JABALPUR:MP गवर्मेंट ने HC में दाखिल किया OBC का डाटा, कमलनाथ सरकार ने जनसंख्या तो शिवराज सरकार ने दाखिल किया प्रतिनिधित्व का आंकड़

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Rajeev Upadhyay
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JABALPUR:MP गवर्मेंट ने HC में दाखिल किया OBC का डाटा, कमलनाथ सरकार ने जनसंख्या तो शिवराज सरकार ने दाखिल किया प्रतिनिधित्व का आंकड़

Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण से संबंधित विचाराधीन मामलों में राज्य शासन ने अन्य पिछड़ा वर्ग का डाटा दाखिल कर दिया है। यह जानकारी मामले से जुड़े राज्यपाल द्वारा नियुक्त विशेष अधिवक्ता नियुक्त रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने दी है। रामेश्वर सिंह के मुताबिक साल 2019 से अब तक दाखिल इन प्रकरणों में 38 बार सुनवाई हो चुकी है और फाइनल बहस के लिए इस बार आगामी 16 अगस्त की तारीख तय है। मामले पर सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुरूप ओबीसी आयोग का गठन कर क्वॉटिफिएबिल डाटा कलेक्ट करने सुझाव सहित पत्र लिख कर शासकीय सेवाओं में ओबीसी के प्रतिनिधित्व का डाटा कलेक्ट कर कोर्ट में प्रस्तुत करने सुझाव दिया गया था। इसके चलते सामान्य प्रशासन विभाग ने डाटा कलेक्ट किया। इसमें कुल स्वीकृत पदों की संख्या 3,21,944 में से ओबीसी वर्ग को मात्र 43 हजार 9 सौ 78 पद यानि 13.66 फीसद आरक्षित बताया गया है। उक्त जानकारी के डाटा उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किए जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुरूप अभी पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना शेष है। 





नहीं लागू हुई रामजी आयोग की अनुशंसा 





रामेश्वर सिंह ठाकुर के मुताबिक मध्यप्रदेश में पहली बार दिनांक 17 नवंबर 1980 को रामजी महाजन आयोग का गठन किया गया था। महाजन आयोग ने 22 दिसंबर 1983 को ओबीसी को 35 प्रतिशत आरक्षण सहित कई अनुशंसा सहित अपना प्रतिवेदन शासन को प्रस्तुत था लेकिन उसे लागू आज तक नहीं किया गया। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल करके चुनौती दी गई थी, कि संपूर्ण देश में ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण दिया जा रहा है। 





इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ केस 





इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के प्रकरण में भी सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बैंच द्वारा ओबीसी की 52.8 प्रतिशत जनसंख्या मान्य कर क्रीमीलेयर की शर्तों के अधीन 16 नवंबर 1992 में मंडल कमीशन की रिपोर्ट को मान्य कर ओबीसी को शासकीय सेवाओं में 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने निर्देश दिए थे। इस फैसले के विपरीत मध्यप्रदेश में ओबीसी को सिर्फ 14 फीसद ही आरक्षण दिया गया और आज भी दिया जा रहा है। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए मध्यप्रदेश सरकार को 2016 में कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे। इसका जवाब दाखिल करने के पूर्व ही मध्यप्रदेश सरकार ने 8 मार्च 2019 को ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण लागू कर दिया। 



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