बुरहानपुर। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में व्यापमं (Vyapam) के जरिए 2008-09 में शिक्षक (teacher) भर्ती परीक्षा हुई थी, जिसमें बड़े पैमाने पर अभ्यर्थियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरी पा ली थी। बताया जा रहा है कि जब दोनों फर्जी शिक्षकों को जब पुलिस गिरफ्तार (arrested) करने पहुंची तो दोनों सब्जी बेचते हुए पाए गए। प्रदेश में व्यापमं के शिक्षक भर्ती घोटाले में 90 फर्जी शिक्षकों की मुसीबतें बढ़ने लगी हैं। इनमें से 4 शिक्षकों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि 84 शिक्षकों की तलाश की जा रही है। यह सभी शिक्षक कई वर्षों से सरकार से 25 हजार का वेतन भी ले रहे थे। इनमें से चार की गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है, जबकि मंगलवार को दो और फरार शिक्षकों को बुरहानपुर (Burhanpur) पुलिस (police) ने गिरफ्तार कर लिया है।
चौदह साल बाद हुआ था खुलासा
शिक्षक भर्ती घोटाले (teacher recruitment scam) का खुलासा करीब चौदह साल बाद हो सका था। वर्ष 2007 में जनपद पंचायत बुरहानपुर द्वारा संविदा शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई थी। इस दौरान दस्तावेजों के सत्यापन से लेकर सारी जिम्मेदारी तत्कालीन जनपद सीईओ ने शिक्षा विभाग के लिपिक ज्योति खत्री को सौंप रखी थी।
लिपिक और अफसरों ने साठगांठ कर इस भर्ती घोटाले को अंजाम दिया था। साल 2018 में हुई एक शिकायत की जांच के दौरान कुछ शिक्षकों की अंकसूची, बीएड, डीएड की अंकसूची और नियुक्ति आदेश फर्जी पाए जाने पर इस घोटाले का खुलासा हुआ था। तब से करीब तीन साल का समय बीत चुका है, लेकिन अब तक इस मामले में कार्रवाई अंजाम तक नहीं पहुंच पाई है।
एक सीईओ की हुई थी गिरफ्तारी
इस घोटाले के मास्टर माइंड शिक्षा विभाग के लिपिक ज्योति खत्री के साथ ही तत्कालीन सीईओ जनपद पंचायत अनिल पवार सहित करीब आधा दर्जन लोगों को इस मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। हालांकि इस मामले में पचास से ज्यादा अन्य शिक्षकों व अफसरों के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज कराई गई है, लेकिन अब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। जनपद पंचायत के दो पूर्व सीईओ, शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों पर भी कार्रवाई लंबित है।
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