MP नया स्कैम: बांटने थे हल्दी, धनिया, लहसुन के बीज; खरीदे 4.64Cr के मिर्च बीज

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Aashish Vishwakarma
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MP नया स्कैम: बांटने थे हल्दी, धनिया, लहसुन के बीज; खरीदे 4.64Cr के मिर्च बीज

भोपाल. मध्य प्रदेश के उद्यानिकी विभाग (MP Horticulture Department) और एमपी एग्रो में साढ़े चार करोड़ रुपए से ज्यादा का बीज घोटाला (seed scam) सामने आया है। यह घोटाला केंद्र पोषित मसाला क्षेत्र विस्तार योजना में बीज खरीदी से जुड़ा हुआ है। अधिकारियों ने योजना के तहत अनुदान पाने के लिए केंद्र के दिशा-निर्देशों को ही दरकिनार कर दिया। केंद्रीय योजना के अनुसार, बीज मसाला के क्षेत्र विस्तार के लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को बीज बांटा जाना था, लेकिन विभाग ने इस योजना के दिशा-निर्देश के विपरीत जाकर हाइब्रिड मिर्च बीज (Hybrid Chili Seeds) की खरीदी कर ली। योजना में बीजीय मसाला के अंतर्गत अजवायन, मैथी, धनिया समेत 10 बीज मसाला फसलें शामिल हैं, लेकिन विभाग के द्वारा सिर्फ संकर (Hybrid) मिर्च बीज की ही एमपी एग्रो से महंगी दरों पर खरीदी की गई, जो बीजीय मसाला फसल है ही नहीं।





ये छल है: हैरत की बात तो यह है कि मसाला क्षेत्र विस्तार योजना के तहत प्रदेश को जो भी लक्ष्य प्राप्त हुए थे, योजना के प्रावधान के अनुसार, जो फसलें प्रदेश के किसान लगाते हैं, उनमें लहसुन, हल्दी, धनिया, जीरा, मैथी आदि के कोई भी बीज कृषकों को उपलब्ध नहीं कराए गए, बल्कि केवल 35 हजार रुपए के संकर मिर्च बीज ही खरीदे। विभाग और एमपी एग्रो द्वारा इतने संकर मिर्च बीज किसानों पर थोपे गए, जैसे किसान मिर्च के अलावा और कोई फसल लगाता ही नहीं। हैरानी की दूसरी बात ये कि केंद्र को इस घोटाले की भनक तक नहीं है। कारण यह कि प्रदेश के उद्यानिकी विभाग के द्वारा राशि तो बीजीय मसाला के क्षेत्र विस्तार करने के लिए मांगी गई, लेकिन बीजीय मसाला के नाम पर मिली राशि से उद्यानिकी विभाग और एमपी एग्रो (mp agro) ने संकर मिर्च बीज की खरीदी की। 





2019 से एमपी एग्रो के माध्यम से हो रही बीजों की खरीदी: पहले के सालों में प्रदेश के किसानों को बीज की व्यवस्था खुद करने के निर्देश दिए गए थे। इससे किसानों को बहुत परेशानी होती थी। इसके बाद उद्यानिकी विभाग द्वारा 2019 से किसानों को एमपी एग्रो के माध्यम से बीजों की व्यवस्था शुरू करवाई गई, लेकिन उद्यानिकी विभाग और एमपी एग्रो सप्लायरों से मिलीभगत कर केवल संकर मिर्च बीज ही किसानों को दिए गए। 





ऐसे हुआ घोटाला: केंद्र सरकार एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के तहत राज्यों को अनुदान देती है। इसके लिए वह राज्यों से एक्शन प्लान मांगती है। देश में 24 राज्यों की तरह मध्य प्रदेश ने भी एक्शन प्लान भेजा था, जिस आधार पर उसे केंद्र से बीज मसाला एवं प्रकंदी मसाला फसलों के क्षेत्र विस्तार योजना के तहत अनुदान स्वीकृत हुआ। इसके बाद खेल शुरू हुआ। केंद्र की गाइडलाइन के हिसाब से विभाग को नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन सीड स्पाइस (एनआरसीएसएस) के अनुसार योजना में बीजीय मसाला अर्थात धनिया, अजवाइन, मैथी समेत 10 बीज मसालों के बीज की खरीद करनी थी, लेकिन इन्हें दरिकनार कर दिया गया। विभाग ने सिर्फ संकर मिर्च बीज की खरीदी की, जो बीज मसाला फसलों के समूह में नहीं आता। यह एनआरसीएसएस की सूची में शामिल भी नहीं है। 





मिर्च सप्लाई के लिए 6 निजी कंपनियों मेसर्स यूनाइटेड फास्फोरस लिमिटेड हैदराबाद, महाराष्ट्र हाइब्रिड सीड्स प्राइवेट लिमिटेड इंदौर, मार्कफील्ड हाइब्रिड सीड्स लिमिटेड जालना, नामधारी सीड्स प्राइवेट लिमिटेड बेंगुलरू, मोनसेंटो होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड और इंडो यूएस बायोटेक लिमिटेड अहमदाबाद के रेट एमपी एग्रो में अनुमोदित है, जिनके संकर मिर्च बीज के रेट 28,600 रुपए से 35090 रुपए किलो के बीच थे। तुलनात्मक देखा जाए तो योजना में लगने वाले किसी भी बीजीय मसाला एवं प्रकंदी फसलों के बीज की कीमत 100 रुपए से अधिकतम 500 रुपए प्रति किलोग्राम तक ही हो सकती है। इसके विपरीत विभाग के द्वारा जो संकर मिर्च बीज एमपी एग्रो के माध्यम से खरीदा गया, उसकी कीमत 35,090 रुपये प्रति किलो तक है और इसी के चलते अधिकारियों ने इन कंपनियों से मिलीभगत कर इतना महंगा बीज किसानों को बांटने के लिए खरीदा। अब इस खरीदी का करोड़ों का भुगतान तेजी से करने की तैयारी है। 





