुछ लोग गुलदस्ता देकर सौजन्य भेंट के नाम पर पहुंच जाते थे तो कुछ पुस्तक विमोचन के नाम पर। सीएम हाउस ने अब नया फरमान जारी किया है कि सिर्फ 5 आईएएस-आईपीएस को छोड़कर अन्य को अपॉइंटमेंट लेकर ही आना होगा।
मंत्रीजी भूले सूत की माला: शिवराज काबिना के दिग्गज मंत्री इन दिनों खासे चर्चा में बने हुए हैं। मंत्री जी के करीबियों का मौखिक आदेश है कि साहब जब भी दौरे पर आएंगे तो उनके स्वागत के लिए महिला फॉरेस्ट गार्ड गुलदस्ते लेकर स्वागत करें। मैदानी अधिकारियों में मौखिक आदेश चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं, मुख्यालय के अफसरों में इस बात की चर्चा है कि लगता है मंत्रीजी सूत की माला भूल गए। दरअसल, मंत्री के कहने पर ही पुरानी सरकार में विभाग ने स्वागत में सूत की माला पहनाने का सर्कुलर जारी किया था। नई सरकार में आने के बाद मंत्री जी धड़ाधड़ गुलदस्ते ले रहे हैं, वो भी महिला फॉरेस्ट गार्ड के हाथों से....! अपन को समझ नहीं आता कि आखिर इसमें गलत क्या है...। विभाग के अफसरों को कोई काम नहीं है, इसमें भी मंत्री की मंशा को खोज रहे हैं।
काम नहीं आई कलेक्टर की बाजीगरी: बेचारे कलेक्टर साहब जैसे-तैसे बाजीगरी कर अपने जिले में कोरोना पॉजिटिव की संख्या कम बताकर अपना माहौल बनाए हुए थे। कलेक्टर साहब को लगा कि मुख्यमंत्री कलेक्टर-एसपी की वीडियो कॉन्फ्रेंस में उनकी उनकी पीठ थपथपाएंगे, लेकिन साहब मामा तो मामा ठहरे, उनके पास अपने खबरी हैं। कोरोना के केस कम होने की बात करना तो दूर, उलटे कलेक्टर साहब से ये पूछ लिया कि आपके जिले में 17 साल से कम के बच्चों को वैक्सीनेशन कम क्यों हो रहा है, इस पर लताड़ पड़ी सो अलग। हम आपकी सुविधा के लिए बता दें, ये कलेक्टर साहब मालवा अंचल में पदस्थ हैं।