भोपाल. मंत्रालय (Ministry) में महिला यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment of Women) के मामलों के शिकायत की सुनवाई के लिए सामान्य प्रशासन विभाग (General Administration Department) ने सदस्य सचिव मधुबाला नाहर (Madhubala Nahar) को बनाया है। वह जीएडी में उप सचिव हैं। इसके पहले मनीषा सेतिंया (Manisha Setinya) इस समिति की सदस्य सचिव थीं, मंत्रालय से बाहर तबादला होने के कारण उनकी जगह नाहर को सदस्य सचिव बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि कार्यस्थल परी महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के मामलों को रोकने के लिए 2013 में यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम बनाया गया। इस कानून के अनुसार जिन संस्थाओं में दस से अधिक लोग काम करते हैं, उन संस्थाओं पर यह अधिनियम लागू होता है। इसलिए आपकी सूचना हेतु इस कानून का पूर्ण विवरण निम्न प्रकार से है -
यह कानून क्या करता है ?
- यह क़ानून कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को अवैध करार देता हैl
यौन उत्पीड़न क्या है ?
इस अधिनियम के तहत निम्नलिखित व्यवहार या कृत्य ‘यौन उत्पीड़न’ की श्रेणी में आता है -
व्यवहार या कृत्य
इच्छा के खिलाफ छूना या छूने की कोशिश करना जैसे यदि एक तैराकी कोच छात्रा को तैराकी सिखाने के लिए स्पर्श करता है तो वह यौन उत्पीड़न नहीं कहलाएगा,पर यदि वह पूल के बाहर, क्लास ख़त्म होने के बाद छात्रा को छूता है और वह असहज महसूस करती है, तो यह यौन उत्पीड़न है l
शारीरिक रिश्ता/यौन सम्बन्ध बनाने की मांग करना या उसकी उम्मीद करना जैसे यदि विभाग का प्रमुख किसी जूनियर को प्रमोशन का प्रलोभन दे कर शारीरिक रिश्ता बनाने को कहता है, तो यह यौन उत्पीड़न है l
यौन स्वभाव की (अश्लील) बातें करना जैसे यदि एक वरिष्ठ संपादक एक युवा प्रशिक्षु /जूनियर पत्रकार को यह कहता है कि वह एक सफल पत्रकार बन सकती है क्योंकि वह शारीरिक रूप से आकर्षक है, तो यह यौन उत्पीड़न हैl
अश्लील तसवीरें, फिल्में या अन्य सामग्री दिखाना जैसे यदि आपका सहकर्मी आपकी इच्छा के खिलाफ आपको अश्लील वीडियो भेजता है, तो यह यौन उत्पीड़न हैl कोई अन्यकर्मी यौन प्रकृति के हों, जो बातचीत द्वारा , लिख कर या छू कर किये गए हों
शिकायत कौन कर सकता है ?
जिस महिला के साथ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न हुआ है, वह शिकायत कर सकती हैl
शिकायत किसको की जानी चाहिए ?
अगर आपके संगठन/ संस्थान में आंतरिक शिकायत समिति है तो उसमें ही शिकायत करनी चाहिए। ऐसे सभी संगठन या संस्थान जिनमें 10 से अधिक कर्मचारी हैं,आंतरिक शिकायत समिति गठित करने के लिए बाध्य हैंl अगर संगठन ने आंतरिक शिकायत समिति नहीं गठित की है तो पीड़ित को स्थानीय शिकायत समिति में शिकायत दर्ज करानी होगी l
शिकायत कैसे की जानी चाहिए ?
शिकायत लिखित रूप में की जानी चाहिए। यदि किसी कारणवश पीड़ित लिखित रूप में शिकायत नहीं कर पाती है तो समिति के सदस्यों की ज़िम्मेदारी है कि वे लिखित शिकायत देने में पीड़ित की मदद करेंl उदाहरण के तौर पर, अगर वह महिला पढ़ी लिखी नहीं है और उसके पास लिखित में शिकायत लिखवाने का कोई ज़रिया नहीं है तो वह समिति को इसकी जानकारी दे सकती है और समिति की ज़िम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि पीड़ित की शिकायत बारीक़ी से दर्ज़ की जाए l
क्या पीड़ित की ओर से कोई और शिकायत कर सकता है ?
यदि पीड़ित शारीरिक रूप से शिकायत करने में असमर्थ है (उदाहरण के लिए,यदि वह बेहोश है), तो उसके रिश्तेदार या मित्र, उसके सह-कार्यकर्ता, ऐसा कोई भी व्यक्ति जो घटना के बारे में जानता है और जिसने पीड़ित की सहमति ली है, अथवा राष्ट्रीय या राज्य स्तर के महिला आयोग के अधिकारी शिकायत कर सकते हैं।
यदि पीड़ित शिकायत दर्ज करने की मानसिक स्थिति में नहीं है, तो उसके रिश्तेदार या मित्र, उसके विशेष शिक्षक, उसके नोचिकित्सक/मनोवैज्ञानिक, उसके संरक्षक या ऐसा कोई भी व्यक्ति जो उसकी देखभाल कर रहे हैं, शिकायत कर सकते हैं। साथ ही कोई भी व्यक्ति जिसे इस घटना के बारे में पता है,उपरोक्त व्यक्तियों के साथ मिल कर संयुक्त शिकायत कर सकता है।
यदि पीड़ित की मृत्यु हो चुकी है, तो कोई भी व्यक्ति जिसे इस घटना के बारे में पता हो, पीड़ित के कानूनी उत्तराधिकारी की सहमति से शिकायत कर सकता है।
शिकायत दर्ज करने के बाद क्या होता है?
यदि वह महिला चाहती है तो मामले को ‘कंसिलिएशन’/समाधान’ की प्रक्रिया से भी सुलझाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में दोनों पक्ष समझौते पर आने की कोशिश करते हैं, परन्तु ऐसे किसी भी समझौते में पैसे के भुगतान द्वारा समझौता नहीं किया जा सकता है l
यदि महिला समाधान नहीं चाहती है तो जांच की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसे आंतरिक शिकायत समिति को 90 दिन में पूरा करना होगा । यह जांच संस्था/ कंपनी द्वारा तय की गई प्रकिया पर की जा सकती है, यदि संस्था/कंपनी की कोई तय प्रकिया नहीं है तो सामान्य कानून लागू होगा l समिति पीड़ित, आरोपी और गवाहों से पूछताछ कर सकती है और मुद्दे से जुड़े दस्तावेज़ भी माँग सकती है l समिति के सामने वकीलों को पेश होने की अनुमति नहीं है।
जाँच के ख़त्म होने पर यदि समिति आरोपी को यौन उत्पीडन का दोषी पाती है तो समिति नियोक्ता (अथवा कम्पनी या संस्था, आरोपी जिसका कर्मचारी है) को आरोपी के ख़िलाफ़ कार्यवाही करने के लिए सुझाव देगी। नियोक्ता अपने नियमों के अनुसार कार्यवाही कर सकते हैं, नियमों के अभाव में नीचे दिए गए कदम उठाए जा सकते हैं :
1 लिखित माफी
2 चेतावनी
3 पदोन्नति/प्रमोशन या वेतन वृद्धि रोकना
4 परामर्श या सामुदायिक सेवा की व्यवस्था करना
5 नौकरी से निकाल देना