अरुण तिवारी, BHOPAL. इन दिनों प्रदेश के दो बड़े कथाकारों बागेश्वरधाम, छतरपुर के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और पंडोखर धाम, दतिया के पीठाधीश्वर गुरुशरण महाराज में उपजा विवाद चर्चा का विषय बना हुआ है। इस विवाद की जड़ में है वो खास सिद्धि, जिसके दम पर ये दोनों कथाकार अपने दरबार में आने वाले भक्तों के मन की बात जानने का दावा करते हैं। इस सिद्धि को कर्ण पिशाचिनी विद्या कहा जाता है और ये दोनों ही कथाकार इस तांत्रिक विद्या की सिद्धि हासिल होने का दावा करते हैं और इसी कारण अपने भक्तों में खासे लोकप्रिय हैं। ये दोनों ही कथाकार इस सिद्धि से भक्तों के मन की बात बताने के लिए बाकायदा टोकन जारी करते हैं और इसके लिए उनके दरबार में भारी भीड़ उमड़ती है।
वीडियो देखें
आरोप-प्रत्यारोप का दौर
मीडिया में वायरल एक वीडियो में पंडोखरधाम के पीठाधीश्वर गुरुशरण महाराज ने बागेश्वरधाम के धीरेंद्र कृष्ण महाराज पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि धीरेंद्र महाराज मेरे खिलाफ दुष्प्रचार करते हैं जबकि वे खुद भक्तों से नारियल और प्रसाद तक के पैसे लेते हैं।
दतिया के पंडोखर सरकार कहलाने वाले गुरुशरण महाराज ने बागेश्वरधाम के धीरेंद्रकृष्ण महाराज आरोप लगाते हुए उन्हें चुनौती दी है। इतना ही नहीं, उन्होंने करीब 15 दिनों पहले बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर के ताऊ और उनके बेटे यानी धीरेंद्र महाराज के चचेरे भाई दिनेश गर्ग शास्त्री को अपने दरबार में बुलाकर सबके सामने उन्हें बागेश्वर धाम का असल पीठाधीश्वर बताया।
लेकिन जब इस पूरे मामले में द सूत्र के संवाददाता ने दिनेश गर्ग शास्त्री महाराज से बात करनी चाही तो उनका इस पूरे मामले में कहना था कि यह हमारा पारिवारिक मामला है और हम इस पूरे मामले में कुछ भी नहीं कहना चाहते। घर-घर में यह सब कुछ होता रहता है, हम तो केवल अपने गुरु के पास मिलने दतिया गए हुए थे, वहीं पर पंडोखर सरकार के द्वारा हमें यह सब बताया गया। हमने उनसे कुछ भी नहीं पूछा था
कहां पर है बागेश्वर धाम और क्यों है प्रसिद्ध?
छतरपुर जिले से 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित राजनगर तहसील के बमीठा थाना क्षेत्र अंतर्गत गढ़ा ग्राम में सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थल बागेश्वर धाम स्थित है, जहां पर शंकर जी की प्राचीन कालीन मूर्ति स्थापित है और उनके साथ यहां पर हनुमान जी की भी मूर्ति यहां पर विराजमान है। यहां पर अपने दुख परेशानियों से निजात पाने के लिए देश दुनिया के अलग-अलग स्थानों से लोग पहुंचते हैं, मंगलवार को यहां विशेष दरबार लगाया जाता है और यहां पर पहुंचने वाले भक्तों के लिए भंडारा और रहने खाने की भी व्यवस्था धाम के ही द्वारा की जाती है।
बागेश्वर धाम में ऐसे लगती है अर्जी
बागेश्वर धाम में हफ्ते के सातों दिन दरबार लगता है और इस दरबार में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराज के द्वारा दरबार में बैठे किसी भी व्यक्ति को उठा दिया जाता है और उस व्यक्ति के बारे में पहले से ही उनके द्वारा एक पर्चा बना लिया जाता है, जिसमें व्यक्ति किस समस्या को लेकर वह यहां पहुंचा है, यह सब पूरी बातें एक कागज की पर्ची में लिख दी जाती है। यहां पर निशुल्क अर्जी लगाई जाती है
पंडोखर सरकार कहलाने वाले गुरुशरण महाराज बागेश्वर धाम के धीरेंद्र महाराज को चुनौती देकर खुद को असल सिद्ध संत साबित करने का प्रयास कर रहे हैं। इतना ही नहीं, उनके भक्तों ने धीरेंद्र महाराज के खिलाफ फेसबुक औऱ यूट्यूब पर भी मोर्चा खोल रखा है। आपको बताते हैं उस सिद्धि के बारे में, जिसके दम पर ये दोनों संत दूसरों के मन की बात जानने का दावा करते हैं। इसके लिए बाकायदा बड़े-बड़े दरबार भी लगाते हैं और इसमें अपनी समस्या के समाधान के लिए आने वाले भक्तों से सौ रुपए से लेकर 21 हजार रुपए तक का दान भी लेते हैं।
