BHOPAL. भारत में 2012 के बाद से सबसे ज्यादा बाघों की मौत दर्ज करने वाले राज्य मध्य प्रदेश को अभी तक एक विशेष बाघ सुरक्षा बल (STPF) नहीं मिला है। 10 साल पहले केंद्र ने इस संबंध में सलाह दी थी। 2012 के बाद से देश में 1,059 बाघों की मौत हुई है, जिसमें मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघों की मौत हुई। मध्य प्रदेश को देश के टाइगर स्टेट के रूप में जाना जाता है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अनुसार मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 270 मौतें दर्ज की गईं।
2018 में एमपी टाइगर स्टेट के रूप में सामने आया
2018 की बाघ जनगणना (टाइगर सेंसस) में राज्य 526 बाघों के साथ भारत के टाइगर स्टेट के रूप में उभरा था, इसके बाद कर्नाटक में 524 बाघ थे। 6 टाइगर रिजर्व वाले मध्य प्रदेश में इस साल (2022) अब तक 27 बाघों की मौत हो चुकी है। पिछले साल 41 बाघ खोए थे। एनटीसीए ने 2009-10 में महत्वपूर्ण बाघ राज्यों को बाघों की सुरक्षा के लिए जंगलों में गश्त के लिए विशेष पुलिसकर्मियों की भर्ती और ट्रेनिंग की सलाह दी थी।
एसटीपीएफ को तब से कर्नाटक (बांदीपुर), महाराष्ट्र (पेंच, ताडोबा-अंधारी, नवेगांव-नागजीरा, मेलघाट), राजस्थान (रणथंभौर), ओडिशा (सिमिलीपाल) और असम (काजीरंगा) में 60% केंद्रीय सहायता के साथ शुरू कर दिया गया है। प्रोजेक्ट टाइगर में केंद्र प्रायोजित योजना के तहत केंद्रीय सहायता मिलती है।
MP में एसटीपीएफ अभी तक शुरू नहीं हो सका
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, एनटीसीए और मध्य प्रदेश के बीच 2012 में हस्ताक्षरित एक त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार, एमपी को समझौते पर साइन करने के 2 साल के भीतर अपने बाघ अभयारण्यों में बल को बढ़ाना, हथियार देना और तैनात करना था। राज्य ने तब से राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों की सुरक्षा के लिए एक राज्य टाइगर स्ट्राइक फोर्स, स्मार्ट पेट्रोलिंग और डॉग-स्क्वॉड का गठन किया है, लेकिन एसटीपीएफ अभी तक शुरू नहीं हो सका है।
हालांकि, मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन जेएस चौहान ने कहा कि राज्य में एक मजबूत बाघ संरक्षण तंत्र है और एसटीपीएफ की कमी से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि हमने एसटीपीएफ न होने पर भी अपने टाइगर रिजर्व को खाली नहीं छोड़ा है। मुझे नहीं लगता कि हमारे पास किसी चीज की कमी है। एसटीपीएफ की गैर-मौजूदगी ने हमारे टाइगर कंजर्वेशन प्रयासों को बिल्कुल भी प्रभावित नहीं किया है।