मध्यप्रदेश में खाद का संकट गहरा गया है। पेट की भूख पढ़ाई पर भारी पड़ रही है। किसानों की खाद को लेकर मजबूरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिन-रात उनके साथ लड़कियां और महिलाएं भी खाद के लिए लाइन में लग रही हैं। आलम ये हैं कि कॉलेज की लड़कियों को पढ़ाई छोड़कर खाद के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही। पिछले दो महीने से खाद को लेकर यह मशक्कत जारी है।
पढ़ाई से जरूरी हो गई खाद
छतरपुर में किसान खाद और डीएपी की आस में सुबह से ही सरकारी वेयरहाउस या समिति व्यवसायों में चक्कर लगाने लगते हैं। लाइन में लगी महाराजा कॉलेज की एक स्टूडेंट रीना ने बताया कि उसके पापा कई दिनों से लाइन में लगते रहे, लेकिन भीड़ होने के कारण उन्हें खाद नहीं मिली। पिता की मजबूरी देखकर वो पढ़ाई छोड़कर भूखे-प्यासे दो घंटे लाइन में खड़ी रही। रीना के मुताबिक खाद नहीं मिली तो किसानी कैसे होगी, अगर किसानी नहीं हुई तो पढ़ाई के लिए पैसे कहां से आएंगे। इसलिए क्लास छोड़कर यहां आना पड़ रहा है।
रात 11 बजे छात्रा ने खरीदी खाद
खाद की किल्लत सिर्फ छतरपुर में ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश में और भी कई जगह हैं। रीना की तरह कई युवतियां खाद के लिए परेशान हैं। दतिया में भी एक 20 साल की छात्रा रात 11 बजे खाद लेने पहुंची। उसके मुताबिक उसके घर परिवार में अन्य कोई पुरुष सदस्य नहीं है। खेत बंटाई पर दे रखा है। ऐसे में उसे खुद खाद लेने आना पड़ा।
उप संचालक कृषि कल्याण विभाग डीके सिद्धार्थ का कहना है कि हमने महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की है। उन्हें लाइन में न लगाते हुए सीधे कार्यालय में बुलाकर ही खाद की पर्ची आवंटित कर दी जाती है।
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