BHOPAL. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों (Government Hospitals) में शुमार हमीदिया हॉस्पिटल (Hamidia Hospital) की नई बिल्डिंग (New Building) का काम कि पूरा ही नहीं हो रहा है। अबतक आधा दर्जन से ज्यादा बार कंप्लीशन की तारीखें दी गई, लेकिन काम अधूरा ही रहा। स्वास्थ सेवाओं में सुधार के लिए 2016 में हमीदिया हॉस्पिटल को अपग्रेड करने की योजना बनी थी। टेंडर लेने वाली कंपनी को 2000 बिस्तरों का हाईटेक अस्पताल (Hi-Tech Hospital) बनाने के लिए 2 साल का समय दिया गया था, लेकिन 6 साल बीतने के बाद भी हॉस्पिटल नई बिल्डिंग में शिफ्ट नहीं हो सका है। जिसके लिए सीधे तौर पर सरकार और निर्माण कर रही कंपनी जिम्मेदार है। कंपनी के काम पर तो क्वालिटी कंट्रोल और बिलिंग के लिए तय की गई एजेंसी ने भी सवाल उठाए है। काम समय पर पूरा हुआ होता तो कमला नेहरू में आग लगने की वजह से नवजात बच्चे काल के गाल में न समाते। मरीजों को 4 साल पहले से सुविधा मिल रही होती।
पीआईयू की लापरवाही
हमीदिया के अपग्रेडेशन के लिए पीआईयू (प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट) को एजेंसी बनाया गया था। लेकिन पीआईयू (PIU) के अधिकारी टेंडर लेने वाली वडोदरा गुजरात की कंपनी क्यूब कंस्ट्रक्शन से समय पर काम नहीं करा सके। टेंडर के नियमों को मानने की बजाए कंपनी ने अपनी शर्तो पर काम किया।
गुजरात की कंपनी पर गजब की मेहरबानी
हमीदिया हॉस्पिटल बनाने का ठेका लेने वाली कंपनी क्यूब कंस्ट्रक्शन गुजरात (Cube Construction Gujarat) के वड़ोदरा की है। इस कंपनी पर पीआईयू के अधिकारी ही नहीं एमपी की सरकार भी मेहरबान है। टेंडर प्रक्रिया में कंपनी ने 435 करोड़ में काम लिया था। जिसके बाद 4 साल तक धीमी गति से काम चलता रहा। लेकिन लेटलतीफी पर कार्रवाई करने की बजाय सरकार ने कंपनी को इनाम दे दिया। स्वीकृत बजट 435 करोड़ को बढ़ाकर 479 करोड़ कर दिया गया। यानी 44 करोड़ रुपए बढ़ा दिए गए। कैबिनेट के इस निर्णय के पीछे तर्क दिया गया कि कंपनी को एडिशनल काम दिया गया है लिहाजा बजट बढ़ाना पड़ा।
सरकार का तर्क गले नहीं उतरता
पुनरीक्षित स्वीकृति लाकर टेंडर की राशि में 44 करोड़ के इजाफे के पीछे दिए जा रहे तर्क गले नहीं उतरते। द सूत्र की पड़ताल के दौरान पीआईयू के अधिकारी कोई सटीक कारण नहीं बता पाए। इसके उलट जमीन पर कंपनी का काम कम कर दिया गया। कंपनी को पहले 6 बिल्डिंग बनानी थी। जिसे घटाकर 5 बिल्डिंग में तब्दील कर दिया गया। टेंडर के मुताबिक कंपनी को हॉस्पिटल की 2 बिल्डिंग, 1 नर्सिंग कॉलेज, 1 हॉस्टल और 2 मल्टीलेबल पार्किंग बनानी थी। बजट बढ़ने के बाद का बढ़ाने की बजाए एक मल्टीलेवल पार्किंग की बिल्डिंग को कम कर दिया गया।
थर्ड पार्टी इनपेक्शन एजेंसी ने उठाए सवाल
पुनरीक्षित स्वीकृति लेने के बाद कंपनी बजट को भी बड़वाना चाहती है। जिसके लिए कंपनी ने पीआईयू के अधिकारियों पर दवाब भी बनाया। लेकिन क्वालिटी कंट्रोल और बिलिंग का काम कर रही लखनऊ की कंपनी मोरलेज ने आपत्ति दर्ज करा दी, जिससे फिलहाल तो ठेकेदार कंपनी के मंसूबों पर पानी फिरता नजर आता है। मॉरलेज ने पीआईयू को पत्र लिखकर चेताया है कि कंपनी ने समय पर काम पूरा नहीं किया है। बार बार टाइम एक्सटेंशन के साथ बजट बढ़ाने की मांग की जा रही है। मांग पूरी की जाती है तो शासन का नुकसान होगा। पत्र मिलने के बाद पीआईयू ने भी हाथ खड़े कर दिए है।
सरकार की प्लानिंग फेल
अस्पताल में मरीज सबसे पहले रजिस्ट्रेशन काउंटर और उसके बाद ओपीडी में पहुंचता है। लेकिन आपको बता दें कि हमीदिया का प्रोजेक्ट बनाने वाले सरकारी जिम्मेदार प्लानिंग में रजिस्ट्रेशन काउंटर और ओपीडी की बिल्डिंग को शामिल करना ही भूल गए थे। लिहाजा 18 करोड़ का काम अलग से निकाला गया और क्यूब कंस्ट्रक्शन को ही दे दिया गया। प्लानिंग में हुई ये चूक बताती है कि डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाते वक्त भी जिम्मेदार सीरियस नहीं थे।
काम खत्म होने के बाद होती है पेनाल्टी की कार्रवाई - पीआईयू
डेडलाइन पर डेडलाइन तय होने के बाबजूद आज तक नई बिल्डिंग पूरी तरह हॉस्पिटल प्रबंधन के हैंडओवर नहीं हुई है। अभी इसके लिए महीनेभर से ज्यादा का वक्त लग सकता है। 2 साल का काम 6 साल में पूरा हो रहा है। अब सवाल उठता हैं कि इस लापरवाही और लेटलतीफी के लिए कंपनी को क्या सजा मिलेगी ? अब तक उसके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? इस सवाल पर पीआईयू के संभागीय परियोजना अधिकारी विजय सिंह का कहना है की काम खत्म होने के बाद कार्रवाई की जाएगी। ठेकेदार से काम में देरी होने पर होने की वजह पूछी जायेगी। गुण दोष के मूल्यांकन के आधार पर पेनाल्टी लगाएंगे। मतलब कंपनी के खिलाफ कोई एक्शन होने की संभावना शून्य ही है।