आपको बताते हैं कि आखिर क्या है ये कर्ण पिशाचिनी विद्या। इसके बारे में द सूत्र ने तंत्र और ज्योतिष विद्या के जानकारों से राय जानी । इस सिद्धि को लेकर उनके अलग-अलग मत हैं, लेकिन इसमें वे एक राय हैं कि कर्ण पिशाचिनी सिद्धि होती है जो किसी के भी भूतकाल और वर्तमान की जानकारी दे सकती है, ये सिद्धि किसी का भविष्य नहीं बता सकती।
क्या है कर्ण पिशाचिनी विद्या
ज्योतिष आचार्य पंडित अरविंद तिवारी कहते हैं कि कर्ण पिशाचिनी विद्या में पिशाच यानी आत्मा सिद्ध करने वाले व्यक्ति को कान में वो सब कुछ बताती है, जो वो जानना चाहता है। ये पिशाच सिद्ध करने वाले के वश में रहता है और उसकी हर मुराद पूरी करता है। वो खाने-पीने की वस्तुएं,अन्य भौतिक सुख सुविधाएं तत्काल ला सकता है, लेकिन पैसे की मांग पूरी नहीं कर सकता। सिद्ध करने वाला किसी को भी उसका अतीत बताकर आकर्षित कर सकता है। कई बाबा इसी के बूते अपना अच्छा-खासा तंत्र चला रहे हैं।
कर्ण पिशाचिनी विद्या ऐसे होती है सिद्ध
इस विद्या को सिद्ध करने की पूरी विधि होती है। किसी गुरु के निर्देशन में श्मशानघाट में इसको सिद्ध किया जाता है। इसके लिए सवा महीने तक रातभर श्मशान में कुछ खास मंत्रों का जाप किया जाता है। ये अघोरी विद्या होती है, इसलिए धार्मिक कर्मकांडों में वर्जित चीजों (मांस,मदिरा) का भी सेवन किया जाता है। उस पिशाच को वश में किया जाता है, जिस शव की कपाल क्रिया न हुई हो। इस सवा महीने तक पिशाच कई तरह से सिद्ध करने वाले को पीड़ा पहुंचाता है। जो इतनी पीड़ा सहने के बाद इसे सिद्ध करता है तो वो आत्मा उसके वश में हो जाती है और हमेशा उसके साथ रहती है।
साधक होता है प्रताड़ित
तंत्र साधना के जानकार पंडित हर्ष नारायण गौतम कहते हैं कि कर्ण पिशाचनी विद्या को सिद्ध करना आसान नहीं है। यदि इसमें त्रुटि होती है या मंत्रों का गलत उच्चारण होता है तो सिद्ध करने वाले पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। उसे कई तरह की तकलीफें झेलनी पड़ती हैं। इस साधना बहुत नियम और संयम और उच्चारण शुद्धता बहुत आवश्यक है।
धीरेंद्र शास्त्री का दरबार
पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपनी रामकथा, दिव्य दरबार और विवादित बयानों को लेकर इन दिनों बहुत चर्चा में हैं। कहते हैं कि वे उनके दादाजी की तरह छतरपुर के एक गांव गाड़ा में बालाजी हनुमान मंदिर के पास 'दिव्य दरबार' लगाने लगे। उनके लोग इस दरबार के वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते थे। धीरे-धीरे वे सोशल मीडिया के माध्यम से वे लोकप्रिय हो गए। बताया जा रहा है कि उनके दरबार में पहले सैकड़ों लोग अपनी समस्या लेकर आते थे। उन सैकड़ों लोगों में से पंडित धीरेंद्र शास्त्री किसी का भी नाम लेकर उन्हें बुलाते थे और वह व्यक्ति जब तक उनके पास पहुंचता, तब तक शास्त्री एक पर्चे पर उस व्यक्ति के नाम पते सहित उसकी समस्या लिख लेते और उसी में उसका समाधान भी लिख लेते। लोग आश्चर्य करने लगे कि यह व्यक्ति किस तरह दूर दूर से आए अनजान लोगों को उनके नाम से बुला लेता है और कहता है कि आओ तुम्हारी अर्जी लग गई। धीरेंद्र शास्त्री लोगों को यह भी बता देते हैं कि उनकी समस्या क्या है, कितनी है और कब से है। उनके पिता का नाम क्या है और बेटे का नाम क्या है। लोग उन्हें चमत्कारिक मानने लगे।
भोपाल में 22 से 26 जून तक धीरेंद्र महाराज का कथा
छोटे से गांव गाड़ा में जब सैकड़ों से हजारों और हजारों से लाखों लोग आने लगे तो धीरेंद्र शास्त्री ने दूसरे शहरों में जाकर 'दिव्य दरबार' लगाना शुरू कर दिया। अब धीरेंद्र शास्त्री रामकथा भी कहने लगे हैं। हाल ही में उन्होंने लंदन में भी प्रवचन दिए हैं जल्द ही उनकी रामकथा भोपाल में भी होने वाली है। भोपाल में 22 जून से 26 जून तक पंच दिवसीय श्रीभक्तमाल कथा महोत्सव का आयेाजन किया जा रहा है। यहां पर दो दिन बिना टोकन नंबर का दरबार भी है। धीरेंद्र महाराज - इंदौर,भोपाल, सागर के आसपास के घर- घर से बागेश्वरधाम के पागलों को कथा महोत्सव में में आने का न्योता दे रहे हैं।
(इनपुट: छतरपुर से हिमांशु अग्रवाल)