MP: हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी बंद नहीं हुआ होमगार्ड जवानों के कॉल ऑफ का सिस्टम

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MP: हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी बंद नहीं हुआ होमगार्ड जवानों के कॉल ऑफ का सिस्टम

भोपाल. मध्यप्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) के लिए हाईकोर्ट (High Court) का आदेश क्या मायने नहीं रखता? ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना पर अवमानना करती जा रही है। कोर्ट अवमानना की याचिकाओं पर आदेश पर आदेश देता चला जा रहा है उसके बावजूद हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो रहा है। ये मामला जुड़ा है होमगार्ड (Home Guard) जवानों की सेवा शर्तों से। दरअसल, हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि होमगार्ड जवानों को साल भर काम दिया जाए। जवानों के लिए लागू कॉल ऑफ सिस्टम (Call of System) खत्म किया जाए। कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने सिस्टम लागू किया हुआ है। अब 15 दिसंबर 2021 को हाईकोर्ट ने एकबार फिर सरकार को कॉल ऑफ सिस्टम खत्म करने का आदेश दिया है। सरकार को 14 फरवरी को इस पूरे मामले में हाईकोर्ट के सामने जवाब पेश करना है।





क्या है कॉल ऑफ सिस्टम : कॉल ऑफ सिस्टम होमगार्ड जवानों के लिए लागू है जिसमें साल भर में उन्हें दो महीने की छुट्टी पर भेज दिया जाता है। इसमें उन्हें वेतन नहीं दिया जाता है। 





किस तरह से हुई अवमानना पर अवमानना : होमगार्ड जवानों की सेवा शर्तों से जुड़ा ये मामला काफी पुराना है। साल 2010 में होमगार्ड एसोसिएशन (Guard Association) की तरफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। याचिका में मांग की गई थी कि होमगार्ड जवानों की सेवा शर्तों के लिए नियम बनाए जाएं और याचिका में प्रमुख रूप से मांग की गई थी कि होमगार्ड में कॉल ऑफ सिस्टम खत्म किया जाए। इस याचिका का निराकरण करते हुए हाईकोर्ट ने साल 2011 में सरकार को निर्देश दिए कि होमगार्ड जवानों की सेवा शर्तों से जुड़े नियम बनाए जाए और कॉल ऑफ सिस्टम को खत्म किया जाए यानी जवानों को साल भर काम दिया जाए। इस आदेश को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को यथावत रखा यानी एक तरह से सुप्रीम कोर्ट में सरकार की हार हुई। सरकार के लिए नियम बनाना जरूरी हो गया था इसलिए साल 2016 में होमगार्ड जवानों की सेवा शर्तों के नियम बनाए गए लेकिन इसमें भी कॉल ऑफ सिस्टम का नियम जोड़ दिया गया।





साल 2020 में होमगार्ड विभाग ने एक बार कॉल ऑफ का आदेश जारी कर दिया, जिसे हाईकोर्ट में एकबार फिर चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने विभाग के आदेश पर स्टे कर दिया।  जब विभाग ने आदेश का पालन नहीं किया तो अवमानना याचिकाएं दायर की गईं। इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में लिखित में कहा गया कि लम्बित याचिकाओं के निराकरण तक होमगार्ड सैनिकों को कॉल ऑफ नहीं किया जाएगा। उन्हें पूरे साल काम दिया जाएगा। साथ ही जिन्हें पहले दो महीने  के लिए कॉल ऑफ किया गया था, उन्हें उस अवधि का बकाया वेतन भी दिया जाएगा।  





कोर्ट में लिखित में जवाब, जारी है अवमानना : द सूत्र (The sootr) के पास  होमगार्ड विभाग (Home Guard Department) का धार जिले का एक आदेश है। जिले के डिस्ट्रिक्ट कमांडेड आर पी मीना के हस्ताक्षर से 31 दिसंबर को ये आदेश जारी हुआ है जिसमें जिले के 14 होमगार्ड सैनिकों को कॉल ऑफ पर भेजा गया है। यानी सरकार हाईकोर्ट की अवमानना लगातार कर रही है।





गृहमंत्री को याद दिलाया वादा : 6 दिसंबर 2021 को होमगार्ड स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (Home Minister Narottam Mishra) ने ऐलान किया था कि होमगार्ड के जवानों ने कोरोना आपदा के समय अद्भुत साहस और शौर्य का प्रदर्शन किया है। अब से होमगार्ड के जवानों का 3 वर्ष में एक बार कॉल ऑफ किया जाएगा, लेकिन जब गृहमंत्री से पूछा कि बावजूद इसके होमगार्ड जवानों को क्यों कॉल ऑफ पर भेजा जा रहा है। इस मसले पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि होमगार्ड की सेवा शर्तों में जो भी नियम तय है वो सब उन्हें दिया जा रहा है। 





द सूत्र के सवाल : सवाल नंबर 1- सरकार हाईकोर्ट में लिखित में जवाब पेश करने के बाद भी हाईकोर्ट के आदेश को क्यों दरकिनार कर रही ?



सवाल नंबर 2- हाईकोर्ट ने कॉल ऑफ पर ना भेजने के लिए कहा है फिर तीन साल में एकबार कॉल ऑफ पर भेजने का मंत्री ने ऐलान क्यों किया ?





इससे तो पता चलता है कि सरकार की मंशा नहीं है कि वो होमगार्ड जवानों को साल भर काम दें और इससे भी बड़ी बात ये है कि हाईकोर्ट के आदेश को ही सरकार ठेंगा दिखा रही है।



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