कॉन्ट्रैक्ट के नियमों की धज्जियां उड़ाईं: मिलीभगत कर घोटाला करने के लिए अफसरों ने रेट कॉन्ट्रैक्ट के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई हैं। निजी सप्लायरों से संकर बीजों की खरीद के लिए एमपी एग्रो ने अंतिम आरसीओ 2019 में आमंत्रित किया, जिसमें उक्त 6 कंपनियों के दर अनुमोदन किए गए। इस आरसीओ के तहत एमपी एग्रो ने इन 6 प्रदायकों की दरें 31 मार्च 2020 तक के लिए अनुमोदित की थी। उसके बाद विभाग को नए रेट कांट्रेक्ट करने थे, ताकि प्रतिस्पर्धा में बीज कम से कम दाम पर खरीदा जा सके, लेकिन एमपी एग्रो ने ऐसा नहीं किया। 2021 में एमपी एग्रो द्वारा संकर बीज के क्रय हेतु पुनः आरसीएओ आमंत्रित किये गए, पर पुराने रजिस्टर्ड सप्लायर्स से मिलीभगत कर इस साल की आरसीओ को निरस्त कर दिया गया। इसका नतीजा यह है कि आज भी पुराने सप्लायरों द्वारा एमपी एग्रो के जरिए अवैध पुरानी दरों पर कृषकों को बीज थोप रहे हैं। बता दें कि एमपी एग्रो में पंजीकृत सभी सप्लायरों की दर अधिकतम 30 सितंबर 2020 तक के लिए थी।





चेताने पर भी सरकार खामोश: इस घोटाले की शिकायत किसानों से लेकर विधायक तक ने आला अधिकारियों से की है। कटनी के बड़वारा विधायक विजय राघवेंद्र सिंह ने इस घोटाले के बारे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अपर मुख्य सचिव सह कृषि उत्पादन आयुक्त शैलेंद्र सिंह को 5 पन्नों का शिकायती पत्र 30 अक्टूबर 2021 को भेजा था, जिस पर 3 महीने बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया। इस संबंध में उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह कुशवाह से संपर्क करना चाहा तो उनके दोनो मोबाइल नंबर बंद मिले। वहीं, अपर मुख्य सचिव सह कृषि उत्पादन आयुक्त शैलेंद्र सिंह ने ना तो मोबाइल कॉल रिसीव किया और ना ही वॉट्सऐप और टेक्स्ट मैसेज का कोई रिप्लाई दिया।





कार्रवाई करने वाली कल्पना श्रीवास्तव का कर दिया तबादला: मुंगावली के कृषक देवेंद्र जाट और बाजार गांव सीहोर के कृषक विष्णु शर्मा ने बताया कि वे धनिया की खेती करते हैं। जब उन्हें धनिया की जगह शंकर हाईब्रिड मिर्च का बीज अधिकारियों द्वारा थोपने की कोशिश की तो उन्होंने इस मामले की शिकायत उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव से की। उन्होंने एक्शन भी लिया और हाइब्रिड मिर्च के बीज का वितरण रुकवाकर कुछ किसानों को धनिया का बीज भी दिलवाया। कार्रवाई और आगे बढ़ती, उससे पहले ही दिसंबर 2021 को कल्पना श्रीवास्तव का तबादला कर दिया। कल्पना श्रीवास्तव प्रदेश में हुए प्याज घोटाले की भी जांच कर रही थी। 





विधानसभा के बजट सत्र में गूंजेगा मुद्दा: कटनी के बड़वारा विधायक विजय राघवेंद्र सिंह अब इस मुद्दे को बजट सत्र में उठाने वाले हैं। विधायक के निज सहायक चंद्रशेखर अग्निहोत्री ने बताया कि उच्च स्तर पर शिकायत करने के बाद भी आज तक इसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई है, इसलिए विधायक जी अब इसे लेकर विधानसभा के बजट सत्र में प्रश्न लगाएंगे। 





अन्य बीज के लिए बजट ही नहीं आया: किसान देवेंद्र जाट ने बताया कि जब अधिकारियों ने धनिया का बीज नहीं दिया तो किसानों ने उनसे इसका कारण पूछा था। उस समय अधिकारियों ने बताया कि धनिया के लिए बजट ही नहीं आया। जबकि 7 करोड़ 20 लाख बजट आया था, जिसे हाइब्रिड मिर्च बीज खरीदी में लगा दिया गया। योजना में करीब 25 हजार किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, पर उन्हें अन्य मसाला बीज मिला ही नहीं। वहीं, एक अन्य किसान विष्णु शर्मा ने कहा कि किसान अच्छा बीज लेकर उन्नत खेती करना चाहते हैं, लेकिन प्रदेश में योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है, जिसकी केंद्र सरकार को जांच करानी चाहिए।



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